ETV Bharat / international

संयुक्त राष्ट्र बोला- विदेशी कंपनियां निवेश के लिए भारत को दे रहीं प्राथमिकता - Multinational companies India

Multinational companies investing in India : संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देख रहीं हैं. यूएन के अनुसार इन कंपनियों की वजह से भारत को फायदा हो रहा है.

UN
यूएन
author img

By IANS

Published : Apr 10, 2024, 12:37 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत विदेशी निवेश का एक 'मजबूत' प्राप्तकर्ता बना हुआ है, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसे आपूर्ति श्रृंखला के लिए वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में पहचानती हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र ने कही.

सतत विकास के लिए वित्तपोषण - 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, "बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी से भारत को फायदा हो रहा है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति श्रृंखला और विविधीकरण रणनीतियों के संदर्भ में देश को एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देखते हैं."

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों के बड़े हिस्से के विपरीत दक्षिण एशिया, खासकर भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए "वैकल्पिक विनिर्माण आधार" के रूप में भारत की भूमिका पर चर्चा करते हुए रिपोर्ट में सीधे तौर पर चीन का उल्लेख नहीं किया गया है, जो भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण विकास के पीछे प्रेरक कारक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और कुछ अन्य देशों के विपरीत समग्र रूप से विकासशील दुनिया "चौंकाने वाले कर्ज के बोझ और आसमान छूती उधारी लागत" के कारण "स्थायी विकास संकट" का सामना कर रही है. इसमें कहा गया है, ''ये विकासशील देशों को उनके सामने आने वाले संकटों का जवाब देने से रोकते हैं.''

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना जे.मोहम्मद ने कहा, "हम वास्तव में एक चौराहे पर हैं और समय खत्‍म होता जा रहा है. नेताओं को बयानबाजी से आगे बढ़ना चाहिए और अपने वादों को पूरा करना चाहिए. पर्याप्त वित्तपोषण के बिना 2030 (संयुक्त राष्ट्र सतत विकास) लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सकता."

रिपोर्ट जारी होने पर एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "हम एक सतत विकास संकट का सामना कर रहे हैं, जिसमें असमानताओं, मुद्रास्फीति, ऋण, संघर्ष और जलवायु आपदाओं ने योगदान दिया है." अमीना ने कहा कि द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद बनाए गए वैश्विक वित्तीय संस्थान अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं और समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल सुधार की जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिक्स द्वारा बनाया गया न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) 2022 और 2026 के बीच अपने 30 फीसदी कर्ज राष्ट्रीय मुद्राओं में जारी करने की योजना बना रहा है, जिसमें भारतीय रुपये-मूल्य वाले बॉन्‍ड भी शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि "विकास वित्तपोषण अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर वित्त जुटाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, जो अब सालाना 4.2 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो कोविड-19 महामारी से पहले 2.5 ट्रिलियन डॉलर था, उससे ज्‍यादा है."

इसमें चेतावनी दी गई है, "बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाएं और वैश्विक जीवन-यापन संकट ने अरबों लोगों को प्रभावित किया है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य विकास लक्ष्यों पर प्रगति प्रभावित हुई है."

ये भी पढ़ें : तेज विकास के लिए एफडीआई का आना जरूरी, जानें क्यों

संयुक्त राष्ट्र : भारत विदेशी निवेश का एक 'मजबूत' प्राप्तकर्ता बना हुआ है, क्योंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसे आपूर्ति श्रृंखला के लिए वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में पहचानती हैं. यह बात संयुक्त राष्ट्र ने कही.

सतत विकास के लिए वित्तपोषण - 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, "बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी से भारत को फायदा हो रहा है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति श्रृंखला और विविधीकरण रणनीतियों के संदर्भ में देश को एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देखते हैं."

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों के बड़े हिस्से के विपरीत दक्षिण एशिया, खासकर भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए "वैकल्पिक विनिर्माण आधार" के रूप में भारत की भूमिका पर चर्चा करते हुए रिपोर्ट में सीधे तौर पर चीन का उल्लेख नहीं किया गया है, जो भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण विकास के पीछे प्रेरक कारक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और कुछ अन्य देशों के विपरीत समग्र रूप से विकासशील दुनिया "चौंकाने वाले कर्ज के बोझ और आसमान छूती उधारी लागत" के कारण "स्थायी विकास संकट" का सामना कर रही है. इसमें कहा गया है, ''ये विकासशील देशों को उनके सामने आने वाले संकटों का जवाब देने से रोकते हैं.''

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना जे.मोहम्मद ने कहा, "हम वास्तव में एक चौराहे पर हैं और समय खत्‍म होता जा रहा है. नेताओं को बयानबाजी से आगे बढ़ना चाहिए और अपने वादों को पूरा करना चाहिए. पर्याप्त वित्तपोषण के बिना 2030 (संयुक्त राष्ट्र सतत विकास) लक्ष्यों को पूरा नहीं किया जा सकता."

रिपोर्ट जारी होने पर एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, "हम एक सतत विकास संकट का सामना कर रहे हैं, जिसमें असमानताओं, मुद्रास्फीति, ऋण, संघर्ष और जलवायु आपदाओं ने योगदान दिया है." अमीना ने कहा कि द्वितीय विश्‍वयुद्ध के बाद बनाए गए वैश्विक वित्तीय संस्थान अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं और समकालीन चुनौतियों से निपटने के लिए तत्काल सुधार की जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिक्स द्वारा बनाया गया न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) 2022 और 2026 के बीच अपने 30 फीसदी कर्ज राष्ट्रीय मुद्राओं में जारी करने की योजना बना रहा है, जिसमें भारतीय रुपये-मूल्य वाले बॉन्‍ड भी शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि "विकास वित्तपोषण अंतर को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर वित्त जुटाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, जो अब सालाना 4.2 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो कोविड-19 महामारी से पहले 2.5 ट्रिलियन डॉलर था, उससे ज्‍यादा है."

इसमें चेतावनी दी गई है, "बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु आपदाएं और वैश्विक जीवन-यापन संकट ने अरबों लोगों को प्रभावित किया है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य विकास लक्ष्यों पर प्रगति प्रभावित हुई है."

ये भी पढ़ें : तेज विकास के लिए एफडीआई का आना जरूरी, जानें क्यों

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.