वाशिंगटन: अमेरिका में अगले हफ्ते राष्ट्रपति चुनाव है. यहां के चुनाव में भारतीय-अमेरिकी समुदाय काफी अहम भूमिका निभाते हैं. ऐसे में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस दोनों ही अमेरिका में रह रहे भारतीय-अमेरिकी समुदाय से समर्थन की उम्मीद लगाए हैं.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग 52 लाख भारतीय-अमेरिकी रहते हैं, जिनमें से लगभग 23 लाख वोटर हैं. ट्रंप और हैरिस, दोनों ही इस कम्युनिटी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि किसे समर्थन देना है, इसे लेकर भारतीय-अमेरिकियों की राय बंटी दिखती है. कुछ लोगों का मानना है कि धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर दोनों दलों की नीतियां वोटिंग में अहम रोल निभा सकती हैं.
भारतीय-अमेरिकी नागरिक जे. पी. सिंह ने पीटीआई से कहा, 'भारतीय समुदाय बंटे हुए हैं. कुछ लोगों का रिपब्लिकन की ओर झुकाव है जबकि बाकी डेमोक्रेट का समर्थन करते हैं. हर एक के अपने-अपने मुद्दे हैं. यह सवाल कि क्या भारतीय समुदाय के वोटों का असर चुनाव पर पड़ेगा? तो उन्होंने कहा कि ये निश्चित रूप से असर डाल सकता है.
एक मुद्दा ये है कि रिपब्लिकन पक्ष धार्मिक स्वतंत्रता का उतनी मजबूती से समर्थन नहीं करता दिख रहा है, जबकि डेमोक्रेट इसे ज्यादा बढ़ावा देते दिख रहे हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जो भारतीय समुदाय के अंदर बंटवारे को बढ़ावा दे रहे हैं, जो अभी काफी स्पष्ट है. भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों के मुताबिक बिजनेस कम्युनिटी के लिए बेहतर नीतियों का हवाला देते हुए अपनी राजनैतिक निष्ठा रिपब्लिकन की ओर शिफ्ट कर ली है.
भारतीय-अमेरिकी नागरिक सुखचैन सिंह ने कहा, 'ज्यादातर व्यवसायी ट्रंप का पक्ष लेते हैं. एक वजह उनकी इमिग्रेशन नीतियां हैं जो अवैध आप्रवासियों को न लाने, लोकल मजदूरों को फायदा पहुंचाने और संभावित रूप से नौकरी के मौकों को बढ़ाने पर केंद्रित हैं. उनका मानना है कि इससे उन्हें नौकरियां ढूंढने में मदद मिलेगी. भारतीय समुदाय के कई लोगों के साथ-साथ बाकी लोगों को भी ट्रंप पर भरोसा है क्योंकि उनका मानना है कि अगर वो वापस लौटते हैं, तो उनकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि को देखते हुए अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. दूसरी ओर कमला हैरिस की व्यवसाय में समान पृष्ठभूमि नहीं है.