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रांची में आयोजित एग्रोटेक किसान मेला का समापन, बोले राज्यपाल- खेती-किसानी सभी संस्कृति की जननी

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 5, 2024, 7:00 AM IST

Agrotech Kisan Fair. रांची में आयोजित एग्रोटेक मेला का समापन हो गया. मेला में कुल 130 स्टॉल लगाए गए थे. समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन शामिल हुए. उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया.

Agrotech Kisan Fair organized in Ranchi concludes
Agrotech Kisan Fair organized in Ranchi concludes

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला का समापन हो गया. किसान मेला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि कृषि यानी खेती-किसानी ही सभी संस्कृति की जननी है और बिना कृषि के किसी भी संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है. भारत सरकार द्वारा हरित क्रांति के जनक डॉ एम.एस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री, किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का जिक्र करते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों का सम्मान बढ़ाया है.

मैं भी किसान परिवार से आता हूंः राज्यपाल

एग्रोटेक किसान मेला 2024 के समापन समारोह में राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि मैं भी कई पीढ़ियों से किसान रहा हूं. अब तक साल में 4 महीने धान की खेती करता रहा हूं, इसलिए कृषि और किसान से जुड़े कार्यक्रम में जाने से ऐसा लगता है कि मैं अपने घर में आ गया हूं.

जापानी आम जैसा आम विकसित करें बीएयू के वैज्ञानिक

अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि जापान में आम का एक ऐसा प्रभेद है जो 3000 रुपये में बिकता है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक अगर इसी तरह का आम विकसित करें तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उनका जीवन खुशहाल होगा. राज्यपाल ने आम के जापानी प्रभेद के साथ साथ अन्य उन्नत किस्मों को झारखंड में लगाने, उसके लिए उपयुक्तता की जांच करने हेतु विशेष शोध प्रयास करने का सुझाव भी बीएयू के कृषि वैज्ञानिकों को दिया.

राज्यपाल ने कहा कि संभव है कि शोध में कई बार इच्छानुसार नतीजे नहीं आए, लेकिन तमाम विफलताओं के बावजूद प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए. विश्वविद्यालय हित, किसान हित में अपने वरिष्ठ जनों को भी खरी सलाह देने में कोई संकोच या हिचक नहीं रखने का कनीय पदाधिकारियों-कर्मचारियों को सलाह देते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि कई बार पद ओहदा में छोटे लोग भी राष्ट्र, समाज और संस्था के हित में बहुत नेक सलाह दे जाते हैं.

राज्यपाल ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों के हित में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है. राज्यपाल ने शोध प्रयासों और उपलब्धियों के लिए बीएयू की सराहना करते हुए निर्देश दिया कि किसानों के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थायी परामर्श केंद्र खोला जाए, जहां से किसानों को बिना किसी औपचारिकता के विशेषज्ञों से मुलाकात और जरूरी जानकारी मिल सके. किसान अपनी कृषि संबंधी तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें.

राज्यपाल ने जेनेटिक बीमारियों और एनिमल ब्रीडिंग से संबंधित डॉ नंदनी कुमारी की दो पुस्तकों, पशुपालन से संबंधित डॉ सुशील प्रसाद की एक पुस्तक तथा बिरसा किसान दैनंदिनी का लोकार्पण किया. उन्होंने मेला में विभिन्न प्रदर्शनी के विजेताओं तथा राज्य के सात अलग अलग जिलों से आए 7 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया. जिन प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल ने सम्मानित किया, उसमें धनबाद के कमल महतो, गिरिडीह के प्रदुमन महतो, खूंटी के निलेश कुमार, सरायकेला खरसावां के सोमराय मार्डी, रांची के राजेश्वर महतो, सिमडेगा के चूड़ामणि यादव और पश्चिमी सिंहभूम के पानी लागुरी का नाम शामिल है. उद्यान प्रदर्शनी में फूलों के वर्ग में भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), कांके को सर्वाधिक 06 तथा सब्जियों के वर्ग में होचर गांव (कांके) के रामकुमार साहू को सर्वाधिक 05 पुरस्कार प्राप्त हुए.

एग्रोटेक किसान मेले के समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने वैज्ञानिकों से अपील की कि झारखंड के किसानों के लिए उनकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, शैक्षणिक स्तर और सुविधा गम्य प्रौद्योगिकी विकसित - अनुशंसित करें. कैसे कम लागत और बदलते मौसम में भी खेती अच्छी हो इसके लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीएयू को देश की एक अग्रणी कृषि विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए जिन सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी, उसे पूरा किया जाएगा.

एग्रोटेक किसान मेला में कुल 130 स्टॉल लगाए गए थे, जहां बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों, राज्य में अवस्थित आईसीएआर के संस्थानों, बीज एवं उर्वरकों के विक्रेताओं, बैंक एवं वित्तीय संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों, टाटा ग्रुप के रांची कैंसर संस्थान, नर्सरी प्रतिष्ठानों आदि ने अपनी प्रौद्योगिकी, उत्पाद एवं सेवाएं प्रदर्शित की थी. कृषि परामर्श सेवा केंद्र में तीनों दिन बड़ी संख्या में किसानों ने कृषि संबंधी अपनी समस्याएं और जिज्ञासा वैज्ञानिकों के समक्ष रखी तथा उनके समाधान हेतु तकनीकी परामर्श प्राप्त किया.

