इस्लामाबाद: चीन और पाकिस्तान का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि यदि विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, यदि मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है, तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और इसके कारणों को संबोधित करना होगा.
इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्षों की बैठक में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने उन प्रमुख चुनौतियों को सूचीबद्ध किया, जिनका मुकाबला करने के लिए शंघाई सहयोग संगठन प्रतिबद्ध है: आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग की मौजूदगी में जयशंकर ने कहा कि यदि हम चार्टर की शुरुआत से लेकर आज की स्थिति तक तेजी से आगे बढ़ते हैं, तो ये लक्ष्य और ये कार्य और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. इसलिए, यह आवश्यक है कि हम ईमानदारी से बातचीत करें.
At the 23rd Meeting of SCO Council of Heads of Government, in Islamabad, Pakistan, EAM Dr S Jaishankar says " sco’s primary goal of combatting terrorism, separatism and extremism is even more crucial in current times. it requires honest conversation, trust, good neighborliness and… pic.twitter.com/7cwifLlgYe
— ANI (@ANI) October 16, 2024
उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरी ईमानदारी से दोहराएं, तभी हम सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से महसूस कर पाएंगे, जिसकी परिकल्पना इसमें की गई है. इस वर्ष SCO शासनाध्यक्ष परिषद की अध्यक्षता के लिए पाकिस्तान को बधाई देते हुए, जयशंकर ने कहा कि भारत ने सफल अध्यक्षता के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है.
चेतावनी देते हुए, जयशंकर ने फिर से चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि हालांकि, ऐसा करने के लिए, सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए. इसे वास्तविक साझेदारी पर बनाया जाना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर. अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को ही चुनेंगे तो यह आगे नहीं बढ़ सकता.
यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के संदर्भ में है जिसके बारे में नई दिल्ली का कहना है कि यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करता है. पाकिस्तान मध्य एशिया के साथ व्यापार करने के लिए भारतीय वस्तुओं के लिए भूमि पारगमन की अनुमति नहीं देता है.
उन्होंने कहा कि लेकिन सबसे बढ़कर, हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी. यह स्वयंसिद्ध है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की आवश्यकता होती है. जैसा कि चार्टर में स्पष्ट किया गया है, इसका अर्थ है 'तीन बुराइयों' का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहना.
यदि सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की विशेषता रखती हैं, तो वे समानांतर रूप से व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की संभावना नहीं रखती हैं. उन्होंने फिर से सीमा पार आतंकवाद पर पाकिस्तान की अड़ियल नीति की ओर इशारा करते हुए कहा.