हैदराबाद : 14 साल के बनवास के बाद भगवान श्रीराम वापस अयोध्या लौटे थे. अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए द्वीप जलाये थे. वो दिन था कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि. उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाते हैं. दिवाली रोशनी, समृद्धि और खुशी का त्योहार है.
दिवाली के अवसर पर आवासीय परिसर, व्यावसायिक परिसर के साथ आसपास परिवार, रिश्तेदार और समाज के साथ खुशियों को बांटते हैं. सभी अपने घरों, दूकानों, सड़कों को दीयों, मोमबत्तियों के साथ आकर्षक रंगीन झालरों के साथ संजाते और संवारते हैं. इस अवसर पर हम कपड़े पहनकर एक-दूसरे को उपहार व स्वादिष्ट मिठाई भेंटकर, स्वयं आनंद लेते हैं. ज्यादातर घरों में पारंपरिक भोजन बनता है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन अमानस्या तिथि यानि कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन कार्तिक महीने में साल की सबसे अंधेरी रात को पड़ती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अक्टूबर से नवंबर के बीच बड़ता है.
दिवाली कैलेंडर 2024 | |||
क्रम | त्योहार | तारीख/दिन | तिथि |
पहला दिन | गोवत्स द्वादशी, वसुबारस | 28 अक्टूबर (सोमवार) | एकादशी |
दूसरा दिन | धनतेरस | 29 अक्टूबर (मंगलवार) | द्वादशी |
तीसरा दिन | काली चौदस, हनुमान पूजा | 30 अक्टूबर (बुधवार) | त्रयोदशी |
चौथा दिन | नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), काली पूजा | 31 अक्टूबर (गुरुवार) | चतुर्दशी |
पांचवां दिन | दिवाली (लक्ष्मी पूजा) | 01 नवंबर (शुक्रवार) | अमावस्या |
छठा दिन | गोवर्धन पूजा, अन्नकूट | 02 नवंबर (शनिवार) | प्रतिपदा |
सातवां दिन | भाई दूज, यम द्वितीया | 03 नवंबर (रविवार) | द्वितीया |
दिवाली 31 अक्टूबर को होगा या 1 नवंबर को होगा. इस कन्फ्यूजन के पीछे वजह है 2024 में अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रहा है. द्रिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होकर 01 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होता होगा. अमावस्या की रात दिवाली मनाने की परंपरा है. जो लोग उदया तिथि को नहीं मानते हैं वो 31 अक्टूबर को दिवाली मनायेंगे. वहीं उदया तिथि को मानने वाले दिवाली 01 नवंबर को मना रहें हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार भी दिवाली 01 नवंबर को है.