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बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! प्रदर्शनों के बाद नौकरियों से खत्म किया कोटा - Bangladesh Supreme Court

Bangladesh Supreme Court: बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया.

Bangladesh Supreme Court scraps job quota after deadly unrest
बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने खत्म किया कोटा (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 21, 2024, 5:06 PM IST

ढाका: बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया, जिससे देश भर में कई दिनों तक चली हिंसा और पुलिस के साथ झड़पों के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों को आंशिक जीत मिल गई है.

यह फैसला उस कोटे को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसमें बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में बड़ा हिस्सा आरक्षित किया गया था. इस कोटे के कारण छात्रों में असंतोष पैदा हो गया. उनका तर्क था कि यह सिस्टम भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को लाभ पहुंचाता है.

जून में लागू हुआ था कोटा
सरकार ने इससे पहले 2018 में बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद कोटा को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन जून में हाई कोर्ट ने इसे फिर से लागू कर दिया, जिससे तनाव फिर से भड़क गया और विरोध प्रदर्शनों का एक नया दौर शुरू हो गया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए कोटा 30 प्रतिशत से घटाकर 5 फीसदी कर दिया, अब 93 प्रतिशत पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे. शेष 2 पर्सेंट जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और विकलांग लोगों को आवंटित किए जाएंगे.

हिंसा के चलते विश्वविद्यालय बंद
बता दें कि शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान सबसे खराब माने जाने वाले इस प्रदर्शन में विश्वविद्यालय बंद हो गए और पूरे देश में इंटरनेट बंद कर दिया गया, जबकि सरकार ने लोगों को घर पर रहने का आदेश दिया. इस बीच विरोध प्रदर्शन हिंसक झड़पों में बदल गया, जिसमें पुलिस ने पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियां और धुएं के ग्रेनेड का इस्तेमाल किया.

103 लोगों की मौत
हालांकि, अधिकारियों ने आधिकारिक हताहतों के आंकड़े जारी नहीं किए, लेकिन स्थानीय रिपोर्टों ने संकेत दिया कि कम से कम 103 लोग मारे गए थे, जबकि अन्य सोर्स ने 151 लोगों की मौत की सूचना दी थी. गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने आवश्यक कामों के लिए घर पर रहने के आदेश में अस्थायी छूट की घोषणा की और संकट से निपटने के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया.

भारतीय नागरिकों को वापस लाने की कवायद शुरू
इस बीच बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों की वापसी के लिए भारतीय दूतावास की ओर से आवश्यक सहायता मुहैया कराई जा रही है. वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बांग्लादेश में रह रहे तमिलों का ब्योरा हासिल करने और उन्हें सभी आवश्यक सहायता मुहैया कराने के आदेश दिए हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए तमिलनाडु अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री गिंगी मस्थान ने कहा, "पहले चरण में बांग्लादेश में पढ़ रहे तमिलनाडु के 49 छात्रों को लाने के लिए कदम उठाए गए हैं.विदेश मंत्रालय आज रात उन्हें चेन्नई एयरपोर्ट पर लाने का काम कर रहा है."

उन्होंने बताया कि यह जानकारी छात्रों के अभिभावकों को भी दे दी गई है. साथ ही पीड़ितों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित आश्रय और भोजन मुहैया कराने की व्यवस्था भी कर दी गई है. पूरी सूची मिलने के बाद उन्हें तमिलनाडु लाने का काम शुरू हो जाएगा. हम लगातार पीड़ितों की पहचान कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के अधिकारी भारतीय दूतावास से संपर्क कर मदद कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में सरकार विरोधी आंदोलन, हिंसा नियंत्रण के लिए कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं बंद

ढाका: बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया, जिससे देश भर में कई दिनों तक चली हिंसा और पुलिस के साथ झड़पों के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों को आंशिक जीत मिल गई है.

यह फैसला उस कोटे को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसमें बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में बड़ा हिस्सा आरक्षित किया गया था. इस कोटे के कारण छात्रों में असंतोष पैदा हो गया. उनका तर्क था कि यह सिस्टम भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को लाभ पहुंचाता है.

जून में लागू हुआ था कोटा
सरकार ने इससे पहले 2018 में बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद कोटा को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन जून में हाई कोर्ट ने इसे फिर से लागू कर दिया, जिससे तनाव फिर से भड़क गया और विरोध प्रदर्शनों का एक नया दौर शुरू हो गया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए कोटा 30 प्रतिशत से घटाकर 5 फीसदी कर दिया, अब 93 प्रतिशत पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे. शेष 2 पर्सेंट जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और विकलांग लोगों को आवंटित किए जाएंगे.

हिंसा के चलते विश्वविद्यालय बंद
बता दें कि शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान सबसे खराब माने जाने वाले इस प्रदर्शन में विश्वविद्यालय बंद हो गए और पूरे देश में इंटरनेट बंद कर दिया गया, जबकि सरकार ने लोगों को घर पर रहने का आदेश दिया. इस बीच विरोध प्रदर्शन हिंसक झड़पों में बदल गया, जिसमें पुलिस ने पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियां और धुएं के ग्रेनेड का इस्तेमाल किया.

103 लोगों की मौत
हालांकि, अधिकारियों ने आधिकारिक हताहतों के आंकड़े जारी नहीं किए, लेकिन स्थानीय रिपोर्टों ने संकेत दिया कि कम से कम 103 लोग मारे गए थे, जबकि अन्य सोर्स ने 151 लोगों की मौत की सूचना दी थी. गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने आवश्यक कामों के लिए घर पर रहने के आदेश में अस्थायी छूट की घोषणा की और संकट से निपटने के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया.

भारतीय नागरिकों को वापस लाने की कवायद शुरू
इस बीच बांग्लादेश में रह रहे भारतीयों की वापसी के लिए भारतीय दूतावास की ओर से आवश्यक सहायता मुहैया कराई जा रही है. वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बांग्लादेश में रह रहे तमिलों का ब्योरा हासिल करने और उन्हें सभी आवश्यक सहायता मुहैया कराने के आदेश दिए हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए तमिलनाडु अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री गिंगी मस्थान ने कहा, "पहले चरण में बांग्लादेश में पढ़ रहे तमिलनाडु के 49 छात्रों को लाने के लिए कदम उठाए गए हैं.विदेश मंत्रालय आज रात उन्हें चेन्नई एयरपोर्ट पर लाने का काम कर रहा है."

उन्होंने बताया कि यह जानकारी छात्रों के अभिभावकों को भी दे दी गई है. साथ ही पीड़ितों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित आश्रय और भोजन मुहैया कराने की व्यवस्था भी कर दी गई है. पूरी सूची मिलने के बाद उन्हें तमिलनाडु लाने का काम शुरू हो जाएगा. हम लगातार पीड़ितों की पहचान कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के अधिकारी भारतीय दूतावास से संपर्क कर मदद कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में सरकार विरोधी आंदोलन, हिंसा नियंत्रण के लिए कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं बंद

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