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NSA डोभाल ने फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री से मुलाकात की, राफेल मरीन जेट डील समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा - NSA Ajit Doval in France

NSA Ajit Doval in France Rafale Marine Jet Deal: फ्रांस की यात्रा पर गए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू से मुलाकात की और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, अंतरिक्ष सहयोग और अन्य मुद्दों पर चर्चा की.

NSA Ajit Doval meets French Armed Forces minister in Paris discusses Rafale Marine Jet deal
NSA डोभाल ने फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री से मुलाकात की (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 1, 2024, 3:40 PM IST

नई दिल्ली: भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच मंगलवार को उन्होंने फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू से मुलाकात की. नई दिल्ली स्थित फ्रांसीसी दूतावास ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने बातचीत के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गहरा करने और अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. साथ ही उभरते अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य पर विचारों को साझा किया.

अपनी यात्रा के दौरान डोभाल ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के डिप्लोमेटिक एडवाइजर इमैनुएल बोने के साथ भी चर्चा की. वार्ता में द्विपक्षीय सहयोग और रणनीतिक महत्व के प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हुए हैं.

डोभाल का यह दौरा तब हुआ जब हाल ही में फ्रांस सरकार ने 26 राफेल मरीन जेट डील के संबंध में भारत को अंतिम मूल्य प्रस्ताव दिया. सूत्रों के अनुसार, फ्रांस ने भारतीय अधिकारियों को सबसे अच्छा और अंतिम मूल्य प्रस्ताव दिया है और प्रस्तावित अनुबंध में बातचीत के बाद परियोजना में बड़ी मूल्य कटौती की गई है.

नौसेना के लिए राफेल-मरीन जेट खरीदने की तैयारी
भारत अपनी नौसेना के लिए राफेल जेट के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने पर विचार कर रहा है, जिन्हें राफेल-मरीन जेट के नाम से जाना जाता है. भारतीय नौसेना अपने पुराने हो चुके विमानवाहक जेट, खासकर MiG-29K को बदलना चाहती है. राफेल-एम जेट को भारत के आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोतों से संचालित किया जाएगा. भारत के नौसेना आधुनिकीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में राफेल-एम जेट के सौदे पर चर्चा चल रही है. पिछले हफ्ते इस डील को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों के बीच अहम बातचीत हुई थी.

राफेल विमान डील के अलावा भारत और फ्रांस के बीच व्यापक रणनीतिक रक्षा साझेदारी है, जिसमें संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भविष्य के सैन्य प्लेटफार्मों का सह-विकास शामिल है. यह सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक फैला हुआ है, जहां दोनों देश स्थिरता बनाए रखना चाहते हैं और समुद्री हितों की रक्षा करना चाहते हैं.

राफेल मरीन जेट डील पर अभी भी चर्चा चल रही है. यह भारत की अपनी रक्षा सेनाओं को आधुनिक बनाने और अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की मंशा को दर्शाता है, जो इसकी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक हितों को देखते हुए महत्वपूर्ण है.

भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा साझेदारी उनके द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण पहलू है, जो साझा रणनीतिक हितों, आपसी विश्वास और सहयोग के लंबे इतिहास पर आधारित है. यह साझेदारी रक्षा खरीद, संयुक्त अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित कई क्षेत्रों में फैली हुई है.

दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुख्य आकर्षण
भारत और फ्रांस के बीच सबसे प्रमुख रक्षा सौदों में से एक फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद थी. इस अनुबंध को 2016 में अंतिम रूप दिया गया था, जिसने भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया. फ्रांस भारत की नौसेना क्षमताओं को मजबूत करने में भी प्रमुख भागीदार रहा है. स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी परियोजना के तहत फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बियों के विकास में सहायता की, जिसमें मझगांव डॉक लिमिटेड ने फ्रांसीसी नौसेना समूह से लाइसेंस के तहत उनका निर्माण किया.

फ्रांस भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी प्रमुख भागीदार रहा है, जिसका उद्देश्य स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र बनाए रखना है. फ्रांस भारत के दृष्टिकोण को साझा करता है, जिसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है. दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. फ्रांस, हिंद महासागर में अपने क्षेत्रों (जैसे रियूनियन द्वीप) के साथ, समुद्री डोमेन जागरूकता, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन और आपदा राहत प्रयासों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भागीदार है.

