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भारत-बांग्लादेश संबंध: क्यों नई दिल्ली उम्मीद लगाए बैठी रहेगी? - India Bangladesh Relation

India-Bangladesh Ties: नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस सोमवार को प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का कार्यभार संभाल सकते हैं.

शेख हसीने और पीएम मोदी
शेख हसीने और पीएम मोदी (ANI)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Aug 7, 2024, 1:57 PM IST

नई दिल्ली: सोमवार को नाटकीय घटनाक्रम के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं, मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. इससे भारत को राहत की सांस मिलेगी, हालांकि यह राहत थोड़े समय के लिए ही होगी.

पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को हसीना सरकार द्वारा एक खतरे के रूप में देखा गया था, क्योंकि उन्होंने 2007 में संसदीय चुनाव से पहले अंतरिम सरकार के सत्ता में आने पर कथित तौर पर राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा जताई थी. हालांकि,चुनाव के बाद हसीना फिर से सत्ता में लौट आईं.

हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने यूनुस की ग्रामीण बैंक ऑफ बांग्लादेश पर अधिक नियंत्रण की मांग की. ग्रामीण बैंक ऑफ बांग्लादेश देश की एक प्रभावशाली संस्था है, जो लाखों गरीब व्यक्तियों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है. हसीना के कंट्रोल की मांग के बाद सरकार का यूनुस के साथ विवाद हुआ. इतना ही नहीं 2011 में यूनुस को ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक के पद से इस आधार पर हटा दिया गया था कि उन्होंने अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु पार कर ली है. इस कदम को व्यापक रूप से राजनीति से प्रेरित और उनके प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से देखा गया.

धन के दुरुपयोग का आरोप
सरकार ने यूनुस पर वित्तीय कुप्रबंधन और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया, हालांकि अंतरराष्ट्रीय जांचों में इन दावों को काफी हद तक खारिज कर दिया गया. फिर भी, इन आरोपों का इस्तेमाल उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किया गया. यूनुस और उनके सहयोगियों को कई कानूनी चुनौतियों और विनियामक दबावों का सामना करना पड़ा, जिसमें राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड और भ्रष्टाचार निरोधक आयोग द्वारा जांच शामिल है. इन कार्रवाइयों को उन्हें डराने और बदनाम करने के प्रयास के रूप में देखा गया.

यूनुस के उत्पीड़न ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया. इसके चलते बांग्लादेश सरकार की आलोचना हुई. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित प्रमुख वैश्विक हस्तियों ने यूनुस के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है, जिससे हसीना सरकार के साथ उनके रिश्ते और भी खराब हो गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों को किया खराब
यूनुस के खिलाफ सरकार की कार्रवाई नागरिक समाज संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और उनके प्रभाव को सीमित करने की व्यापक प्रवृत्ति को भी दर्शाती है. ग्रामीण बैंक की स्वतंत्र स्थिति और यूनुस के वैश्विक संबंधों को राज्य सत्ता के लिए चुनौती के रूप में देखा गया. यूनुस के उत्पीड़न ने कई पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों को खराब कर दिया.

हालांकि, इन सबके बावजूद यूनुस का भारत के साथ बहुआयामी संबंध रहा है. उनका प्रभाव और संपर्क आर्थिक विकास, सामाजिक उद्यमिता और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है. बांग्लादेशी शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शरीन शाजहां नाओमी ने ईटीवी भारत से कहा, "बांग्लादेश में लोग यूनुस को पसंद करते हैं. वे सत्ता में नए चेहरे को पसंद करेंगे. अगर यूनुस सत्ता संभालते हैं, तो भारत और रूस को कोई आपत्ति नहीं होगी. वह अब तक के सबसे पारदर्शी व्यक्ति हैं. उन्हें सभी महाशक्तियां पसंद करती हैं."

भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंधों को जारी रखना चाहते हैं यूनुस
सोमवार को हसीना के ढाका से भाग जाने के बाद, यूनुस के हवाले से कहा गया कि वह भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंधों को जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि दोनों देश पड़ोसी हैं. SKS माइक्रोफाइनेंस (अब भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड) और बंधन बैंक जैसे संगठनों ने यूनुस के सिद्धांतों से बहुत कुछ सीखा है. इन संस्थानों ने भारत में लाखों कम आय वाले व्यक्तियों के लिए वित्तीय समावेशन में योगदान दिया है.

नई दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में बांग्लादेशी शोध विद्वान शहादत हुसैन के अनुसार हसीना का सरकार से जाना नई दिल्ली के लिए एक झटका है, लेकिन जब तक यूनुस प्रभारी हैं, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध ठीक रहेंगे. हुसैन ने कहा, "बांग्लादेश में नए चुनाव होने में समय लगेगा. कम से कम अगले तीन से छह महीनों तक, भारत-बांग्लादेश संबंधों में कोई बदलाव नहीं दिखेगा. हो सकता है कि नई दिल्ली में एक नया राजदूत तैनात किया जाए जो नए एजेंडे के साथ आए."

