नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी सप्ताह भूटान की यात्रा पर जाने वाले हैं. इससे पहले वह 2014 और 2019 में भी भूटान जा चुके हैं. पिछले सप्ताह भूटान के पीएम शेरिंग टोबगे भारत के दौरे पर आए थे. 14 मार्च को उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. टोबगे इसी साल दूसरी बार पीएम बने हैं. उसके बाद उनका पहला दौरा भारत था.
दोनों प्रधानमंत्रियों की बैठक के बाद संयुक्त बयान में भारत ने कहा कि भूटान नरेश जिगमे खेसर नामग्याल के विजन के मुताबिक भारत भूटान को हाई-इनकम वाले देश बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है. भारत भूटान में ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश जारी रखेगा. रोड, रेल, शिक्षा, स्किल और सांस्कृतिक संरक्षा में निवेश प्राथमिकता में हैं.
भारत के विदेश मंत्रालय को 2024-25 में 22154 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं. इनमें से भूटान को 2068 करोड़ रुपये पड़ोसी प्रथम की नीति के तहत दिया जा चुका है. भूटान को आर्थिक पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए टोबगे ने भारत की मदद से 15 बिलि. डॉलर के महत्वाकांक्षी आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. योजनाओं को लागू करने के लिए उन्होंने स्पेशल टीम भी बनाई है. टीम ने अपना काम भी शुरू कर दिया है.
भूटान में हुए चुनाव के दौरान टोबगे ने कहा था कि उनके देश में बेरोजगारी दर 28.6 फीसदी तक चला गया है, जबकि आर्थिक विकास की दर महज 1.7 फीसदी तक सीमित है. नॉन हाइड्रो सेक्टर में भूटान पर 108 बि. डॉलर का कर्ज है. राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. लोग पलायन कर रहे हैं.
टोबगे के अनुसार 2022 के आंकड़े बताते हैं कि भूटान में 80614 लोग गरीबी में जी रहे हैं. यह पूरी आबादी का आठवां हिस्सा है. रोजगार की तलाश में भूटानी नागरिक देश छोड़कर बाहर जा रहे हैं. इसकी वजह से देश का जन्मदर प्रभावित हुआ है. 2.1 फीसदी की जगह पर यह 1.8 फीसदी रह गया है.
भारत ने भूटान के 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 4500 करोड़ रुपये का सहयोग दिया है. भूटान को जितनी भी बाहर से सहायता मिलती है, यह उसका 73 फीसदी है.
भूटान ने गेलेफू स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव क्षेत्र (एसएआर) की घोषणा की है. इस क्षेत्र में उद्योग या निवेश लगाने वालों को भूटान काफी राहत दे रहा है. भारत ने भी इस घोषणा की प्रशंसा की है. भूटान का यह क्षेत्र असम से सटा हुआ है. यह भूटान के सरपंग जिले में आता है. असम का चिरांग जिला इससे सटा हुआ है. गेलेफू भारत से भूटान के तीन प्रवेश बिंदुओं में से एक है. दो अन्य इलाके हैं सैमद्रुप जोंगखर और फुंटशोलिंग.
असम और पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों से होते हुए गेलेफू या सैमद्रुप जोंगखार से म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस, वियतनाम, मलेशिया और सिंगापुर तक दक्षिण एशिया को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने वाला एक आर्थिक गलियारा है. इसलिए भूटान ने गेलेफू को कार्यकारी स्वायत्ता प्रदान किया है, साथ ही उसे कानूनी मामलों में भी राहत प्रदान की है.
भारत और भूटान के बीच हुई बैठक में दोनों पक्षों ने 1020 मेगावाट पुनातशांगचू-II हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना के निर्माण में प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और 2024 में इसके चालू होने की उम्मीद जताई. उन्होंने पुनातशांगचू-I जलविद्युत परियोजना पर आगे बढ़ने के लिए तकनीकी रूप से सुरक्षित और लागत प्रभावी रास्ता खोजने की दिशा में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.
पुनातशांगचू-II की पूरी फंडिंग भारत ने की है. अक्टूबर 2024 में इसकी कमीशनिंग होनी है. पिछले महीने, इसके चालू होने से पहले, प्रधान मंत्री तोबगे ने भारतीय राजदूत सुधाकर दलेला की उपस्थिति में परियोजना के प्रारंभिक जलाशय भरने का उद्घाटन किया था. जलविद्युत ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के अंतिम चरण में जलाशय भरना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है.
पुनातशांगचू-II भूटान के वांग्डू फोडरंग जिले में एक रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रोइलेक्ट्रिक उत्पादन सुविधा है. यह परियोजना भारत सरकार और भूटान सरकार के बीच एक अंतर-सरकारी समझौते के तहत पुनातसांगचू-II जलविद्युत परियोजना प्राधिकरण (पीएचपीए-द्वितीय) द्वारा विकसित की जा रही है.
अब तक भारत ने भूटान में चार बड़े हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्टस का निर्माण किया है. इसकी कुल कैपेसिटी 2136 मेगावाट है. इसमें चुखा भी शामिल है, जिसकी क्षमता 336 मेगावाट की है. इसके अलावा 60 मेगावाट की कुरिचू एचईपी, 1,020 मेगावाट की ताला एचईपी और हाल ही में चालू हुई 720 मेगावाट की मंगदेचू एचईपी शामिल है.
दोनों देशों ने दो रेल-लिंक बनारहाट (पश्चिम बंगाल)-सामत्से (भूटान) और कोकराझार (असम)-गेलेफू (भूटान) की स्थापना की दिशा में प्रगति पर गौर किया. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) भूटानी पक्ष के परामर्श से दो रेल-लिंक का अंतिम सर्वेक्षण (एफएलएस) कर रहा है.
असम के कोकराझार और भूटान के गेलेफू के बीच 57.5 किमी रेल लाइन अंतिम चरण में है. असम के दादगिरी में लैंड कस्टम स्टेशन को अपग्रेड करने पर सहमति बन गई है. इसी तरह से गेलफू को भी अपग्रेड किया जाएगा.
क्योंकि भारत में चुनाव आचार संहिता लागू है, लिहाजा पीएम मोदी शायद ही किसी बड़ी घोषणा या समझौते का ऐलान करें. हां, पीएम मोदी की इस यात्रा का महत्व चीन के परिप्रेक्ष्य में जरूर है. भूटान चीन के साथ 477 किमी का बॉर्डर साझा करता है. चीन 1961 से ही भूटान के एक इलाके पर दावा करता आ रहा है. 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम की घटना हुई. डोकलाम में चीन, भूटान और भारत की सीमाएं मिलती हैं. विवाद उस समय उत्पन्न हुआ, जब चीन ने भूटान की जमीन पर सड़क विस्तार को अंजाम देने की कोशिश की.
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