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मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण किया जा सकता है: अमेरिकी अटॉर्नी - Mumbai terror attack Tahawwur Rana

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By ANI

Published : Jul 4, 2024, 8:56 AM IST

Updated : Jul 4, 2024, 12:36 PM IST

Mumbai terror attack accused Tahawwur Rana extraditable: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. अमेरिकी अटॉर्नी ब्रैम एल्डेन ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. बता दें, तहव्वुर राणा को लंबे समय से भारत लाने का प्रयास चल रहा है. वह लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है.

Tahawwur Rana
मुंबई हमले का आरोपी तहव्वुर राणा (ANI)

वाशिंगटन: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी और आतंकवादी तहव्वुर राणा जेल से तत्काल रिहाई की मांग कर रहा है. इसके साथ-साथ वह भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध का विरोध भी कर रहा है. अमेरिकी अपीलीय न्यायालय के रिकॉर्ड के अनुसार, सहायक अमेरिकी अटॉर्नी और आपराधिक अपील प्रमुख ब्रैम एल्डेन ने तर्क दिया कि राणा को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत हर तरह से प्रत्यर्पित किया जा सकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका की निचली अदालतों ने पहले ही राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जो बिल्कुल 'सही' है.

एल्डेन ने अपनी शुरुआती दलील में कहा, 'यहां निचली अदालतों ने सही फैसला सुनाया है. संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत राणा को भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है. भारत ने आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाने के लिए कारण गिनाए हैं. इस हमले के परिणामस्वरूप 166 मौतें हुईं और 239 लोग घायल हुए.

26/11 मुंबई आतंकी हमलों के एक साल से भी कम समय बाद, शिकागो में एफबीआई ने राणा को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी आतंकवादी 15 साल पहले शिकागो में एक ट्रैवल एजेंसी चलाता था, जब उसने और उसके दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने हमले को अंजाम देने के लिए मुंबई के स्थानों और लैंडिंग जोन की तलाशी ली थी.

जांचकर्ताओं के अनुसार, घातक हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक खाका तैयार किया था. इसे बनाने में राणा का हाथ था. राणा और हेडली दोनों पर आतंकी साजिश में मदद करने का आरोप है. हेडली ने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग किया, जबकि राणा ने इसका विरोध किया.

14 साल की जेल की सजा काटने के बाद, राणा अमेरिकी जेल से रिहा होने वाला था, जब भारत ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया. एल्डेन ने अपने तर्क में जोर देकर कहा कि दस्तावेजी सबूत हैं जो समर्थन करते हैं कि राणा ने हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी समूह को भौतिक सहायता प्रदान की थी.

एल्डेन ने न्यायाधीशों को बताया कि राणा ने कहा कि उसे पाकिस्तान में उसके एक सह-षड्यंत्रकारी ने इस घटना के बारे में जानकारी दी थी और उसने उस भीषण आतंकवादी हमले की सराहना की थी जिसमें 166 लोग मारे गए थे, 239 अन्य घायल हुए थे. इस हमले में भारत को 15 लाख अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था. अमेरिकी अटॉर्नी ने अदालत को यह भी याद दिलाया कि 'मुंबई नरसंहार', जिसे भारत का 9/11 भी कहा जाता है. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने यह हमला किया था.

आतंकवादियों ने कई बार, रेस्टोरेंट व अन्य जगहों पर हमले किए. भारत में अन्य लक्ष्य भी थे. यह कई दिनों तक चला एक विनाशकारी हमला था. जैसा कि मैंने कहा है, इसके परिणामस्वरूप छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई थी. यही कारण है कि भारत इस मामले में मुकदमा चलाना चाहता है, और प्रत्यर्पण संधि के तहत ऐसा करने का उसे पूरा अधिकार है. एल्डेन ने दृढ़ता से कहा.

पिछले महीने अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, राणा के वकील ने तर्क दिया कि उसे भारत क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए और मुंबई नरसंहार के लिए न्यायिक प्रणाली का सामना क्यों नहीं करना चाहिए. राणा के बचाव पक्ष ने दोहरे खतरे या एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने का आरोप लगाया है जो अमेरिकी संविधान द्वारा वर्जित है. साथ ही विदेशी हिरासत में राणा की मृत्यु की लगभग निश्चितता है. राणा के वकील इस बात के लिए सर्वश्रेष्ठ तर्क दे रहे हैं कि उसे प्रत्यर्पित क्यों नहीं किया जाना चाहिए. राणा हिरासत में है, उसे लॉस एंजिल्स में एक संघीय जेल में रखा गया है.

