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भारत-अमेरिका की ये कैसी दोस्ती, धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी रिपोर्ट में इंडिया को कटघरे में किया खड़ा - us religious freedom report

अमेरिका भले ही यह कहे कि भारत उसका दोस्त है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी सालाना रिपोर्ट में निशाना साधने से बाज नहीं आ रहा है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को दबाया जा रहा है. वैसे, भारत ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है.

Antony Blinken
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 27, 2024, 1:50 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 2:02 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी सालाना रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नकारात्मक टिप्पणी की है. अमेरिका इस तरह की रिपोर्ट हर साल जारी करता है. इस बार की रिपोर्ट में दुनिया के 200 देशों में धार्मिक स्थिति के मूल्यांकन करने का दावा किया गया है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रहार हुआ है. उनके पूजा स्थलों और घरों को ध्वस्त करने के मामले बढ़े हैं. उनके खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून लाया गया है.

मोदी सरकार पर नकारात्मक टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान सरकार भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियां लागू कर रहीं हैं. इससे समाज में घृणा का स्तर बढ़ रहा है. अपनी इस रिपोर्ट को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो इस तरह से अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.

वैसे, आपको बता दें कि इस रिपोर्ट को लेकर भारत की प्रतिक्रिया बहुत ही साफ रही है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस तरह से हरेक साल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है.

रिपोर्ट में कुछ कानूनों का भी जिक्र किया गया है. जैस- यूएपीए, एफसीआरए, सीएए और गोहत्या कानून.

इस रिपोर्ट में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को लेकर समीक्षा की गई है. इसमें कहा गया है कि यह एक एनजीओ है, और इसने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर जैसे ही बात की, उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई. उनका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया. उनकी निगरानी की जाने लगी. अमेरिका ने इस रिपोर्ट में दावा किया है कि सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च धार्मिक और जातीय भेदभाव मिटाने का काम करता है.

ये भी पढ़ें : अमेरिका ने भारत के लोकसभा चुनावों की सराहना की, बोला- 'विश्व के इतिहास में लोकतंत्र का सबसे बड़ा अभ्यास'

नई दिल्ली : अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी सालाना रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नकारात्मक टिप्पणी की है. अमेरिका इस तरह की रिपोर्ट हर साल जारी करता है. इस बार की रिपोर्ट में दुनिया के 200 देशों में धार्मिक स्थिति के मूल्यांकन करने का दावा किया गया है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रहार हुआ है. उनके पूजा स्थलों और घरों को ध्वस्त करने के मामले बढ़े हैं. उनके खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून लाया गया है.

मोदी सरकार पर नकारात्मक टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान सरकार भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियां लागू कर रहीं हैं. इससे समाज में घृणा का स्तर बढ़ रहा है. अपनी इस रिपोर्ट को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो इस तरह से अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.

वैसे, आपको बता दें कि इस रिपोर्ट को लेकर भारत की प्रतिक्रिया बहुत ही साफ रही है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस तरह से हरेक साल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है.

रिपोर्ट में कुछ कानूनों का भी जिक्र किया गया है. जैस- यूएपीए, एफसीआरए, सीएए और गोहत्या कानून.

इस रिपोर्ट में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को लेकर समीक्षा की गई है. इसमें कहा गया है कि यह एक एनजीओ है, और इसने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर जैसे ही बात की, उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई. उनका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया. उनकी निगरानी की जाने लगी. अमेरिका ने इस रिपोर्ट में दावा किया है कि सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च धार्मिक और जातीय भेदभाव मिटाने का काम करता है.

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Last Updated : Jun 27, 2024, 2:02 PM IST
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