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श्रीलंका में भारत की हरित कूटनीति, जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं के लिए पहला भुगतान किया - India Sri Lanka Ties - INDIA SRI LANKA TIES

India Green Diplomacy in Sri Lanka : भारत ने कोलंबो में नई दिल्ली की हरित कूटनीति के तहत जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए श्रीलंका को पहला भुगतान किया है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

India Green Diplomacy in Sri Lanka
भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने कोलंबो में उच्चायोग में आयोजित समारोह में पहला भुगतान सौंपा. (X / @IndiainSL)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2024, 4:38 PM IST

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने गुरुवार को कोलंबो में उच्चायोग में आयोजित समारोह में जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पहला भुगतान सौंपा. श्रीलंका के विद्युत एवं ऊर्जा मंत्री सचिव डॉ. सुलक्षणा जयवर्धने और श्रीलंका सतत ऊर्जा प्राधिकरण (एसएलएसईए) के चेयरमैन रंजीत सेपाला ने पत्र प्राप्त किया.

कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के अनुसार, डेल्फ़्ट (Delft), नैनातिवु (Nainativu) और अनलैटिवी (Analaitivy) द्वीपों में हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच मार्च 2022 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए एसएलएसईए ने यू सोलर क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस साल 1 मार्च को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.

इस परियोजना का उद्देश्य तीन द्वीपों के लोगों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है, जो राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़े नहीं हैं. साथ ही यह परियोजना सौर और पवन दोनों तरह की ऊर्जाओं को मिलाकर क्षमताओं में सुधार करेगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि तीनों द्वीपों पर प्रारंभिक कार्य शुरू हो चुका है. परियोजना को मार्च 2025 की शुरुआत तक पूरा करने और अप्रैल 2025 के अंत तक सौंपने का लक्ष्य है. इस परियोजना के लिए भारत सरकार ने 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया है. यह ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है. साथ ही श्रीलंका में भारत की विकास साझेदारी पहलों की मानव-केंद्रित प्रकृति की पुष्टि करती है.

भारत द्वीप राष्ट्र श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने में सबसे आगे रहा है. नई दिल्ली ने हाल के वर्षों में श्रीलंका में अपने निवेश में बड़ी वृद्धि की है, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है.

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश
भारत ने बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के विकास सहित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है. इसका प्रमुख उदाहरण कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ECT) परियोजना है, जहां भारत ने विकास और प्रबंधन के लिए जापान और श्रीलंका के साथ सहयोग करने में रुचि दिखाई है. भारत पड़ोसी देश श्रीलंका में ऊर्जा परियोजनाओं में अहम भूमिका निभा रहा है, जैसे कि सामपुर पावर प्लांट परियोजना. इसके अतिरिक्त, सौर और पवन ऊर्जा सहित नवीन ऊर्जा परियोजनाओं में भी सहयोग कर रहा है.

भारत ने मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों में किया सहयोग
इन सबसे अलावा, भारत ने उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने के उद्देश्य से निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से श्रीलंका के मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों को सहायता प्रदान की है. भारत की दवा कंपनियों ने श्रीलंका में निवेश किया है और सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योगदान दिया है. भारत ने स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं और चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थापित करने में भी सहयोग किया है.

आर्थिक सहायता के रूप में, भारत ने श्रीलंका को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान की है, खासकर आर्थिक संकट के समय में. उदाहरण के लिए, भारत ने श्रीलंका को ऋण संकट से निपटने और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान की. ये निवेश भारत की अपने पड़ोस में स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने तथा सुरक्षा और व्यापार जैसी पारस्परिक चिंताओं को दूर करने की रणनीति का हिस्सा हैं.

यह भी पढ़ें- जब भारत और चीन का युद्धपोत आया आमने-सामने

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने गुरुवार को कोलंबो में उच्चायोग में आयोजित समारोह में जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पहला भुगतान सौंपा. श्रीलंका के विद्युत एवं ऊर्जा मंत्री सचिव डॉ. सुलक्षणा जयवर्धने और श्रीलंका सतत ऊर्जा प्राधिकरण (एसएलएसईए) के चेयरमैन रंजीत सेपाला ने पत्र प्राप्त किया.

कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के अनुसार, डेल्फ़्ट (Delft), नैनातिवु (Nainativu) और अनलैटिवी (Analaitivy) द्वीपों में हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच मार्च 2022 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए एसएलएसईए ने यू सोलर क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस साल 1 मार्च को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.

इस परियोजना का उद्देश्य तीन द्वीपों के लोगों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है, जो राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़े नहीं हैं. साथ ही यह परियोजना सौर और पवन दोनों तरह की ऊर्जाओं को मिलाकर क्षमताओं में सुधार करेगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि तीनों द्वीपों पर प्रारंभिक कार्य शुरू हो चुका है. परियोजना को मार्च 2025 की शुरुआत तक पूरा करने और अप्रैल 2025 के अंत तक सौंपने का लक्ष्य है. इस परियोजना के लिए भारत सरकार ने 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया है. यह ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है. साथ ही श्रीलंका में भारत की विकास साझेदारी पहलों की मानव-केंद्रित प्रकृति की पुष्टि करती है.

भारत द्वीप राष्ट्र श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने में सबसे आगे रहा है. नई दिल्ली ने हाल के वर्षों में श्रीलंका में अपने निवेश में बड़ी वृद्धि की है, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है.

बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश
भारत ने बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के विकास सहित विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है. इसका प्रमुख उदाहरण कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ECT) परियोजना है, जहां भारत ने विकास और प्रबंधन के लिए जापान और श्रीलंका के साथ सहयोग करने में रुचि दिखाई है. भारत पड़ोसी देश श्रीलंका में ऊर्जा परियोजनाओं में अहम भूमिका निभा रहा है, जैसे कि सामपुर पावर प्लांट परियोजना. इसके अतिरिक्त, सौर और पवन ऊर्जा सहित नवीन ऊर्जा परियोजनाओं में भी सहयोग कर रहा है.

भारत ने मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों में किया सहयोग
इन सबसे अलावा, भारत ने उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने के उद्देश्य से निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से श्रीलंका के मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों को सहायता प्रदान की है. भारत की दवा कंपनियों ने श्रीलंका में निवेश किया है और सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योगदान दिया है. भारत ने स्वास्थ्य सेवा सुविधाएं और चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थापित करने में भी सहयोग किया है.

आर्थिक सहायता के रूप में, भारत ने श्रीलंका को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान की है, खासकर आर्थिक संकट के समय में. उदाहरण के लिए, भारत ने श्रीलंका को ऋण संकट से निपटने और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान की. ये निवेश भारत की अपने पड़ोस में स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने तथा सुरक्षा और व्यापार जैसी पारस्परिक चिंताओं को दूर करने की रणनीति का हिस्सा हैं.

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