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पीएम मोदी ने रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव को किया याद, ब्लॉग लिखकर कहा- सदैव प्रेरणा के प्रतीक बने रहेंगे - PM modi tribute to Ramoji Rao Garu

Tribute to Ramoji Rao Garu : मीडिया दिग्गज चेरुकुरी रामोजी राव गारू का रविवार को रामोजी फिल्म सिटी में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. रामोजी राव ऐसी शख्सियत थे, जिनसे पीएम मोदी भी प्रभावित हैं. पीएम मोदी ने उन्हें याद करते हुए ब्लॉग लिखा है. विस्तार से पढ़िए.

PM modi tribute to Ramoji Rao Garu
पीएम मोदी के साथ रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 9, 2024, 7:13 PM IST

पिछले कई दिन राजनीति और मीडिया जगत के लोगों के लिए बहुत व्यस्त रहे हैं... लोकसभा चुनाव अभी संपन्न हुए हैं और अब हम लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की तैयारी में हैं. ऐसे समय में मुझे रामोजी राव गारू के निधन का दुखद समाचार मिला. हमारी बातचीत ऐसी थी कि यह नुकसान बेहद व्यक्तिगत लगता है.

जब मैं रामोजी राव गारू के बारे में सोचता हूं, तो मुझे एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति की याद आती है, जिनकी प्रतिभा का कोई सानी नहीं था. वह एक किसान परिवार से थे और उन्होंने सिनेमा, मनोरंजन, मीडिया, कृषि, शिक्षा और प्रशासन जैसी विविध दुनियाओं में अपनी गहरी छाप छोड़ी. लेकिन उनकी पूरी जीवन यात्रा के दौरान जो चीज आम रही, वह थी उनकी विनम्रता और जमीनी स्तर से जुड़ाव. इन गुणों ने उन्हें लोगों का प्रिय बना दिया.

Tribute to Ramoji Rao Garu
पीएम मोदी के साथ रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)

रामोजी राव गारू ने मीडिया क्षेत्र में क्रांति ला दी. उन्होंने इंट्रीग्रिटी, इनोवेशन और एक्सिलेंस के नए स्टैंडर्ड बनाए. वह समय के साथ चले और वह समय से आगे भी चले. ऐसे समय में जब समाचारों के सबसे प्रचलित स्रोत समाचार पत्र थे, उन्होंने ईनाडु की शुरुआत की.

1990 के दशक में जब भारत में टीवी का चलन बढ़ा, तो लोग ईटीवी से प्रभावित हुए. रामोजी राव ने गैर-तेलुगु भाषाओं के चैनलों भी शुरू किए. ये उनके 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता ही थी.

अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों से परे रामोजी राव गारू भारत के विकास को लेकर उत्साही थे. उन्होंने न्यूज रूम से आगे बढ़कर शैक्षिक, व्यावसायिक और सामाजिक मुद्दों पर भी प्रभाव डाला.

वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखते थे और उनकी फाइटिंग स्पिरिट सबसे अच्छी तरह तब देखी गई जब कांग्रेस पार्टी ने महान एनटीआर को परेशान किया और 1980 के दशक में उनकी सरकार को अनौपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया. उस समय केंद्र और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन वह डरने वालों में से नहीं थे...उन्होंने इन अलोकतांत्रिक प्रयासों का डटकर विरोध किया.

मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के कई अवसर मिले. मैं विभिन्न मुद्दों पर उनके विचारों को गहराई से महत्व देता हूं. मुख्यमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के बाद से मुझे उनसे बहुमूल्य सुझाव मिलते रहे हैं. वह हमेशा गुजरात में विशेष रूप से कृषि और शिक्षा में सुशासन प्रयासों के बारे में जानने के इच्छुक रहते थे.

2010 में किसी समय उन्होंने मुझे रामोजी फिल्म सिटी में आमंत्रित किया. उस बातचीत के दौरान वह बाल विश्वविद्यालय स्थापित करने के गुजरात के प्रयासों के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक थे. उनका प्रोत्साहन और समर्थन सदैव अटूट रहा. वह हमेशा मेरी खैरियत के बारे में पूछते रहते थे. 2012 में, जब मुझे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला, तो उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए मुझे एक बहुत ही मार्मिक पत्र भेजा.

