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'ट्रीटमेंट क्लीनिक' खोलेगा ईरान, हिजाब का विरोध करने वाली महिलाओं का होगा इलाज - HIJAB REMOVAL TREATMENT

ईरानी उन महिलाओं के लिए ट्रीटमेंट क्लीनिक खोलने की योजना बना रहा है जो सार्वजनिक स्थानों पर सिर ढकने संबंधी कानून का उल्लंघन करती हैं.

हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लिनिक खोलेगा ईरान
हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लिनिक खोलेगा ईरान (सांकेतिक तस्वीर Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 15, 2024, 3:24 PM IST

तेहरान: ईरान ने अनिवार्य हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं के लिए ट्रीटमेंट क्लीनिक खोलने की घोषणा की है. मानवाधिकार समूहों और नागरिकों ने इसकी आलोचना की है. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित क्लीनिक, जिसे 'हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक' कहा जा रहा है. इसका खुलासा तेहरान के प्रमोशन ऑफ वर्चु और प्रिवेंशन ऑफ वाइस में महिला और परिवार विभाग की प्रमुख मेहरी तालेबी दारस्तानी ने किया.

दारस्तानी ने दावा किया कि क्लीनिक हिजाब का विरोध करने वाले महिलाओं का साइंटेफिक और साइकलोजिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा. कई ईरानी और अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं ने इस योजना की निंदा करते हुए कहा कि यह उन महिलाओं को कलंकित करता है, जो हिजाब नहीं पहनना चाहती हैं.

इस्लामी और ईरानी कानून के खिलाफ
ब्रिटेन स्थित ईरानी पत्रकार सिमा सबेट ने इस प्रस्ताव को डरावना बताया. वहीं, ईरानी मानवाधिकार वकील होसैन रईसी ने भी इसकी निंदा की और कहा कि हिजाब न पहनने वाली महिलाओं का ट्रीटमेंट क्लीनिक शुरू करना न तो इस्लामी कानून के अनुरूप है और न ही ईरानी का कानून इसकी इजाजत देता है. होसैन रईसी ने कहा कि क्लिनिक की देखरेख करने वाली एजेंसी सीधे सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को रिपोर्ट करती है.

यूनिवर्सिटी की छात्रा के विरोध के बाद ईरान का फैसला
द गार्जियन के मुताबिक कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि ईरान इन क्लीनिक ट्रीटमेंट सुविधा का इस्तेमाल डिटेंशन सेंटर की तरह कर सकता है. बता यह खबर उन रिपोर्टों के बाद आई है, जिसमें बताया गया है कि हिजाब कानून के खिलाफ सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के बाद एक यूनिवर्सिटी की छात्रा को हिरासत में लिया गया और उसे मनोरोग अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया.

दुर्व्यवहार को लेकर चिंता
इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई मानवाधिकार संगठनों ने मनोरोग संस्थानों में बंदियों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में चिंता जताई है, जिसमें यातना और जबरन दवा दिए जाने के मामले शामिल हैं. हाल के हफ्तों में हिजाब कानून के उल्लंघन पर कार्रवाई की गई है, जिसमें गिरफ़्तारी, गायब होने और कारोबार बंद होने की रिपोर्टें शामिल हैं.

गौरतलब है कि ईरान में मानवाधिकार सेंटर ने हाल ही में 25 साल की रोशनक मोलेई अलीशाह के मामले को उजागर किया था, जिसे उसके पहनावे को लेकर परेशान करने वाले एक व्यक्ति से भिड़ने के बाद हिरासत में लिया गया था. फिलहाल वह लापता हैं.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका संसदीय चुनाव 2024: राष्ट्रपति दिसानायके की पार्टी NPP रुझान में आगे

तेहरान: ईरान ने अनिवार्य हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं के लिए ट्रीटमेंट क्लीनिक खोलने की घोषणा की है. मानवाधिकार समूहों और नागरिकों ने इसकी आलोचना की है. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित क्लीनिक, जिसे 'हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक' कहा जा रहा है. इसका खुलासा तेहरान के प्रमोशन ऑफ वर्चु और प्रिवेंशन ऑफ वाइस में महिला और परिवार विभाग की प्रमुख मेहरी तालेबी दारस्तानी ने किया.

दारस्तानी ने दावा किया कि क्लीनिक हिजाब का विरोध करने वाले महिलाओं का साइंटेफिक और साइकलोजिकल ट्रीटमेंट किया जाएगा. कई ईरानी और अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ताओं ने इस योजना की निंदा करते हुए कहा कि यह उन महिलाओं को कलंकित करता है, जो हिजाब नहीं पहनना चाहती हैं.

इस्लामी और ईरानी कानून के खिलाफ
ब्रिटेन स्थित ईरानी पत्रकार सिमा सबेट ने इस प्रस्ताव को डरावना बताया. वहीं, ईरानी मानवाधिकार वकील होसैन रईसी ने भी इसकी निंदा की और कहा कि हिजाब न पहनने वाली महिलाओं का ट्रीटमेंट क्लीनिक शुरू करना न तो इस्लामी कानून के अनुरूप है और न ही ईरानी का कानून इसकी इजाजत देता है. होसैन रईसी ने कहा कि क्लिनिक की देखरेख करने वाली एजेंसी सीधे सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को रिपोर्ट करती है.

यूनिवर्सिटी की छात्रा के विरोध के बाद ईरान का फैसला
द गार्जियन के मुताबिक कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को डर है कि ईरान इन क्लीनिक ट्रीटमेंट सुविधा का इस्तेमाल डिटेंशन सेंटर की तरह कर सकता है. बता यह खबर उन रिपोर्टों के बाद आई है, जिसमें बताया गया है कि हिजाब कानून के खिलाफ सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के बाद एक यूनिवर्सिटी की छात्रा को हिरासत में लिया गया और उसे मनोरोग अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया.

दुर्व्यवहार को लेकर चिंता
इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई मानवाधिकार संगठनों ने मनोरोग संस्थानों में बंदियों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में चिंता जताई है, जिसमें यातना और जबरन दवा दिए जाने के मामले शामिल हैं. हाल के हफ्तों में हिजाब कानून के उल्लंघन पर कार्रवाई की गई है, जिसमें गिरफ़्तारी, गायब होने और कारोबार बंद होने की रिपोर्टें शामिल हैं.

गौरतलब है कि ईरान में मानवाधिकार सेंटर ने हाल ही में 25 साल की रोशनक मोलेई अलीशाह के मामले को उजागर किया था, जिसे उसके पहनावे को लेकर परेशान करने वाले एक व्यक्ति से भिड़ने के बाद हिरासत में लिया गया था. फिलहाल वह लापता हैं.

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