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क्या है बर्थराइट सिटिजनशिप? जिसे खत्म करने की योजना बना रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप, लाखों भारतीयों पर पड़ेगा प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं होने वाला है.

डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं. NBC की मीट द प्रेस पर एक इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने कहा कि हम इसे समाप्त करने जा रहे हैं क्योंकि यह हास्यास्पद है. उन्होंने तर्क दिया कि मौजूदा नीति अवैध अप्रवास और 'बर्थ टूरिज्म' को बढ़ावा देती है.

हालांकि, नीति को रोकने के लिए उन्हें कड़ी कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा. अगर ट्रंप इसमें सफल हो जाते हैं तो इससे अमेरिका में रहने वाले भारतीयों पर भी प्रभाव पड़ेगा.क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सीमाओं के भीतर पैदा हुए बच्चों को नागरिकता प्रदान करता है, चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो.

बर्थराइट सिटिजनशिप क्या है?
बर्थराइट सिटिजनशिप के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने वाला कोई भी शख्स खुद ही अमेरिकी नागरिक बन जाता है. यह नीति कई वर्षों से लागू है और यह देश में अवैध रूप से जन्में व्यक्तियों के बच्चों के साथ-साथ पर्यटक या छात्र वीजा जैसे अस्थायी वीजा पर रहने वाले बच्चों पर भी लागू होती है, जो अपने देश लौटने का इरादा रखते हैं.

हालांकि, हर देश में इसका पालन नहीं किया जाता है, लेकिन बर्थराइट सिटिजनशिप लंबे समय से बहस का विषय रही है. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और उनके समर्थकों सहित आलोचकों का तर्क है कि इस सिस्टम का दुरुपयोग किया जा रहा है और अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए सख्त स्टैंडर्ड को लागू किया जाना चाहिए.

दूसरी ओर, अधिवक्ता इस बात पर जोर देते हैं कि बर्थराइट सिटिजनशिप 14वें संशोधन द्वारा गारंटीकृत एक संवैधानिक अधिकार है, जिससे इसे पलटना बहुत मुश्किल है और उनका मानना ​​है कि ऐसा करने देश के लिए हानिकारक होगा.

बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने में क्या है चुनौतियां?
कुछ लोगों का कहना है कि बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने से गंभीर परिणाम होंगे. कैटो इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष एलेक्स नोरास्टेह का तर्क है कि यह अवैध अंडरक्लास के निर्माण से बचने में मदद करती है और अप्रवासी परिवारों के बेहतर आत्मसात और इंटिग्रेशनको बढ़ावा देती है.बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करने से अवैध अप्रवास बढ़ेगा, जिससे एक ऐसा स्व-स्थायी वर्ग बनेगा जो पीढ़ियों तक पूर्ण सामाजिक सदस्यता से बाहर रहेगा.

अमेरिका में बर्थराइट सिटिजनशिप क्यों है?
अमेरिका ने बर्थराइट सिटिजनशिप को अपनाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुलाम बनाए गए लोगों के वंशजों को, जिन्हें जबरन देश में लाया गया था, नागरिकता दी जा सके. यह 1857 के कुख्यात ड्रेड स्कॉट निर्णय का जवाब था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि गुलाम बनाए गए लोगों का कोई भी वंशज अमेरिकी नागरिक नहीं हो सकता. इस फैसले को 13वें संशोधन द्वारा पलट दिया गया, जिसने गुलामी को समाप्त कर दिया, और 14वें संशोधन यह गारंटी देता है कि अमेरिका में पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति देश का नागरिक है.

क्या 14वां संशोधन अवैध अप्रवासियों के बच्चों को बाहर कर सकता है?
जॉन ईस्टमैन सहित कुछ कानूनी विद्वानों का तर्क है कि 14वां संशोधन अमेरिका में अवैध प्रवासि अप्रवासियों से पैदा हुए बच्चों पर लागू नहीं होता है. ऐसे में माना जा रहा है इस दृष्टिकोण के अनुसार कांग्रेस अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी माता-पिता से पैदा हुए बच्चों को नागरिकता से स्पष्ट रूप से वंचित करने वाला कानून पारित कर सकती है. हालांकि, यह सिद्धांत विवादास्पद बना हुआ है, और यहां तक कि कई रूढ़िवादी कानूनी विशेषज्ञों ने भी इसे अस्वीकार कर दिया है

भारतीय नागरिकों पर क्या होगा प्रभाव?
प्यू रिसर्च के विश्लेषण के अनुसार 2022 में हुई अमेरिकी जनगणना के आंकड़ो के मुताबिक देश में लगभग 4.8 मिलियन भारतीय-अमेरिकी रह रहे हैं, जिनमें से 34 प्रतिशत या 1.6 मिलियन का जन्म देश में हुआ है. मौजूदा कानून के तहत यह सभी संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक हैं. अगर ट्रंप इस कानून को खत्म कर देते हैं, तो 1.6 मिलियन भारतीय प्रभावित होंगे.

अगर यह नीति लागू की गई, तो ग्रीन कार्ड या एच-1बी वीजा वाले भारतीय माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चों को काफी अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है. इन बच्चों को स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी सकती, बल्कि संभवतः उन्हें अपने माता-पिता की नागरिकता विरासत में मिल जाए.