जब हमने स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया, तो वह इस प्रयास के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक थे. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से और अपने मीडिया नेटवर्क के माध्यम से इसका समर्थन किया. यह रामोजी राव गारू जैसे दिग्गज ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम रिकॉर्ड समय में महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने और करोड़ों साथी भारतीयों की गरिमा को सुरक्षित रखने में भी सक्षम हैं.

मैं इसे बड़े गर्व की बात मानता हूं कि यह हमारी सरकार थी जिसे उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का सम्मान मिला. उनका साहस, सहज स्वभाव और समर्पण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. बाधाओं को अवसरों में कैसे बदला जाए, चुनौतियों को जीत में कैसे बदला जाए और असफलताओं को सफलता की सीढ़ी में कैसे बदला जाए, ये उनके जीवन से युवा पीढ़ी सीख सकती है.

पिछले कुछ दिनों से रामोजी राव गारू बीमार थे. चुनाव संबंधी गतिविधियों के बीच भी मैं उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछता रहता था. मुझे यकीन है कि वह हमारी सरकारों को शपथ लेते और सफलता हासिल करते हुए देखकर बहुत खुश होते. चाहे वह केंद्र में हो, या मेरे मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश हो.

हम अपने राष्ट्र और समाज के लिए उनके दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए काम करते रहेंगे. जैसा कि हम रामोजी राव गारू के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, मेरी हार्दिक संवेदना उनके परिवार, दोस्तों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति है. रामोजी राव गारू सदैव प्रेरणा के प्रतीक बने रहेंगे.

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Ramoji Rao Garu revolutionised the media space. He set new standards for integrity, innovation and excellence. He moved with the times and he moved ahead of the times too. At a time when newspapers were the most prevalent source of news he started Eenadu. In the 1990s, when India embraced the world of TV, he got off the mark with ETV. By venturing into channels in non-Telugu languages as well, he showed remarkable commitment to boosting the spirit of ‘Ek Bharat Shreshtha Bharat’.

Beyond his professional achievements, Ramoji Rao Garu was passionate about India's development. His efforts extended beyond the newsroom, impacting educational, business and social causes. He was a firm believer in democratic principles and this fighting spirit was best seen when the Congress Party harassed the great NTR and unceremoniously dismissed his Government in the 1980s. At that time the Congress was in power in the Centre and in Andhra Pradesh, but he was not someone to be scared…he resisted these undemocratic attempts tooth and nail.

I am fortunate to have had several opportunities to interact with him and benefit from his wisdom. I deeply valued his views on diverse issues. Since my days as Chief Minister, I have received valuable insights and feedback from him. He was always keen to know about good governance efforts especially in agriculture and education in Gujarat. Sometime in 2010, he invited me to Ramoji Film City. During that interaction, he was curious to know more about Gujarat’s efforts to establish a Children’s University, as he felt that such a concept was unheard of previously. His encouragement and support were always unwavering. He would always make it a point to ask about my wellbeing. In 2012, when I had the opportunity to become the Chief Minister for the 4th time, he sent me a very touching letter, expressing joy.

When we began the Swachh Bharat Mission, he was one of the strongest votaries of this effort, supporting it personally and through his media network. It is stalwarts like Ramoji Rao Garu who ensured that we are able to fulfil Mahatma Gandhi’s dream in record time and also ensure dignity to crores of fellow Indians.

I consider it a matter of great pride that it was our Government which had the honour of conferring the Padma Vibhushan upon him. His courage, resilience and dedication will continue to inspire generations. From his life, the younger generation can learn how to turn obstacles into opportunities, transform challenges into triumphs, and convert setbacks into stepping stones for success.

