रांची: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम के दौरान 20 जनवरी को राज्य सरकार के द्वारा CRPF के विरुद्ध की गई कार्रवाई को गलत बताने और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कार्रवाई को सही बताने वाले बयान की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कठोर शब्दों में निंदा की है.
आज झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि राज्यपाल द्वारा आज दिया गया बयान अनावश्यक और अप्रत्याशित है. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन की जो भी व्याकुलताएं हैं उन्हें वह सार्वजनिक मंच पर नहीं बल्कि प्रक्रियागत व्यक्त करें. अन्यथा पार्टी और राज्य की जनता समझेगी कि राज्यपाल का बयान राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है और निंदनीय भी है.
संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राजनैतिक पहचान से अलग होना चाहिए राज्यपाल को- झामुमो: राज्यपाल के बयान की तीव्र भर्त्सना करते हुए उनके बयान को राजनीतिक से प्रेरित बताते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र और भारत के संविधान में संघीय शासन व्यवस्था के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल क्रमशः देश और राज्यों में संवैधानिक प्रमुख होते हैं. ऐसे में इन दोनों को अपने पूर्व के राजनैतिक पहचान से अलग हटकर निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से राज्यपाल ने आज एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान सीआरपीएफ की कार्रवाई को सही और राज्य सरकार की कार्रवाई को गलत बताया है, वह कहीं ना कहीं यह सवाल खड़ा करता है कि क्या राज्यपाल का बयान मर्यादित है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रेस रिलीज में यह कहा गया है कि राज्यपाल को यह ज्ञात होना चाहिए कि 20 जनवरी को ED के द्वारा जब मुख्यमंत्री का बयान दर्ज कराया जा रहा था उस समय राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त सुरक्षा कवच में ED के अधिकारी मुख्यमंत्री आवास दोपहर एक बजे पहुंचे थे, उनके द्वारा बयान दर्ज करने की प्रक्रिया की जा रही थी उसी दौरान अचानक अपराह्न 3:00 बजे के करीब 08 बसों में सीआरपीएफ के 500 के करीब महिला और पुरुष जवान, सीआरपीएफ के कमांडेंट तथा आईजी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास की ओर आए तथा उसके पश्चिम-दक्षिणी और पूर्वी दिशा को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की. तब रांची पुलिस ने उनके बिना सूचना उपस्थिति पर सवाल किया तब जबरन मुख्यमंत्री आवास तक पहुंची सीआरपीएफ के जवान बैरक में वापस लौट गए.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिंदुवार कई सवाल भी राज्यपाल के साथ सामने रखे हैं, जिसमें पहला यह कि संवैधानिक प्रमुख होने के साथ-साथ राज्यपाल को कार्यपालिका की भी पूरी जानकारी होती है क्योंकि प्रधान सचिव स्तर का अधिकारी उनके साथ नियुक्त रहते हैं. दूसरा यह कि कार्यपालिका में यह स्पष्ट है कि किसी भी राज्य में प्राकृतिक आपदाएं, आपातकालीन स्थिति या कानून व्यवस्था के बिगड़ने पर स्थानीय जिला के जिला दंडाधिकारी द्वारा भारत सरकार के अर्ध सैनिक बल सैन्य बल, एनडीआरएफ की मांग की जाती है तथा बलों की स्पष्ट संख्या भी बताई जाती है, जिसमें यूनिट, कंपनी एवं बटालियन की मांग की जाती है ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राजपाल महोदय को यह नहीं पता कि रांची जिला दंडाधिकारी ने ऐसी किसी तरह की मांग न तो गृह मंत्रालय से की और नहीं किसी अर्ध सैनिक बल की जरूरत थी.
क्या राज्यपाल को यह नहीं पता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा भी किसी तरह का सार्वजनिक आह्वान अपने कार्यकर्ताओं को नहीं किया गया था तथा कार्यकर्ताओं को रांची के मुख्यमंत्री निवास पहुंचने को नहीं कहा गया था. जो भी कार्यकर्ता मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे वह स्वतः स्फूर्त था, जिन्हें रांची जिला बल ने मुख्यमंत्री आवास से दूर ही रोक लिया था.
झामुमो ने अपने प्रेस रिलीज में लिखा है कि राज्यपाल महोदय को यह भी ज्ञात होना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष द्वारा सीआरपीएफ के 20 तारीख की उपस्थिति का संबंध में जो बयान उन्होंने आधिकारिक और सार्वजनिक रूप से दिए थे उन्हें शब्दों का उपयोगवह हिंदी भाषा की जगह अंग्रेजी भाषा में कर रहे हैं. ऐसे में एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के नाते उन्हें यह लगता है कि एक राजनीतिक दल के नेता का बयान राज्य के संवैधानिक प्रमुख के द्वारा दूसरी भाषा में उच्चरित होता है क्या यह इस ओर इशारा नहीं करता है कि जो बयान राज्यपाल देते हैं इसका निर्देशन और संप्रेषण कहीं और से हो रहा है.
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