दुबई: संयुक्त अरब अमीरात का दुबई एशिया के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है. दुनियाभर के लोग यहां प्रॉपर्टी खरीदने के लिए उत्सुक रहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुबई में 29,700 भारतीयों के पास सबसे ज्यादा 35 हजार प्रॉपर्टीज हैं. इसके बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान का नंबर आता है.
अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता संगठन 'ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' की 'दुबई अनलॉक्ड' टाइटल वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि दुबई की पैंतीस हजार प्रॉपर्टीज के मालिक 29 हजार 700 भारतीय नागरिक हैं. इस रिपोर्ट को दुनिया की 70 से अधिक पत्रकारिता संस्थाओं और पत्रकारों ने मिलकर तैयार किया है.
इस रिपोर्ट में दुबई की रियल एस्टेट मार्केट में पूंजी निवेश करने वाले कई नाम और उनसे जुड़ी बातें सामने आई हैं. इस रिपोर्ट में ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने दुबई में सैंकड़ों की संख्या में प्रॉपर्टी खरीद रखी हैं. इनमें नेता और कई क्रिमिनल भी शामिल हैं.
क्या है दुबई अनलॉक?
'दुबई अनलॉक' दुबई में रियल एस्टेट के मालिकों की एक इंटरनेशनल इंवेस्टिगेशन प्रोजेक्ट है. इसमें 70 से अधिक मीडिया आउटलेट्स शामिल हैं. यह बताता है कि मिडिल ईस्ट्रन फाइनेंशियल हब में किसके पास क्या है और कैसे शहर ने दुनिया भर में सैंकड़ों क्रिमिनलों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं?
दुबई अनलॉक अन्य जांचों से कैसे अलग है?
दुबई को सालों से अवैध कैश के शोधन के लिए एक अहम डेस्टिनेशन माना जाता है. इसके रियल एस्टेट बाजार में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए पैसा निवेश किया जाता है. जहां एक ओर अन्य जांचों ने स्पेसिफिक क्षेत्रों और देशों के लोगों की संपत्ति होल्डिंग्स पर ध्यान केंद्रित किया है. वहीं, दुबई अनलॉक का फोक्स वैश्विक स्तर पर शहर में प्रॉपर्टी खरीदने वालों पर है.
इसकी रिपोर्ट 2020 और 2022 में बड़े पैमाने पर लीक हुए संपत्ति रिकॉर्ड के अपडेट डेटा पर आधारित है. रिपोर्टरों ने दुबई के सैकड़ों संपत्ति मालिकों की पहचान की है. इनमें कथित मनी लॉन्ड्रर्स और ड्रग माफियाओं से लेकर भ्रष्टाचार के आरोपी राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं.
दुबई मनी लॉन्ड्रिंग का सेंटर क्यों है?
दुबई एकमात्र ऐसा शहर नहीं है जहां अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को रियल एस्टेट के माध्यम से अपने पैसे को व्हाइट करने के लिए जाना जाता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यहां कई ऐसी चीज हैं, जो उन लोगों को आकर्षित करती हैं, जो कानून प्रवर्तन या प्रतिबंधों से भाग रहे हैं.
हाल तक, संयुक्त अरब अमीरात में कई देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं थी, जिससे यह दुनिया भर के भगोड़ों के लिए पसंदीदा स्थान बन गया था. यहां कुछ रियल एस्टेट एजेंट अपने ग्राहकों से धन की उत्पत्ति के बारे में ज्यादा सवाल नहीं पूछते थे. 2022 तक रियल एस्टेट एजेंट, दलाल और वकील अधिकारियों को कैश या क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य नहीं थे.
इसके अलावा शहर का संपत्ति बाजार दुनिया के सबसे हॉट बाजारों में से एक है, जो निवेश के व्यापक अवसर प्रदान करता है. यहां संपत्ति के मूल्यों में लगातार हो रही वृद्धि के साथ रियल एस्टेट निवेश न केवल अवैध धन को सफेद करने का बल्कि अतिरिक्त लाभ कमाने का भी मौका देता है.
दुबई प्रॉपर्टी डेटा कहां से आता है?
दुबई अनलॉक रिपोर्ट में शामिल प्रोपर्टी के रिकॉर्ड, डेटा लीक से सामने आए हैं, इनमें से ज्यादातर डेटा दुबई भूमि विभाग और सार्वजनिक स्वामित्व वाली कंपनियों का है. यह डेटा 2020 से 2022 तक का है.
कैसे वेरिफाई किया डेटा?
पत्रकारों ने दुबई में विदेशी संपत्ति के स्वामित्व का पता लगाने के लिए इस डेटा का इस्तेमाल किया. उन्होंने लीक हुए डेटा में दी गई लोगों की पहचान की पुष्टि की और आधिकारिक रिकॉर्ड, ओपन सोर्स रिसर्च और अन्य लीक हुए डेटासेट का उपयोग करके उनकी स्वामित्व का पता लगाया . इस काम को करने में कई महीनों का वक्त लगा. रिपोर्टरों ने इन लोगों का नाम लिस्ट में उस समय शामिल किया जब उनकी पहचान की पुष्टि हो गई.
दुबई ने मनी लॉन्ड्रिंग को एड्रेस करने के लिए क्या किया है?
यूएई को मार्च 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए उसके सिस्टम में मौजूद कमियों के लिए वैश्विक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने चिह्नित किया.
हालांकि, इस कदम से दुबई की प्रतिष्ठा को धूमिल होने का खतरा था, जिससे संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने कानून को कड़ा करने और प्रत्यर्पण पर विदेशी कानून प्रवर्तन के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए एक ठोस प्रयास किया.
यूएई अधिकारियों के अनुसार उन्होंने रियल एस्टेट एजेंटों, दलालों और कॉर्पोरेट सेवा प्रोवाइडर्स के संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टिंग बढ़ा दी है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग रोधी अधिकारियों के लगाए गए जुर्माने का कुल मूल्य 2022 के बाद से तीन गुना बढ़ गया है.
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