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इमरान खान की पार्टी और पाक सरकार में हो गई डील ? 9 मई की हिंसा में शामिल 19 दोषियों की दया याचिका मंजूर - PAKISTAN NEWS

पाकिस्तान की सैन्य अदालतों ने 9 मई की हिंसक में शामिल कुल 85 लोगों को सजा सुनाई थी.

Pakistan Military Accepts Mercy Petitions Of 19 Convicts Involved In May 9 Violence
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पीटीआई प्रमुख इमरान खान (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2025, 5:47 PM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अपील न्यायालयों ने 9 मई की हिंसा में शामिल 19 दोषियों की दया याचिकाओं को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया है. पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग आईएसपीआर ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.

पाकिस्तान की सैन्य अदालतों ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ 9 मई, 2023 को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल कुल 85 लोगों को सजा सुनाई थी. बीते 21 दिसंबर को आईएसपीआर ने कहा था कि 9 मई की हिंसक घटनाओं के लिए सैन्य अदालतों ने 25 दोषियों को जेल की सजा सुनाई. जबकि अन्य 60 लोगों को देश भर में हुए दंगों में शामिल होने के लिए दो से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई.

बयान में कहा गया, "9 मई की त्रासदी के दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने अपील करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और अपनी सजा में छूट या दया के लिए याचिका दायर की."

बयान के मुताबिक, कुल 67 दोषियों ने दया याचिकाएं दायर कीं. 48 याचिकाओं पर अपील न्यायालयों में सुनवाई की गई, जबकि 19 दोषियों की याचिकाओं को 'कानून के तहत विशुद्ध रूप से मानवीय आधार पर' स्वीकार किया गया है. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.

आईएसपीआर ने कहा, "शेष लोगों की दया याचिकाओं पर कानूनी प्रक्रिया के बाद समय पर निर्णय लिया जाएगा. दोषी ठहराए गए सभी लोगों को कानून और संविधान के अनुसार अपील और अन्य कानूनी उपायों का अधिकार है."

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सरकार के बीच राजनीतिक तनाव को दूर करने के लिए बातचीत चल रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों पक्ष टकराव को टालने को तैयार हैं.

पीटीआई 9 मई 2023 और नवंबर 2024 की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन और राजनीतिक बंदियों की रिहाई सहित प्रमुख मुद्दों को हल करने की मांग कर रही है. साथ ही पीटीआई ने सैन्य अदालतों में नागरिकों के खिलाफ मुकदमों पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि सरकार और सेना 9 मई की हिंसा का इस्तेमाल इमरान खान और पीटीआई पर नकेल कसने के लिए कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- 'हम जो कुछ भी कर सकते हैं...', निमिषा प्रिया की मदद के लिए आगे आया ईरान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अपील न्यायालयों ने 9 मई की हिंसा में शामिल 19 दोषियों की दया याचिकाओं को मानवीय आधार पर स्वीकार कर लिया है. पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग आईएसपीआर ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी.

पाकिस्तान की सैन्य अदालतों ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ 9 मई, 2023 को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल कुल 85 लोगों को सजा सुनाई थी. बीते 21 दिसंबर को आईएसपीआर ने कहा था कि 9 मई की हिंसक घटनाओं के लिए सैन्य अदालतों ने 25 दोषियों को जेल की सजा सुनाई. जबकि अन्य 60 लोगों को देश भर में हुए दंगों में शामिल होने के लिए दो से 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई गई.

बयान में कहा गया, "9 मई की त्रासदी के दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने अपील करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया और अपनी सजा में छूट या दया के लिए याचिका दायर की."

बयान के मुताबिक, कुल 67 दोषियों ने दया याचिकाएं दायर कीं. 48 याचिकाओं पर अपील न्यायालयों में सुनवाई की गई, जबकि 19 दोषियों की याचिकाओं को 'कानून के तहत विशुद्ध रूप से मानवीय आधार पर' स्वीकार किया गया है. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.

आईएसपीआर ने कहा, "शेष लोगों की दया याचिकाओं पर कानूनी प्रक्रिया के बाद समय पर निर्णय लिया जाएगा. दोषी ठहराए गए सभी लोगों को कानून और संविधान के अनुसार अपील और अन्य कानूनी उपायों का अधिकार है."

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सरकार के बीच राजनीतिक तनाव को दूर करने के लिए बातचीत चल रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों पक्ष टकराव को टालने को तैयार हैं.

पीटीआई 9 मई 2023 और नवंबर 2024 की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन और राजनीतिक बंदियों की रिहाई सहित प्रमुख मुद्दों को हल करने की मांग कर रही है. साथ ही पीटीआई ने सैन्य अदालतों में नागरिकों के खिलाफ मुकदमों पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि सरकार और सेना 9 मई की हिंसा का इस्तेमाल इमरान खान और पीटीआई पर नकेल कसने के लिए कर रहे हैं.

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