नई दिल्ली : मालदीव की संसद में हाथापाई की घटना हुई है. वहां की चीन समर्थक सरकार और विपक्ष के बीच स्थिति इस हद तक खराब हो गई कि सांसद आपस में ही एक दूसरे से भिड़ गए.
मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू की सरकार है. वह चीन के पिट्ठू की तरह काम करती है. उनकी सरकार ने संसद में मंत्रिमंडल में चार सदस्यों को मंजूरी देने का ऐलान किया था. इस पर विपक्ष ने सवाल उठाए. उन्होंने इन सदस्यों को लेकर पक्षपात के आरोप लगाए. सरकार और विपक्षी सांसदों के बीच मतभेद इस हद तक बढ़ गए, कि मुइज्जू के समर्थक सांसदों और विपक्षी सांसदों के बीच पहले धक्का-मुक्की हुई और फिर हाथापाई की नौबत आ गई.
इस घटना में कुछ सांसदों को चोटें भी आई हैं. एक सांसद को अस्पताल ले जाया गया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
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Elect a Clown @MMuizzu , expect a Circus.
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Kalesh inside Maldives Parliament. Ruling party members preventing the speaker from continuing the session amid vote on the approval of Muizzu's Cabinet 😂 pic.twitter.com/i89VUgBP6I
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— BALA (@erbmjha) January 28, 2024
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Kalesh inside Maldives Parliament. Ruling party members preventing the speaker from continuing the session amid vote on the approval of Muizzu's Cabinet 😂 pic.twitter.com/i89VUgBP6I
आपको बता दें कि मालदीव में विपक्षी पार्टियों ने भारत से बिगड़ते संबंधों को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि सरकार भारत से अच्छा संबंध रखे, लेकिन वहां की वर्तमान सरकार चीन के इशारे पर काम कर रही है. कुछ दिन पहले ही मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन दौरे पर गए थे. वहां से लौटते ही उनके तेवर बदल गए थे. उन्होंने भारत पर टिप्पणी भी की थी. विपक्षी सांसदों ने इसे सही नहीं माना.
मुइज्जू चाहते हैं कि वे चीन द्वारा थोपी जाने वाली नीतियों को लागू करें. वह चाहते थे कि उनकी सरकार को चलाने के लिए मंत्रिमंडल में चार सदस्यों को मंजूरी दी जाए, और उनके नाम पर संसद मुहर लगाए. लेकिन विपक्ष ने उनकी चाल को नाकाम कर दिया. इस विषय पर तीखी बहस हो गई और उसके बाद हाथापाई की घटना हो गई. इससे मुइज्जू सरकार की छवि फिर से खराब हो गई है.
जिन सदस्यों को मंजूरी मिलनी थी, उनके नाम हैं- मोहम्मद सईद, अली हैदर, मोहम्मद अली सईद और अहमद उशम. उशम अटॉर्नी जनरल हैं. विपक्षी दल एमडीपी ने इन नामों को लेकर पक्षपात का आरोप लगाया. इससे सत्तारूढ़ दल नाराज हो गया और उसने स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जारी कर दिया. मालदीव के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति बिना संसद की मंजूरी के मंत्रिमंडल के सदस्यों को नियुक्त नहीं कर सकते हैं.
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