नई दिल्ली : अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी सालाना रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर नकारात्मक टिप्पणी की है. अमेरिका इस तरह की रिपोर्ट हर साल जारी करता है. इस बार की रिपोर्ट में दुनिया के 200 देशों में धार्मिक स्थिति के मूल्यांकन करने का दावा किया गया है.
#WATCH | US Secretary of State Antony Blinken says " today, the state department is releasing its annual report on the status of international religious freedom...the department’s report tracks these kinds of threats to religious freedom in almost 200 countries. for example,… pic.twitter.com/QcbQC0BQTp
— ANI (@ANI) June 27, 2024
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रहार हुआ है. उनके पूजा स्थलों और घरों को ध्वस्त करने के मामले बढ़े हैं. उनके खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून लाया गया है.
मोदी सरकार पर नकारात्मक टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान सरकार भेदभावपूर्ण राष्ट्रवादी नीतियां लागू कर रहीं हैं. इससे समाज में घृणा का स्तर बढ़ रहा है. अपनी इस रिपोर्ट को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि दुनिया भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो इस तरह से अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.
वैसे, आपको बता दें कि इस रिपोर्ट को लेकर भारत की प्रतिक्रिया बहुत ही साफ रही है. विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस तरह से हरेक साल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाता है.
रिपोर्ट में कुछ कानूनों का भी जिक्र किया गया है. जैस- यूएपीए, एफसीआरए, सीएए और गोहत्या कानून.
इस रिपोर्ट में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च को लेकर समीक्षा की गई है. इसमें कहा गया है कि यह एक एनजीओ है, और इसने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लेकर जैसे ही बात की, उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई. उनका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया. उनकी निगरानी की जाने लगी. अमेरिका ने इस रिपोर्ट में दावा किया है कि सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च धार्मिक और जातीय भेदभाव मिटाने का काम करता है.
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