यह भी पढ़ें- 'ईरान के लोग जल्द आजाद होंगे', PM नेतन्याहू का ईरानी लोगों को संबोधन, युद्ध के बीच बड़ी अपील

नई दिल्ली: भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच मंगलवार को उन्होंने फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू से मुलाकात की. नई दिल्ली स्थित फ्रांसीसी दूतावास ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने बातचीत के दौरान द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गहरा करने और अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाने पर चर्चा की. साथ ही उभरते अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक परिदृश्य पर विचारों को साझा किया.

अपनी यात्रा के दौरान डोभाल ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के डिप्लोमेटिक एडवाइजर इमैनुएल बोने के साथ भी चर्चा की. वार्ता में द्विपक्षीय सहयोग और रणनीतिक महत्व के प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हुए हैं.

डोभाल का यह दौरा तब हुआ जब हाल ही में फ्रांस सरकार ने 26 राफेल मरीन जेट डील के संबंध में भारत को अंतिम मूल्य प्रस्ताव दिया. सूत्रों के अनुसार, फ्रांस ने भारतीय अधिकारियों को सबसे अच्छा और अंतिम मूल्य प्रस्ताव दिया है और प्रस्तावित अनुबंध में बातचीत के बाद परियोजना में बड़ी मूल्य कटौती की गई है.

नौसेना के लिए राफेल-मरीन जेट खरीदने की तैयारी
भारत अपनी नौसेना के लिए राफेल जेट के 26 नौसैनिक संस्करण खरीदने पर विचार कर रहा है, जिन्हें राफेल-मरीन जेट के नाम से जाना जाता है. भारतीय नौसेना अपने पुराने हो चुके विमानवाहक जेट, खासकर MiG-29K को बदलना चाहती है. राफेल-एम जेट को भारत के आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोतों से संचालित किया जाएगा. भारत के नौसेना आधुनिकीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में राफेल-एम जेट के सौदे पर चर्चा चल रही है. पिछले हफ्ते इस डील को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों के बीच अहम बातचीत हुई थी.

राफेल विमान डील के अलावा भारत और फ्रांस के बीच व्यापक रणनीतिक रक्षा साझेदारी है, जिसमें संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भविष्य के सैन्य प्लेटफार्मों का सह-विकास शामिल है. यह सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक फैला हुआ है, जहां दोनों देश स्थिरता बनाए रखना चाहते हैं और समुद्री हितों की रक्षा करना चाहते हैं.

राफेल मरीन जेट डील पर अभी भी चर्चा चल रही है. यह भारत की अपनी रक्षा सेनाओं को आधुनिक बनाने और अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने की मंशा को दर्शाता है, जो इसकी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक हितों को देखते हुए महत्वपूर्ण है.

भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग
भारत और फ्रांस के बीच रक्षा साझेदारी उनके द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण पहलू है, जो साझा रणनीतिक हितों, आपसी विश्वास और सहयोग के लंबे इतिहास पर आधारित है. यह साझेदारी रक्षा खरीद, संयुक्त अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आतंकवाद विरोधी प्रयासों सहित कई क्षेत्रों में फैली हुई है.

दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुख्य आकर्षण
भारत और फ्रांस के बीच सबसे प्रमुख रक्षा सौदों में से एक फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद थी. इस अनुबंध को 2016 में अंतिम रूप दिया गया था, जिसने भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया. फ्रांस भारत की नौसेना क्षमताओं को मजबूत करने में भी प्रमुख भागीदार रहा है. स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी परियोजना के तहत फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए पनडुब्बियों के विकास में सहायता की, जिसमें मझगांव डॉक लिमिटेड ने फ्रांसीसी नौसेना समूह से लाइसेंस के तहत उनका निर्माण किया.

फ्रांस भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी प्रमुख भागीदार रहा है, जिसका उद्देश्य स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र बनाए रखना है. फ्रांस भारत के दृष्टिकोण को साझा करता है, जिसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, नेविगेशन की स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है. दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. फ्रांस, हिंद महासागर में अपने क्षेत्रों (जैसे रियूनियन द्वीप) के साथ, समुद्री डोमेन जागरूकता, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन और आपदा राहत प्रयासों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भागीदार है.

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