नई दिल्ली: 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की ओर से शुरू की गई वित्तीय समावेशन योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) भी है, जिसका उद्देश्य देश की बैंकिंग सेवाओं से वंचित आबादी को बैंकिंग, बचत, जमा खाते, प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक सस्ती पहुंच प्रदान करना है.
मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि भाइयों और बहनों, मैं आजीदी के इस पर्व पर एक योजना शुरू करने का संकल्प लेकर आया हूं. इसका नाम होगा प्रधानमंत्री जनधन योजना. मैं इस योजना के जरिए देश के सबसे गरीब नागरिकों को बैंक खातों की सुविधा से जोड़ना चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि ऐसे लाखों परिवार हैं जिनके पास मोबाइल फोन तो हैं, लेकिन बैंक खाते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमें इस परिदृश्य को बदलना होगा. देश के आर्थिक संसाधनों का उपयोग गरीबों की भलाई के लिए किया जाना चाहिए. इसी बिंदु से बदलाव की शुरुआत होगी. यह योजना खिड़की खोलेगी. PMJDY को औपचारिक रूप से 28 अगस्त, 2014 को लॉन्च किया गया था. वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की ओर से संचालित इस योजना के तहत उद्घाटन के दिन 15 मिलियन बैंक खाते खोले गए.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इस उपलब्धि को मान्यता देते हुए कहा कि वित्तीय समावेशन अभियान के तहत एक सप्ताह में खोले गए सबसे अधिक बैंक खाते 18,096,130 हैं. यह भारत सरकार की ओर से 23 से 29 अगस्त, 2014 के बीच हासिल किया गया था. योजना के शुभारंभ के अवसर पर मोदी ने घोषणा की कि आइए आज के दिन को वित्तीय स्वतंत्रता के दिन के रूप में मनाएं.
PMJDY में क्या शामिल है?: इस योजना का उद्देश्य भारत के हर परिवार को कम से कम एक बुनियादी बैंक खाते तक पहुंच प्रदान करना है. यह वित्तीय समावेशन के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे लोग सुरक्षित रूप से पैसे बचा सकें और औपचारिक ऋण प्रणालियों तक पहुंच सकें.
PMJDY खाते शून्य शेष राशि के साथ खोले जा सकते हैं. हालांकि, यदि खाताधारक चेक बुक प्राप्त करना चाहता है, तो उसे न्यूनतम शेष राशि मानदंड को पूरा करना होगा. प्रत्येक खाताधारक को RuPay डेबिट कार्ड प्रदान किया जाता है, जो 2 लाख रुपये के इनबिल्ट दुर्घटना बीमा कवर के साथ आता है (अगस्त 2018 में 1 लाख रुपये से दोगुना).
यह योजना छह महीने के संतोषजनक संचालन के बाद प्रति परिवार एक खाते में 10,000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करती है. ओवरड्राफ्ट की सीमा मूल रूप से 5,000 रुपये थी और बाद में इसे बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया. यह योजना 26 जनवरी, 2015 से पहले खाता खोलने वाले पात्र लाभार्थियों को 30,000 रुपये का जीवन बीमा कवर भी प्रदान करती है.
योजना के खातों का उपयोग प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत लाभार्थियों को सीधे सरकारी सब्सिडी और अन्य लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, जिससे लीकेज कम हो और पारदर्शिता सुनिश्चित हो. इस योजना में खाताधारकों को बचत के लाभों, उचित वित्तीय प्रबंधन और बैंकिंग सेवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के बारे में शिक्षित करने के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम भी शामिल हैं.
योजना की अब तक क्या उपलब्धियां रही हैं?: पीएमजेडीवाई वेबसाइट पर पोस्ट की गई प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 31 जुलाई तक 52.99 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश (35.37 करोड़) ग्रामीण और अर्ध-शहरी बैंक शाखाओं में हैं. शहरी और मेट्रो बैंक शाखाओं में 17.72 करोड़ खाते खोले गए हैं. कुल लाभार्थियों में से 35.97 करोड़ को RuPay डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं.
