हरारे : अफ्रीका के कई देशों को इन दिनों सूखे का सामना करना पड़ रहा है. इनमें जिम्बॉब्वे की बात की जाए तो यहां पर 40 साल में अब तक का सबसे भयानक सूखा पड़ा है. यही वजह है कि सूखे के कारण फसल नहीं हो रही है. फलस्वरूप वहां के लोगों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है. इसको देखते हुए सरकार ने लोगों का पेट भरने के लिए 200 हाथियों को मारने का आदेश दिया है. ये आदेश विशेष रूप से उन समुदायों के लिए है जो भयानक भूख से जूझ रहे हैं.
Villagers from Matabeleland North Province, home to Zimbabwe’s largest game park, have welcomed the government’s recent announcement to cull 200 elephants to provide protein to starving communities.https://t.co/Nx3hQx2FUQ
— Pindula (@WeArePindula) September 17, 2024
जिम्बॉब्वे की सरकार ने लोगों का पेट भरने के लिए हाथियों का मांस खिलाने का निर्णय लिया है. इसका खुलासा जिम्बॉब्वे की वाइल्डलाइफ अथॉरिटी ने किया है. जिम्बाब्वे में भुखमरी और सूखे के हालात के कारण जानवरों के शिकार में इजाफा हो रहा है. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि देश की करीब आधी आबादी भुखमरी की चपेट में है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिम्बाब्वे पार्क एवं वाइल्डलाइफ अथॉरिटी के प्रवक्ता तिनशे फरावो ने पुष्टि की है कि सरकार ने 200 हाथियों को मारने की योजना बनाई है.
सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि भोजन की गंभीर कमी को पूरा किए जाने के साथ ही लोगों का पेट भरा जा सके. हालांकि जानवरों की हत्या को लेकर यह फैसला विवादास्पद है और इससे वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है बल्कि जीवों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो सकता है.
नामीबिया में मारे जा चुके हैं कई हाथी
नामीबिया में भी 83 हाथियों को मारने के बाद उनका मांस भूखे इंसानों को खिलाया गया था. जिम्बाब्वे की तरह नामीबिया में भी भुखमरी की समस्या को कम करने की कोशिश की गई थी। अफ्रीका के पांच प्रमुख इलाकों—जिम्बाब्वे, जांबिया, बोत्सवाना, अंगोला, और नामीबिया में 2 लाख से ज्यादा हाथी रहते हैं, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हाथियों की आबादी का हिस्सा हैं.
मारने से हाथियों आबादी होती है कंट्रोल
जिम्बाब्वे पार्क और वाइल्डलाइफ अथॉरिटी के प्रवक्ता तिनाशे फरावो ने कहा कि हाथियों को मारने से उनकी आबादी नियंत्रित रखने में मदद मिलती है. इससे जंगलों में उनकी भीड़ कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि देश के जंगलों की क्षमता केवल 55,000 हाथियों को संभालने की है, जबकि इस समय 84,000 से अधिक हाथी वहां पर मौजूद हैं.
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