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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाहर छात्रों का उग्र प्रदर्शन, इस्तीफे की मांग

राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के एक बयान के बाद छात्रों ने बंगभवन को घेरा और नारेबाजी की.

BANGLADESH PROTEST
बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

ढाका: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने इस बार राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग की है. जानकारी के मुताबिक मंगलवार देर रात राष्ट्रपति के निवास स्थान बंगभवन के सामने भी प्रदर्शन किए गए हैं. इस दौरान हजारों लोग एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की, लेकिन उग्र लोगों ने इसे हटाने की कोशिश की. बिगड़ते हालात को संभालने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की और आंसूगैस के गोले भी छोड़े.

इससे पहले मंगलवार दोपहर को प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के लिए नेतृत्व करने वाले गुट ने ढाका में शहीद मीनार के मध्य एक रैली में राष्ट्रपति के इस्तीफे सहित 5 सूत्री मांगों की घोषणा की. इसके बाद वे राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़े. हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया. उग्र प्रदर्शनकारियों ने बंग भवन के बाहर धरना दिया और बांग्लादेश के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने शुरू कर दिए. एक नाराज प्रदर्शनकारी ने कहा कि राष्ट्रपति शेख हसीना की तानाशाही सरकार के करीबी हैं. उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

प्रदर्शन की यह है वजह
सूत्रों से जो खबर मिली है उसके मुताबिक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ने से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद वहां विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए.

बता दें, मोहम्मद शहाबुद्दीन, जिन्हें मूल रूप से चुप्पू के नाम से जाना जाता है, बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं. उन्हें 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में अवामी लीग के नामांकन में निर्विरोध चुना गया था. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मांग की है कि 1972 में लिखे गए संविधान को समाप्त किया जाए तथा 2024 के परिप्रेक्ष्य में नया संविधान लिखने का आह्वान किया जाना चाहिए. नाराज छात्रों ने आवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की.

BANGLADESH PROTEST
बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि शेख हसीना के नेतृत्व में 2024, 2018 और 2024 में हुए चुनावों को अवैध घोषित किया जाए और इन चुनावों में जीतने वाले सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने जुलाई-अगस्त के विद्रोह की भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र की घोषणा की मांग की है. बता दें, इस विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत उस समय हुई थी, जब जुलाई में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की गई.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना हुई. 76 वर्षीय हसीना 5 अगस्त को भारत भाग गईं और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया. 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली.

पढ़ें: बांग्लादेश में चुनावी सुगबुगाहट के बीच बीएनपी ने की अंतरिम सरकार की आलोचना

ढाका: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने इस बार राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाने की मांग की है. जानकारी के मुताबिक मंगलवार देर रात राष्ट्रपति के निवास स्थान बंगभवन के सामने भी प्रदर्शन किए गए हैं. इस दौरान हजारों लोग एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की, लेकिन उग्र लोगों ने इसे हटाने की कोशिश की. बिगड़ते हालात को संभालने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की और आंसूगैस के गोले भी छोड़े.

इससे पहले मंगलवार दोपहर को प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के लिए नेतृत्व करने वाले गुट ने ढाका में शहीद मीनार के मध्य एक रैली में राष्ट्रपति के इस्तीफे सहित 5 सूत्री मांगों की घोषणा की. इसके बाद वे राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़े. हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया. उग्र प्रदर्शनकारियों ने बंग भवन के बाहर धरना दिया और बांग्लादेश के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाने शुरू कर दिए. एक नाराज प्रदर्शनकारी ने कहा कि राष्ट्रपति शेख हसीना की तानाशाही सरकार के करीबी हैं. उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

प्रदर्शन की यह है वजह
सूत्रों से जो खबर मिली है उसके मुताबिक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बयान दिया है. जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ने से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद वहां विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए.

बता दें, मोहम्मद शहाबुद्दीन, जिन्हें मूल रूप से चुप्पू के नाम से जाना जाता है, बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं. उन्हें 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में अवामी लीग के नामांकन में निर्विरोध चुना गया था. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने मांग की है कि 1972 में लिखे गए संविधान को समाप्त किया जाए तथा 2024 के परिप्रेक्ष्य में नया संविधान लिखने का आह्वान किया जाना चाहिए. नाराज छात्रों ने आवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि शेख हसीना के नेतृत्व में 2024, 2018 और 2024 में हुए चुनावों को अवैध घोषित किया जाए और इन चुनावों में जीतने वाले सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने जुलाई-अगस्त के विद्रोह की भावना को ध्यान में रखते हुए गणतंत्र की घोषणा की मांग की है. बता दें, इस विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत उस समय हुई थी, जब जुलाई में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की गई.

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन के बाद छात्रों का उग्र प्रदर्शन (ANI)

बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अंतरिम सरकार की स्थापना हुई. 76 वर्षीय हसीना 5 अगस्त को भारत भाग गईं और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया. 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली.

पढ़ें: बांग्लादेश में चुनावी सुगबुगाहट के बीच बीएनपी ने की अंतरिम सरकार की आलोचना

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