यह भी पढ़ें- जानें कौन हैं वे 'त्रिमूर्ति', ट्रंप की कैबिनेट में प्रमुख पदों पर मिली जगह? हिंदू धर्म को लेकर रहे हैं मुखर

वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने की योजना बना रहे हैं. NBC की मीट द प्रेस पर एक इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने कहा कि हम इसे समाप्त करने जा रहे हैं क्योंकि यह हास्यास्पद है. उन्होंने तर्क दिया कि मौजूदा नीति अवैध अप्रवास और 'बर्थ टूरिज्म' को बढ़ावा देती है.

हालांकि, नीति को रोकने के लिए उन्हें कड़ी कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा. अगर ट्रंप इसमें सफल हो जाते हैं तो इससे अमेरिका में रहने वाले भारतीयों पर भी प्रभाव पड़ेगा.क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सीमाओं के भीतर पैदा हुए बच्चों को नागरिकता प्रदान करता है, चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो.

बर्थराइट सिटिजनशिप क्या है?
बर्थराइट सिटिजनशिप के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने वाला कोई भी शख्स खुद ही अमेरिकी नागरिक बन जाता है. यह नीति कई वर्षों से लागू है और यह देश में अवैध रूप से जन्में व्यक्तियों के बच्चों के साथ-साथ पर्यटक या छात्र वीजा जैसे अस्थायी वीजा पर रहने वाले बच्चों पर भी लागू होती है, जो अपने देश लौटने का इरादा रखते हैं.

हालांकि, हर देश में इसका पालन नहीं किया जाता है, लेकिन बर्थराइट सिटिजनशिप लंबे समय से बहस का विषय रही है. पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और उनके समर्थकों सहित आलोचकों का तर्क है कि इस सिस्टम का दुरुपयोग किया जा रहा है और अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने के लिए सख्त स्टैंडर्ड को लागू किया जाना चाहिए.

दूसरी ओर, अधिवक्ता इस बात पर जोर देते हैं कि बर्थराइट सिटिजनशिप 14वें संशोधन द्वारा गारंटीकृत एक संवैधानिक अधिकार है, जिससे इसे पलटना बहुत मुश्किल है और उनका मानना ​​है कि ऐसा करने देश के लिए हानिकारक होगा.

बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने में क्या है चुनौतियां?
कुछ लोगों का कहना है कि बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त करने से गंभीर परिणाम होंगे. कैटो इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष एलेक्स नोरास्टेह का तर्क है कि यह अवैध अंडरक्लास के निर्माण से बचने में मदद करती है और अप्रवासी परिवारों के बेहतर आत्मसात और इंटिग्रेशनको बढ़ावा देती है.बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करने से अवैध अप्रवास बढ़ेगा, जिससे एक ऐसा स्व-स्थायी वर्ग बनेगा जो पीढ़ियों तक पूर्ण सामाजिक सदस्यता से बाहर रहेगा.

अमेरिका में बर्थराइट सिटिजनशिप क्यों है?
अमेरिका ने बर्थराइट सिटिजनशिप को अपनाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुलाम बनाए गए लोगों के वंशजों को, जिन्हें जबरन देश में लाया गया था, नागरिकता दी जा सके. यह 1857 के कुख्यात ड्रेड स्कॉट निर्णय का जवाब था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि गुलाम बनाए गए लोगों का कोई भी वंशज अमेरिकी नागरिक नहीं हो सकता. इस फैसले को 13वें संशोधन द्वारा पलट दिया गया, जिसने गुलामी को समाप्त कर दिया, और 14वें संशोधन यह गारंटी देता है कि अमेरिका में पैदा हुआ कोई भी व्यक्ति देश का नागरिक है.

क्या 14वां संशोधन अवैध अप्रवासियों के बच्चों को बाहर कर सकता है?
जॉन ईस्टमैन सहित कुछ कानूनी विद्वानों का तर्क है कि 14वां संशोधन अमेरिका में अवैध प्रवासि अप्रवासियों से पैदा हुए बच्चों पर लागू नहीं होता है. ऐसे में माना जा रहा है इस दृष्टिकोण के अनुसार कांग्रेस अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासी माता-पिता से पैदा हुए बच्चों को नागरिकता से स्पष्ट रूप से वंचित करने वाला कानून पारित कर सकती है. हालांकि, यह सिद्धांत विवादास्पद बना हुआ है, और यहां तक कि कई रूढ़िवादी कानूनी विशेषज्ञों ने भी इसे अस्वीकार कर दिया है

भारतीय नागरिकों पर क्या होगा प्रभाव?
प्यू रिसर्च के विश्लेषण के अनुसार 2022 में हुई अमेरिकी जनगणना के आंकड़ो के मुताबिक देश में लगभग 4.8 मिलियन भारतीय-अमेरिकी रह रहे हैं, जिनमें से 34 प्रतिशत या 1.6 मिलियन का जन्म देश में हुआ है. मौजूदा कानून के तहत यह सभी संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक हैं. अगर ट्रंप इस कानून को खत्म कर देते हैं, तो 1.6 मिलियन भारतीय प्रभावित होंगे.

अगर यह नीति लागू की गई, तो ग्रीन कार्ड या एच-1बी वीजा वाले भारतीय माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चों को काफी अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है. इन बच्चों को स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी सकती, बल्कि संभवतः उन्हें अपने माता-पिता की नागरिकता विरासत में मिल जाए.

यह भी पढ़ें- जानें कौन हैं वे 'त्रिमूर्ति', ट्रंप की कैबिनेट में प्रमुख पदों पर मिली जगह? हिंदू धर्म को लेकर रहे हैं मुखर

Last Updated : 2 hours ago
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