लखनऊ : प्रयागराज में शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम तक गंगा तीन धाराओं में विभाजित हो गई थीं. जिससे न केवल पवित्रता प्रभावित हो रही थी, बल्कि महाकुंभ के आयोजन में भी कठिनाइयां आ रही थीं. ऐसे में दोबारा एक धारा में प्रवाहित कर मां गंगा को वास्तविक स्वरूप प्रदान किया गया है.
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार महाकुंभ में आने वाले करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए संगम पर तीन धाराओं में बह रहीं गंगा को एक धारा में प्रवाहित करने की रणनीति तैयार की गई थी. इससे गंगा के तट पर ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को एक साथ स्नान की सुविधा मिलने के साथ पहली बार तीन अलग-अलग जगह स्नान की जगह एक ही स्थान पर स्नान की सुविधा मिलेगी. मेले की सुचारू व्यवस्था के लिए गंगा नदी के प्रवाह को एकरूप करना बहुत आवश्यक था. शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम नोज तक मां गंगा तीन धाराओं में बंटी हुई थीं. जिससे मेला क्षेत्र सीमित और अव्यवस्थित होता जा रहा था. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस चुनौती से निपटने के लिए मां गंगा की बायीं और दायीं धाराओं को एक प्रवाह में लाने की योजना बनाई गई.
आईआईटी गुवाहाटी की विशेषज्ञ टीम की मदद से मूल स्वरूप में लौटीं मां गंगा: योजना को साकार करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञ टीम की मदद ली गई. सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर संगम क्षेत्र के मां गंगा प्रवाह के विस्तार के लिए तीन विशाल ड्रेजिंग मशीनों को लगाया गया. शुरुआत में गंगा का तेज प्रवाह और ऊंचा जल स्तर इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा था. इससे ड्रेजिंग मशीनों को तेज धारा में स्थिर रखना और नदी की दोनों धाराओं को बीच की धारा में मिलाना कठिन हो रहा था. इस पर शास्त्री ब्रिज के पास तीनों ड्रेजरों को अलग-अलग बिंदुओं पर लगाया गया. साथ ही मेला क्षेत्र को विस्तार देने के लिए बालू की आवश्यकता थी. काम के दौरान मां गंगा की प्रबल धारा के कारण भारी-भरकम ड्रेजिंग मशीनें बार-बार अस्थिर हो रही थीं. डिस्चार्ज पाइप मुड़ जाते और मशीनों को नियंत्रित करना कठिन हो जाता. टीम ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बड़े एंकरों और पॉटून ब्रिज का सहारा लिया. मोटे रस्सों का उपयोग कर ड्रेजरों को नदी के किनारों से स्थिर रखा गया.
ड्रेजिंग कार्य तीन शिफ्टों में किया गया. जब तेज प्रवाह के कारण एक ड्रेजर का स्पड (समर्थन पिन) क्षतिग्रस्त हो गया और दूसरा किनारे की ओर धकेल दिया गया. तब भी टीम ने धैर्य नहीं खोया. अथक परिश्रम और समर्पण से गंगा की तीन धाराओं को एक प्रवाह में समाहित कर दिया गया. संगम क्षेत्र का सर्कुलेशन एरिया अब पहले से कहीं अधिक विस्तृत और सुव्यवस्थित है. गंगा के एक धारा में प्रवाहित होने से मेला क्षेत्र को करीब 22 हेक्टेयर अतिरिक्त जगह मिली है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एक साथ एक जगह पर स्नान कर सकेंगे. इस जगह को समतल करने के लिए पांच लाख मीट्रिक टन बालू की व्यवस्था की गई.
गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में रसायन मुक्त खेती को दिया जा रहा बढ़ावाः प्रदेश में गंगा जिन जिलों से गुजरती है उनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो, ताकि लीचिंग रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके. गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में नमामि गंगे योजना चलाई जा रही है. जिसके अंतर्गत रसायनमुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.