काहिरा : इजरायल ने युद्धविराम और गाजा से बंधकों की रिहाई के संबंध में चर्चा के लिए काहिरा में प्रतिनिधिमंडल भेजने से इंकार कर दिया है. सीएनएन ने रविवार को एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी. इजरायली अधिकारी ने बताया कि उनकी सरकार ने यह निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि यह निर्णय दो प्रमुख इजरायली मांगों पर हमास की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद लिया गया है. इन मांगों में जीवित और मृत बंधकों की एक विस्तृत सूची प्रदान करना और बदले में इजरायली जेलों से रिहा किए जाने वाले फिलिस्तीनी कैदियों के अनुपात की पुष्टि पर सहमति जताना था.
अपनी पहचान उजागर ना करने की शर्त पर इजरायली अधिकारी ने कहा कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को बताया गया कि हमास ने इजरायल की दो प्रमुख मांगों पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है. जिसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम पिछले गुरुवार को एक भाषण में नेतन्याहू की उल्लिखित शर्तों का पालन करता है. अपने भाषण में उन्होंने किसी भी समझौते पर आगे बढ़ने से पहले बंधकों की पहचान पर स्पष्टता की आवश्यकता पर जोर दिया था.
इससे पहले बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान दिया था कि इजराइल ने प्रस्तावित छह सप्ताह के युद्धविराम को 'मूल रूप से स्वीकार कर लिया है'. लेकिन अब काहिरा वार्ता में इजराइल की भागीदारी रद्द होने के बाद इस बारे में और अधिक स्पष्टता का इंतजार है.
इससे पहले हमास का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को काहिरा पहुंचा. जहां उन्होंने उम्मीद जताई थी कि बातचीत के बाद शत्रुता समाप्त होगी. हालांकि, हमास के एक उच्च पदस्थ अधिकारी से जब इजरायल के शर्तों के संबंध में सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली.
हमास के एक सूत्र के अनुसार, वार्ता में शेष बचे बिंदुओं में स्थायी युद्धविराम की स्थापना, गाजा पट्टी से इजरायली सैनिकों की वापसी और उत्तर दक्षिण गाजा से विस्थापित व्यक्तियों की वापसी की सुविधा शामिल है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, आशावाद के बावजूद, एक राजनयिक सूत्र ने धीमी प्रगति का हवाला देते हुए तत्काल सफलता की संभावनाओं को कम कर दिया और सुझाव दिया कि अगले 48 घंटों के भीतर कोई समझौता नहीं हो सकता है.