यह भी पढ़ें- भारत पश्चिम एशिया की यात्रा पर प्रतिबंध क्यों लगा रहा है?

नई दिल्ली: सोमवार को नाटकीय घटनाक्रम के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं, मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है. इससे भारत को राहत की सांस मिलेगी, हालांकि यह राहत थोड़े समय के लिए ही होगी.

पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को हसीना सरकार द्वारा एक खतरे के रूप में देखा गया था, क्योंकि उन्होंने 2007 में संसदीय चुनाव से पहले अंतरिम सरकार के सत्ता में आने पर कथित तौर पर राजनीति में प्रवेश करने की इच्छा जताई थी. हालांकि,चुनाव के बाद हसीना फिर से सत्ता में लौट आईं.

हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने यूनुस की ग्रामीण बैंक ऑफ बांग्लादेश पर अधिक नियंत्रण की मांग की. ग्रामीण बैंक ऑफ बांग्लादेश देश की एक प्रभावशाली संस्था है, जो लाखों गरीब व्यक्तियों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करती है. हसीना के कंट्रोल की मांग के बाद सरकार का यूनुस के साथ विवाद हुआ. इतना ही नहीं 2011 में यूनुस को ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक के पद से इस आधार पर हटा दिया गया था कि उन्होंने अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु पार कर ली है. इस कदम को व्यापक रूप से राजनीति से प्रेरित और उनके प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से देखा गया.

धन के दुरुपयोग का आरोप
सरकार ने यूनुस पर वित्तीय कुप्रबंधन और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया, हालांकि अंतरराष्ट्रीय जांचों में इन दावों को काफी हद तक खारिज कर दिया गया. फिर भी, इन आरोपों का इस्तेमाल उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किया गया. यूनुस और उनके सहयोगियों को कई कानूनी चुनौतियों और विनियामक दबावों का सामना करना पड़ा, जिसमें राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड और भ्रष्टाचार निरोधक आयोग द्वारा जांच शामिल है. इन कार्रवाइयों को उन्हें डराने और बदनाम करने के प्रयास के रूप में देखा गया.

यूनुस के उत्पीड़न ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया. इसके चलते बांग्लादेश सरकार की आलोचना हुई. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित प्रमुख वैश्विक हस्तियों ने यूनुस के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है, जिससे हसीना सरकार के साथ उनके रिश्ते और भी खराब हो गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों को किया खराब
यूनुस के खिलाफ सरकार की कार्रवाई नागरिक समाज संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और उनके प्रभाव को सीमित करने की व्यापक प्रवृत्ति को भी दर्शाती है. ग्रामीण बैंक की स्वतंत्र स्थिति और यूनुस के वैश्विक संबंधों को राज्य सत्ता के लिए चुनौती के रूप में देखा गया. यूनुस के उत्पीड़न ने कई पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों को खराब कर दिया.

हालांकि, इन सबके बावजूद यूनुस का भारत के साथ बहुआयामी संबंध रहा है. उनका प्रभाव और संपर्क आर्थिक विकास, सामाजिक उद्यमिता और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है. बांग्लादेशी शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता शरीन शाजहां नाओमी ने ईटीवी भारत से कहा, "बांग्लादेश में लोग यूनुस को पसंद करते हैं. वे सत्ता में नए चेहरे को पसंद करेंगे. अगर यूनुस सत्ता संभालते हैं, तो भारत और रूस को कोई आपत्ति नहीं होगी. वह अब तक के सबसे पारदर्शी व्यक्ति हैं. उन्हें सभी महाशक्तियां पसंद करती हैं."

भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंधों को जारी रखना चाहते हैं यूनुस
सोमवार को हसीना के ढाका से भाग जाने के बाद, यूनुस के हवाले से कहा गया कि वह भारत के साथ बांग्लादेश के अच्छे संबंधों को जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि दोनों देश पड़ोसी हैं. SKS माइक्रोफाइनेंस (अब भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड) और बंधन बैंक जैसे संगठनों ने यूनुस के सिद्धांतों से बहुत कुछ सीखा है. इन संस्थानों ने भारत में लाखों कम आय वाले व्यक्तियों के लिए वित्तीय समावेशन में योगदान दिया है.

नई दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में बांग्लादेशी शोध विद्वान शहादत हुसैन के अनुसार हसीना का सरकार से जाना नई दिल्ली के लिए एक झटका है, लेकिन जब तक यूनुस प्रभारी हैं, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध ठीक रहेंगे. हुसैन ने कहा, "बांग्लादेश में नए चुनाव होने में समय लगेगा. कम से कम अगले तीन से छह महीनों तक, भारत-बांग्लादेश संबंधों में कोई बदलाव नहीं दिखेगा. हो सकता है कि नई दिल्ली में एक नया राजदूत तैनात किया जाए जो नए एजेंडे के साथ आए."

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