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रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला का समापन हो गया. किसान मेला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि कृषि यानी खेती-किसानी ही सभी संस्कृति की जननी है और बिना कृषि के किसी भी संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है. भारत सरकार द्वारा हरित क्रांति के जनक डॉ एम.एस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री, किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का जिक्र करते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों का सम्मान बढ़ाया है.

मैं भी किसान परिवार से आता हूंः राज्यपाल

एग्रोटेक किसान मेला 2024 के समापन समारोह में राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि मैं भी कई पीढ़ियों से किसान रहा हूं. अब तक साल में 4 महीने धान की खेती करता रहा हूं, इसलिए कृषि और किसान से जुड़े कार्यक्रम में जाने से ऐसा लगता है कि मैं अपने घर में आ गया हूं.

जापानी आम जैसा आम विकसित करें बीएयू के वैज्ञानिक

अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि जापान में आम का एक ऐसा प्रभेद है जो 3000 रुपये में बिकता है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक अगर इसी तरह का आम विकसित करें तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उनका जीवन खुशहाल होगा. राज्यपाल ने आम के जापानी प्रभेद के साथ साथ अन्य उन्नत किस्मों को झारखंड में लगाने, उसके लिए उपयुक्तता की जांच करने हेतु विशेष शोध प्रयास करने का सुझाव भी बीएयू के कृषि वैज्ञानिकों को दिया.

राज्यपाल ने कहा कि संभव है कि शोध में कई बार इच्छानुसार नतीजे नहीं आए, लेकिन तमाम विफलताओं के बावजूद प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए. विश्वविद्यालय हित, किसान हित में अपने वरिष्ठ जनों को भी खरी सलाह देने में कोई संकोच या हिचक नहीं रखने का कनीय पदाधिकारियों-कर्मचारियों को सलाह देते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि कई बार पद ओहदा में छोटे लोग भी राष्ट्र, समाज और संस्था के हित में बहुत नेक सलाह दे जाते हैं.

राज्यपाल ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों के हित में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है. राज्यपाल ने शोध प्रयासों और उपलब्धियों के लिए बीएयू की सराहना करते हुए निर्देश दिया कि किसानों के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थायी परामर्श केंद्र खोला जाए, जहां से किसानों को बिना किसी औपचारिकता के विशेषज्ञों से मुलाकात और जरूरी जानकारी मिल सके. किसान अपनी कृषि संबंधी तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें.

राज्यपाल ने जेनेटिक बीमारियों और एनिमल ब्रीडिंग से संबंधित डॉ नंदनी कुमारी की दो पुस्तकों, पशुपालन से संबंधित डॉ सुशील प्रसाद की एक पुस्तक तथा बिरसा किसान दैनंदिनी का लोकार्पण किया. उन्होंने मेला में विभिन्न प्रदर्शनी के विजेताओं तथा राज्य के सात अलग अलग जिलों से आए 7 प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया. जिन प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल ने सम्मानित किया, उसमें धनबाद के कमल महतो, गिरिडीह के प्रदुमन महतो, खूंटी के निलेश कुमार, सरायकेला खरसावां के सोमराय मार्डी, रांची के राजेश्वर महतो, सिमडेगा के चूड़ामणि यादव और पश्चिमी सिंहभूम के पानी लागुरी का नाम शामिल है. उद्यान प्रदर्शनी में फूलों के वर्ग में भारतीय विधिक माप विज्ञान संस्थान (आईआईएलएम), कांके को सर्वाधिक 06 तथा सब्जियों के वर्ग में होचर गांव (कांके) के रामकुमार साहू को सर्वाधिक 05 पुरस्कार प्राप्त हुए.

एग्रोटेक किसान मेले के समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीकी ने वैज्ञानिकों से अपील की कि झारखंड के किसानों के लिए उनकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, शैक्षणिक स्तर और सुविधा गम्य प्रौद्योगिकी विकसित - अनुशंसित करें. कैसे कम लागत और बदलते मौसम में भी खेती अच्छी हो इसके लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बीएयू को देश की एक अग्रणी कृषि विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए जिन सुविधाओं की भी आवश्यकता होगी, उसे पूरा किया जाएगा.

एग्रोटेक किसान मेला में कुल 130 स्टॉल लगाए गए थे, जहां बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों, राज्य में अवस्थित आईसीएआर के संस्थानों, बीज एवं उर्वरकों के विक्रेताओं, बैंक एवं वित्तीय संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों, टाटा ग्रुप के रांची कैंसर संस्थान, नर्सरी प्रतिष्ठानों आदि ने अपनी प्रौद्योगिकी, उत्पाद एवं सेवाएं प्रदर्शित की थी. कृषि परामर्श सेवा केंद्र में तीनों दिन बड़ी संख्या में किसानों ने कृषि संबंधी अपनी समस्याएं और जिज्ञासा वैज्ञानिकों के समक्ष रखी तथा उनके समाधान हेतु तकनीकी परामर्श प्राप्त किया.

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