Since the last few days, Ramoji Rao Garu was ailing and even in the midst of the election related activities, I used to enquire about his health. I am sure he would have been very happy to see our Governments take oath and hit the ground running, be it at the Centre, or in Andhra Pradesh under the leadership of my friend, Chandrababu Naidu Garu. We will keep working to fulfil his vision for our nation and society. As we mourn Ramoji Rao Garu’s passing, my heartfelt condolences go out to his family, friends, and countless admirers. Ramoji Rao Garu will forever remain a beacon of inspiration.

पिछले कई दिन राजनीति और मीडिया जगत के लोगों के लिए बहुत व्यस्त रहे हैं... लोकसभा चुनाव अभी संपन्न हुए हैं और अब हम लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की तैयारी में हैं. ऐसे समय में मुझे रामोजी राव गारू के निधन का दुखद समाचार मिला. हमारी बातचीत ऐसी थी कि यह नुकसान बेहद व्यक्तिगत लगता है.

जब मैं रामोजी राव गारू के बारे में सोचता हूं, तो मुझे एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति की याद आती है, जिनकी प्रतिभा का कोई सानी नहीं था. वह एक किसान परिवार से थे और उन्होंने सिनेमा, मनोरंजन, मीडिया, कृषि, शिक्षा और प्रशासन जैसी विविध दुनियाओं में अपनी गहरी छाप छोड़ी. लेकिन उनकी पूरी जीवन यात्रा के दौरान जो चीज आम रही, वह थी उनकी विनम्रता और जमीनी स्तर से जुड़ाव. इन गुणों ने उन्हें लोगों का प्रिय बना दिया.

Tribute to Ramoji Rao Garu
पीएम मोदी के साथ रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव (ETV Bharat)

रामोजी राव गारू ने मीडिया क्षेत्र में क्रांति ला दी. उन्होंने इंट्रीग्रिटी, इनोवेशन और एक्सिलेंस के नए स्टैंडर्ड बनाए. वह समय के साथ चले और वह समय से आगे भी चले. ऐसे समय में जब समाचारों के सबसे प्रचलित स्रोत समाचार पत्र थे, उन्होंने ईनाडु की शुरुआत की.

1990 के दशक में जब भारत में टीवी का चलन बढ़ा, तो लोग ईटीवी से प्रभावित हुए. रामोजी राव ने गैर-तेलुगु भाषाओं के चैनलों भी शुरू किए. ये उनके 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता ही थी.

अपनी व्यावसायिक उपलब्धियों से परे रामोजी राव गारू भारत के विकास को लेकर उत्साही थे. उन्होंने न्यूज रूम से आगे बढ़कर शैक्षिक, व्यावसायिक और सामाजिक मुद्दों पर भी प्रभाव डाला.

वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखते थे और उनकी फाइटिंग स्पिरिट सबसे अच्छी तरह तब देखी गई जब कांग्रेस पार्टी ने महान एनटीआर को परेशान किया और 1980 के दशक में उनकी सरकार को अनौपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया. उस समय केंद्र और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन वह डरने वालों में से नहीं थे...उन्होंने इन अलोकतांत्रिक प्रयासों का डटकर विरोध किया.

मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के कई अवसर मिले. मैं विभिन्न मुद्दों पर उनके विचारों को गहराई से महत्व देता हूं. मुख्यमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के बाद से मुझे उनसे बहुमूल्य सुझाव मिलते रहे हैं. वह हमेशा गुजरात में विशेष रूप से कृषि और शिक्षा में सुशासन प्रयासों के बारे में जानने के इच्छुक रहते थे.

2010 में किसी समय उन्होंने मुझे रामोजी फिल्म सिटी में आमंत्रित किया. उस बातचीत के दौरान वह बाल विश्वविद्यालय स्थापित करने के गुजरात के प्रयासों के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक थे. उनका प्रोत्साहन और समर्थन सदैव अटूट रहा. वह हमेशा मेरी खैरियत के बारे में पूछते रहते थे. 2012 में, जब मुझे चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला, तो उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए मुझे एक बहुत ही मार्मिक पत्र भेजा.