ये भी पढ़ें- 26/11 Attacks Case : मुंबई पुलिस ने पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया

वाशिंगटन: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी और आतंकवादी तहव्वुर राणा जेल से तत्काल रिहाई की मांग कर रहा है. इसके साथ-साथ वह भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध का विरोध भी कर रहा है. अमेरिकी अपीलीय न्यायालय के रिकॉर्ड के अनुसार, सहायक अमेरिकी अटॉर्नी और आपराधिक अपील प्रमुख ब्रैम एल्डेन ने तर्क दिया कि राणा को अमेरिका-भारत प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत हर तरह से प्रत्यर्पित किया जा सकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका की निचली अदालतों ने पहले ही राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जो बिल्कुल 'सही' है.

एल्डेन ने अपनी शुरुआती दलील में कहा, 'यहां निचली अदालतों ने सही फैसला सुनाया है. संधि के स्पष्ट प्रावधानों के तहत राणा को भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है. भारत ने आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमा चलाने के लिए कारण गिनाए हैं. इस हमले के परिणामस्वरूप 166 मौतें हुईं और 239 लोग घायल हुए.

26/11 मुंबई आतंकी हमलों के एक साल से भी कम समय बाद, शिकागो में एफबीआई ने राणा को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी आतंकवादी 15 साल पहले शिकागो में एक ट्रैवल एजेंसी चलाता था, जब उसने और उसके दोस्त डेविड कोलमैन हेडली ने हमले को अंजाम देने के लिए मुंबई के स्थानों और लैंडिंग जोन की तलाशी ली थी.

जांचकर्ताओं के अनुसार, घातक हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक खाका तैयार किया था. इसे बनाने में राणा का हाथ था. राणा और हेडली दोनों पर आतंकी साजिश में मदद करने का आरोप है. हेडली ने जांचकर्ताओं के साथ सहयोग किया, जबकि राणा ने इसका विरोध किया.

14 साल की जेल की सजा काटने के बाद, राणा अमेरिकी जेल से रिहा होने वाला था, जब भारत ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया. एल्डेन ने अपने तर्क में जोर देकर कहा कि दस्तावेजी सबूत हैं जो समर्थन करते हैं कि राणा ने हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी समूह को भौतिक सहायता प्रदान की थी.

एल्डेन ने न्यायाधीशों को बताया कि राणा ने कहा कि उसे पाकिस्तान में उसके एक सह-षड्यंत्रकारी ने इस घटना के बारे में जानकारी दी थी और उसने उस भीषण आतंकवादी हमले की सराहना की थी जिसमें 166 लोग मारे गए थे, 239 अन्य घायल हुए थे. इस हमले में भारत को 15 लाख अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था. अमेरिकी अटॉर्नी ने अदालत को यह भी याद दिलाया कि 'मुंबई नरसंहार', जिसे भारत का 9/11 भी कहा जाता है. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने यह हमला किया था.

आतंकवादियों ने कई बार, रेस्टोरेंट व अन्य जगहों पर हमले किए. भारत में अन्य लक्ष्य भी थे. यह कई दिनों तक चला एक विनाशकारी हमला था. जैसा कि मैंने कहा है, इसके परिणामस्वरूप छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई थी. यही कारण है कि भारत इस मामले में मुकदमा चलाना चाहता है, और प्रत्यर्पण संधि के तहत ऐसा करने का उसे पूरा अधिकार है. एल्डेन ने दृढ़ता से कहा.

पिछले महीने अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, राणा के वकील ने तर्क दिया कि उसे भारत क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए और मुंबई नरसंहार के लिए न्यायिक प्रणाली का सामना क्यों नहीं करना चाहिए. राणा के बचाव पक्ष ने दोहरे खतरे या एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा चलाने का आरोप लगाया है जो अमेरिकी संविधान द्वारा वर्जित है. साथ ही विदेशी हिरासत में राणा की मृत्यु की लगभग निश्चितता है. राणा के वकील इस बात के लिए सर्वश्रेष्ठ तर्क दे रहे हैं कि उसे प्रत्यर्पित क्यों नहीं किया जाना चाहिए. राणा हिरासत में है, उसे लॉस एंजिल्स में एक संघीय जेल में रखा गया है.

ये भी पढ़ें- 26/11 Attacks Case : मुंबई पुलिस ने पाकिस्तानी नागरिक तहव्वुर राणा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया
Last Updated : Jul 4, 2024, 12:36 PM IST
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