केप कैनावेरल : एक निजी लैंडर गुरुवार को चंद्रमा पर उतरा, लेकिन उससे आने वाले सिग्नल काफी कमजोर हैं. जानकारी के मुताबिक, 50 साल से अधिक समय के बाद चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाले पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यान से उड़ान नियंत्रक बेहतर संपर्क प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
जहाज का निर्माण और प्रबंधन करने वाली कंपनी इंटुएटिव मशीन्स ने पुष्टि की कि खराब संचार के बावजूद यह अभियान तक सफल माना जायेगा. कंपनी की ओर से लैंडर की स्थिति या सटीक स्थान के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी गई है. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक टचडाउन की पुष्टि के तुरंत बाद कंपनी ने अपना लाइव वेबकास्ट समाप्त कर दिया.
![First Private Moon Lander Touches Down Surface](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-02-2024/20819629_moon.jpg)
मिशन के निदेशक टिम क्रैन ने कहा कि टीम मूल्यांकन कर रही थी कि ओडीसियस नामक लैंडर से अकेले सिग्नल को कैसे परिष्कृत किया जाए. लेकिन हम बिना किसी संदेह के पुष्टि कर सकते हैं कि हमारा उपकरण चंद्रमा की सतह पर है. इंटुएटिव मशीन्स के सीईओ स्टीव अल्टेमस ने कहा कि मुझे पता है कि यह मुश्किल स्थिति है लेकिन में चंद्रमा की सतह पर हैं और हमें वहां से सिग्नल मिल रहे हैं. इंट्यूएटिव मशीन्स चंद्र लैंडिंग करने वाला पहला निजी लैंडर भी बन गया. यह उपलब्धि अबतक केवल पांच देशों ने हासिल की है.
![First Private Moon Lander Touches Down Surface](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-02-2024/20819629_moontwo.jpg)
इससे पहले एक निजी प्रयास हो चुका है विफल: एक अन्य कंपनी ने पिछले महीने इसी तरह का प्रयास किया था लेकिन उसे सफलता नहीं मिली थी. उसका लैंडर चंद्रमा तक नहीं पहुंच सका और वापसी के दौरान पृथ्वी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस प्रोजेक्ट को पिट्सबर्ग की एक कंपनी, एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी की ओर से शुरू किया गया था. बताया गया कि ईंधन में रिसाव के कारण लैंडर पृथ्वी के वायुमंडल में वापस गिरा और उसमें आग लग गई. ओडीसियस चंद्रमा-स्किमिंग कक्षा से उतरा और दक्षिणी ध्रुव के पास सभी चट्टानों और गड्ढों के बीच एक अपेक्षाकृत सपाट स्थान की खोज करते हुए, सतह पर लैंड हुआ.
![First Private Moon Lander Touches Down Surface](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-02-2024/20819629_moonone.jpg)
चांद तक पहुंचने वाला सबसे तेज लैंडर बना ओडीसियस : ओडीसियस को 15 फरवरी को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से लॉन्च किया गया. इसने सीधे चंद्रमा की ओर प्रस्थान किया. रास्ते में, इसने खुद को सही प्रक्षेप पथ पर स्थापित करने के लिए अपने इंजन को कई बार चालू किया और पृथ्वी और चंद्रमा की छवियों को प्रेषित किया. इसने 21 फरवरी को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया, लैंडिंग का प्रयास करने से पहले शुरुआत में सतह से 92 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाया.
खुद ही किया नीचे के गड्ढों और पत्थरों का आकलन : अंतरिक्ष यान ने अपने इंजनों को कम ऊंचाई पर उतरने के लिए चालू किया, फिर प्रयासों की स्वायत्त श्रृंखला में चला गया जिसमें. उसने खुद ही नीचे के गड्ढों और पत्थरों का आकलन किया. आकलन के बाद यह अपने इच्छित लैंडिंग स्थल की ओर बढ़ गया और अपने सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपने इंजनों को फिर से चालू कर दिया, अंततः सतह पर उतर गया.
फोन-बूथ आकार का अंतरिक्ष यान : छह पैरों वाला, फोन-बूथ आकार का अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से लगभग 300 किलोमीटर दूर मालापर्ट ए क्रेटर के पास उतरा. नासा को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में दिलचस्पी है क्योंकि इस क्षेत्र की गंदगी और छायादार गड्ढों में बर्फ हो सकती है जो भविष्य के चंद्र खोजकर्ताओं के लिए ईंधन और अन्य संसाधन प्रदान कर सकती है. अधिकांश चंद्र लैंडर्स ने चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्रों का दौरा किया है; दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला एकमात्र मिशन भारत का चंद्रयान-3 है, जो पिछले अगस्त में उतरा था.
![First Private Moon Lander Touches Down Surface](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/23-02-2024/20819629_moonthree.jpg)
ह्यूस्टन कमांड सेंटर में बढ़ा तनाव : निर्धारित टचडाउन समय के बाद कंपनी के ह्यूस्टन कमांड सेंटर में तनाव बढ़ गया, क्योंकि नियंत्रक लगभग 250,000 मील (400,000 किलोमीटर) दूर अंतरिक्ष यान से सिग्नल का इंतजार कर रहे थे. करीब 15 मिनट बाद कंपनी ने घोषणा की कि उसे लैंडर से कमजोर सिग्नल मिला है.
नासा ने दिये फंड: पिछले सप्ताह लॉन्च किए गए, छह फुट के कार्बन फाइबर और 14 फीट (4.3 मीटर) ऊंचे टाइटेनियम लैंडर ने नासा के लिए छह प्रयोग किए. अंतरिक्ष एजेंसी ने कंपनी को लैंडर बनाने और उड़ाने के लिए 118 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए, जो कुछ वर्षों में अंतरिक्ष यात्रियों की योजनाबद्ध वापसी से पहले चांद पर डिलीवरी की संभावनायें तलाशने के उसके प्रयास का हिस्सा था.
इंट्यूएटिव मशीन्स की प्रविष्टि चंद्रमा का पता लगाने और यदि संभव हो तो इसका लाभ उठाने की चाहत रखने वाले देशों और निजी संगठनों की लैंडिंग प्रयासों की श्रृंखला में नवीनतम है. जापान ने पिछले महीने चंद्रमा पर लैंडिंग की और रूस, अमेरिका, चीन और भारत इससे पहले यह सफलता हासिल कर चुका है. 1972 में नासा के अपोलो कार्यक्रम ने 12 अंतरिक्ष यात्रियों को सतह पर उतारने के बाद अमेरिका चांद की यात्रा से जुड़े अभियानों से प्राय: बाहर हो गया.
इंटुएटिव मशीन्स का लक्ष्य दक्षिणी ध्रुव से 186 मील (300 किलोमीटर) दूर, लगभग 80 डिग्री अक्षांश और किसी भी अन्य अंतरिक्ष यान की तुलना में ध्रुव के करीब था. यह स्थल अपेक्षाकृत समतल है, लेकिन बोल्डर, पहाड़ियों, चट्टानों और गड्ढों से घिरा हुआ है, जो जमे हुए पानी को रोक सकते हैं, जो चांद के बारे में आकर्षण का एक बड़ा बिंदु है. लैंडर को वास्तविक समय में, तथाकथित मालापर्ट ए क्रेटर के पास सबसे सुरक्षित स्थान चुनने के लिए प्रोग्राम किया गया था.