जब हमने स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया, तो वह इस प्रयास के सबसे मजबूत समर्थकों में से एक थे. उन्होंने व्यक्तिगत रूप से और अपने मीडिया नेटवर्क के माध्यम से इसका समर्थन किया. यह रामोजी राव गारू जैसे दिग्गज ही हैं जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम रिकॉर्ड समय में महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने और करोड़ों साथी भारतीयों की गरिमा को सुरक्षित रखने में भी सक्षम हैं.

मैं इसे बड़े गर्व की बात मानता हूं कि यह हमारी सरकार थी जिसे उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का सम्मान मिला. उनका साहस, सहज स्वभाव और समर्पण पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. बाधाओं को अवसरों में कैसे बदला जाए, चुनौतियों को जीत में कैसे बदला जाए और असफलताओं को सफलता की सीढ़ी में कैसे बदला जाए, ये उनके जीवन से युवा पीढ़ी सीख सकती है.

पिछले कुछ दिनों से रामोजी राव गारू बीमार थे. चुनाव संबंधी गतिविधियों के बीच भी मैं उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछता रहता था. मुझे यकीन है कि वह हमारी सरकारों को शपथ लेते और सफलता हासिल करते हुए देखकर बहुत खुश होते. चाहे वह केंद्र में हो, या मेरे मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश हो.

हम अपने राष्ट्र और समाज के लिए उनके दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए काम करते रहेंगे. जैसा कि हम रामोजी राव गारू के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं, मेरी हार्दिक संवेदना उनके परिवार, दोस्तों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति है. रामोजी राव गारू सदैव प्रेरणा के प्रतीक बने रहेंगे.

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Ramoji Rao Garu revolutionised the media space. He set new standards for integrity, innovation and excellence. He moved with the times and he moved ahead of the times too. At a time when newspapers were the most prevalent source of news he started Eenadu. In the 1990s, when India embraced the world of TV, he got off the mark with ETV. By venturing into channels in non-Telugu languages as well, he showed remarkable commitment to boosting the spirit of ‘Ek Bharat Shreshtha Bharat’.

Beyond his professional achievements, Ramoji Rao Garu was passionate about India's development. His efforts extended beyond the newsroom, impacting educational, business and social causes. He was a firm believer in democratic principles and this fighting spirit was best seen when the Congress Party harassed the great NTR and unceremoniously dismissed his Government in the 1980s. At that time the Congress was in power in the Centre and in Andhra Pradesh, but he was not someone to be scared…he resisted these undemocratic attempts tooth and nail.

I am fortunate to have had several opportunities to interact with him and benefit from his wisdom. I deeply valued his views on diverse issues. Since my days as Chief Minister, I have received valuable insights and feedback from him. He was always keen to know about good governance efforts especially in agriculture and education in Gujarat. Sometime in 2010, he invited me to Ramoji Film City. During that interaction, he was curious to know more about Gujarat’s efforts to establish a Children’s University, as he felt that such a concept was unheard of previously. His encouragement and support were always unwavering. He would always make it a point to ask about my wellbeing. In 2012, when I had the opportunity to become the Chief Minister for the 4th time, he sent me a very touching letter, expressing joy.

When we began the Swachh Bharat Mission, he was one of the strongest votaries of this effort, supporting it personally and through his media network. It is stalwarts like Ramoji Rao Garu who ensured that we are able to fulfil Mahatma Gandhi’s dream in record time and also ensure dignity to crores of fellow Indians.

I consider it a matter of great pride that it was our Government which had the honour of conferring the Padma Vibhushan upon him. His courage, resilience and dedication will continue to inspire generations. From his life, the younger generation can learn how to turn obstacles into opportunities, transform challenges into triumphs, and convert setbacks into stepping stones for success.

Since the last few days, Ramoji Rao Garu was ailing and even in the midst of the election related activities, I used to enquire about his health. I am sure he would have been very happy to see our Governments take oath and hit the ground running, be it at the Centre, or in Andhra Pradesh under the leadership of my friend, Chandrababu Naidu Garu. We will keep working to fulfil his vision for our nation and society. As we mourn Ramoji Rao Garu’s passing, my heartfelt condolences go out to his family, friends, and countless admirers. Ramoji Rao Garu will forever remain a beacon of inspiration.

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