हैदराबाद : इजराइल और ईरान के बीच हालात बदल रहे हैं. दोनों के बीच कभी भी युद्ध हो सकता है, इस तरह की एक स्थिति बनती जा रही है. अमेरिका, भारत समेत कई ताकतवर देश इस उभरते संघर्ष को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. दोनों मुल्कों की दुश्मनी ने पूरी दुनिया को हैरान और परेशान करके रख दिया है. इजराइल ने ईरानी हमले के कुछ दिन बाद जवाबी कार्रवाई की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकाने वाले शहर इस्फहान को निशाना बनाया.
ईरान इजरायल संघर्ष
ये अलग बात है कि ईरान इस्फहान पर हुए हमले की कोई खास अहमियत नहीं दे रहा है. सूत्रों के मुताबिक ईरानी अधिकारियों का कहना है कि इस्फहान पर कोई हमला नहीं हुआ है. पता नहीं ईरान ऐसा क्यों कर रहा है लेकिन देश की सरकारी मीडिया ने छोटे-छोटे ड्रोन की कॉमेडी वाली तस्वीरें शेयर की हैं. हालांकि, अमेरिका ने कहा है कि इस हमले को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. अमेरिका का सवाल करना काफी हद तक सही लग रहा है, क्योंकि ईरान और इजरायल की दुश्मनी ज्यादा ही बिगड़ गई है. जिसने मिडिल ईस्ट को संघर्ष में झोंक दिया है. दुनिया अब यह सवाल कर रही है कि, क्या इजरायली हमले के बाद ईरान चुप बैठा रह सकता है...क्या इजरायल इस तरह की हरकतें दोबारा करेगा?
क्या होगा संघर्ष का अंत
सबसे अहम यही प्रश्न है कि ऐसे हमलों के बाद क्या ईरानी सेना पलटवार करेगी? और क्या इसराइल ऐसे हमले और कर सकता है? अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल से ईरान पर हमला नहीं करने की सलाह दी थी. वहीं, ब्रिटेन और अन्य इंटरनेशनल सहयोगियों ने भी इजरायल से संघर्ष के दौरान संयम बरतने और कूटनीति के माध्यम से समस्या का समाधान करने की बात कही थी. वैसे ईरान-इजरायल संघर्ष को लेकर सवाल कई हैं, जिसका जवाब पाने के लिए अधिकांश देश माथापच्ची कर रहे हैं. कई देशों को लगता है कि अगर ईरान के इजरायल पर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमले का यही जवाब है, तो क्या नेतन्याहू की वॉर कैबिनेट इस जवाबी कार्रवाई से संतुष्ट है. क्या यह उसके लिए पर्याप्त है.
ताकत दिखाने की लड़ाई
इजराइल अपनी ऐसी ताकत ईरान को दिखाना चाहता है जिससे दुशमनों को उसकी ताकत का एहसास हो जाए. नेतन्याहू के पक्षधर पार्टियों ने भी ईरान के खिलाफ पुरजोर तरीके से जवाब देने की मांग की है. वहीं पश्चिम के शक्तिशाली देशों को मानना है कि ईरान और इजरायल के बीच शांति ही संघर्ष से बचने का एकमात्र विकल्प है. बता दें कि, ईरान और इजरायल के बीच ताजा संघर्ष की शुरूआत उस समय हुई जब दमिश्क स्थित ईरानी कॉन्सुलेट पर हुए हवाई हमले में ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी. जिसके बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते संघर्ष ने दुनिया को परेशान करके रख दिया है.
इस संघर्ष पर भारत की नजर
भारत भी इस संकट पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. भारत के लिए दुविधा का विषय यह है कि, ईरान और इजरायल के साथ उसके द्विपक्षीय और व्यापारिक संबंध काफी अच्छे हैं. अगर ये संकट का आखिरी पड़ाव है तो यह भी तय है कि दोनों देशों केबीच सैन्य टकराव के लिए नए पैमाने स्थापित हो गए हैं. ईरान और इजरायल के बीच दशकों से चली आ रही दुशमनी में ताजा घटनाक्रम बदलाव के नए संकेत हैं. क्योंकि, दोनों देशों के बीच के पर्दे के पीछे वाला खेल अब खुलकर सामने आ चुका है.
संघर्ष ने दुनिया की बदली तस्वीर
रूस और यूक्रेन जंग के बाद इजरायल और हमास के बीच जंग ने दुनिया की तस्वीर को बदलकर रख दिया. विश्व में इस तरह के होने वाले जंग में गुटबाजी की स्थिति पैदा हो जाती है. जब रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष शुरू हुआ था तो अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश रूस के खिलाफ खड़े हो गए थे. ठीक वैसे ही परिस्थिति इजरायल और ईरान के बीच ताजा संघर्ष ने खड़ी कर दी है.
कौन किसके साथ खड़ा है
इस संघर्ष में एक तरफ इजराइल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे ताकतवर देश हो सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ ईरान का साथ देने के लिए लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन जैसे पड़ोसी देश आगे आ सकते हैं. वैसे सैन्य ताकत में बेशक ईरान, इजराइल पर भारी पड़ता हो लेकिन इजराइल को पश्चिमी देशों का साथ है और वह खुद में एक मजबूत न्यूक्लियर पावर है. वैसे पुरी दुनिया में इजराइल का खौफ है. अब देखना यह है कि, क्या ईरान इजराइल से खौफ खाकर बम, बारूद से धधकती संघर्ष की ज्वाला में पानी डालकर उसे बुझा देगा या फिर उसमें तेल डालकर भड़काने का काम करेगा. इस सवाल के जवाब को तलाशने में फिलहाल सभी ताकतवर देश एक अलग ही संघर्ष कर रहे हैं.
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