इन खातों में कुल जमा राशि 2.28 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है, जो बचत और वित्तीय लेनदेन के लिए इन खातों के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है. इन खातों का एक बड़ा प्रतिशत सक्रिय है, जो दर्शाता है कि लाभार्थी नियमित रूप से इन खातों का लेनदेन के लिए उपयोग कर रहे हैं.
पीएमजेडीवाई खाताधारकों में से लगभग 56 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने में योजना की भूमिका को उजागर करता है. इनमें से काफी संख्या में खातों को आधार कार्ड से जोड़ा गया है, जिससे लाभार्थियों के खातों में सीधे सरकारी लाभ और सब्सिडी की आसान और अधिक कुशल डिलीवरी की सुविधा मिलती है.
इस योजना ने बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच से वंचित लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी की है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों और हाशिए पर पड़े समुदायों को विशेष रूप से लाभ हुआ है. RuPay डेबिट कार्ड की शुरुआत और डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के साथ, इस योजना ने डिजिटल भुगतान प्रणालियों के उपयोग को प्रोत्साहित किया है, जो सरकार के कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण है. कोविड-19 महामारी के दौरान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लाखों लोगों को वित्तीय सहायता वितरित करने में PMJDY खातों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस योजना की चुनौतियां और आलोचनाएं क्या हैं?: इस योजना की विपक्ष द्वारा आलोचना की गई है, उनका दावा है कि इसने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर अनावश्यक कार्य-बोझ डाला है. आलोचकों के अनुसार, शून्य शेष, मुफ्त बीमा और ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसे ऑफर के परिणामस्वरूप दोहराव होगा. कई व्यक्ति जिनके पास पहले से ही बैंक खाते हैं, उन्होंने बीमा कवर और ओवरड्राफ्ट सुविधा के लालच में अपने नाम से खाते बनवाए होंगे.
इसके अलावा, जबकि भारत सरकार इस योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही थी, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को प्रति माह एक निश्चित संख्या से अधिक बार एटीएम लेनदेन करने के लिए ग्राहकों से शुल्क लेने की अनुमति दी. इसने लोगों को अपनी बचत तक आसानी से पहुंचने से प्रभावी रूप से रोका और उन्हें औपचारिक बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने से हतोत्साहित किया.
खातों का एक हिस्सा निष्क्रिय बना हुआ है, जिसका अर्थ है कि उनका नियमित रूप से लेनदेन के लिए उपयोग नहीं किया जा रहा है. यह दर्शाता है कि पहुंच में सुधार होने के बावजूद उपयोग अभी भी एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
हालांकि इस योजना में वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम शामिल हैं, लेकिन ग्रामीण आबादी के बीच वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की समझ में अभी भी एक महत्वपूर्ण अंतर है, जो योजना की पूरी क्षमता को सीमित करता है. ओवरड्राफ्ट सुविधा का भी खाताधारकों की ओर से पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है, आंशिक रूप से जागरूकता की कमी और आंशिक रूप से सख्त पात्रता मानदंडों के कारण.
आगे का रास्ता क्या है? : सरकार जन धन 2.0 के नाम से जाने जाने वाले पीएमजेडीवाई योजना को और बेहतर बनाने पर काम कर रही है. इसमें खाताधारकों के लिए उपलब्ध वित्तीय उत्पादों के दायरे को बढ़ाना, वित्तीय साक्षरता को बढ़ाना और बेहतर सेवा वितरण के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना शामिल है. खाताधारकों के बीच डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए पीएमजेडीवाई को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत अन्य पहलों, जैसे कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और भारत इंटरफेस फॉर मनी (भीम) के साथ तेजी से एकीकृत किया जा रहा है.
उद्यमिता और छोटे व्यवसायों का समर्थन करने के लिए पीएमजेडीवाई खाताधारकों के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार करने के प्रयास किए जा रहे हैं, विशेष रूप से माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से. संक्षेप में, चुनौतियों और आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद, पीएमजेडीवाई ने 1.4 बिलियन की आबादी वाले देश में सरकार की वित्तीय समावेशन रणनीति की आधारशिला के रूप में काम किया है.