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'चीन और पाकिस्तान ने बांग्लादेश के खिलाफ रची साजिश' - ISI China Behind Bangladesh Coup - ISI CHINA BEHIND BANGLADESH COUP

ISI And China Behind Bangladesh Coup: भारत के खुफिया अधिकारियों ने एक अखबार को बताया कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की साजिश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीनी एजेंसियों ने मिलकर रची थी. उन्होंने बताया कि यह भारत में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए उनकी योजना का हिस्सा था.

ISI CHINA BEHIND BANGLADESH COUP
बांग्लादेश के ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की खबर के बाद प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में जश्न मनाते हुए. (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 6:58 PM IST

नई दिल्ली: खुफिया एजेंसियों को लगता है कि शेख हसीना को देश से भागने पर मजबूर करने वाले विरोध और तोड़फोड़ को बढ़ाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके चीनी संरक्षक का हाथ है. एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन को संगठित और आक्रमक रूप देने में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिविर (आईसीएस) का हाथ है. बता दें कि बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती है.

भारतीय खुफिया विभाग की इनपुट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा आईसीएस ने ही लोगों को भड़काया. नई आरक्षण नीति के विरोध के नाम पर उन्होंने शेख हसीना की सरकार को गिराने का काम किया. उनका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में ऐसी सरकार का गठन करना है जो पाकिस्तान और चीन के लिए काम करे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और चीन दोनों ही बांग्लादेश को भारत के खिलाफ आतंक के नये पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया जानकारी से पता चलता है कि आईसीएस सदस्यों ने कई महीने की तैयारी के बाद पूरे देश में हिंसा भड़काई. जानकारी के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखने और भड़काने के लिए जमात-ए-इस्लामी को चीन और पाकिस्तान से फंड भी मिले. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फंडिंग इस साल की शुरुआत में, यानी चुनावों से पहले ही, बांग्लादेश पहुंच गई थी. सूत्र बताते हैं कि इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया.

हालांकि हसीना ने चीन को खुश रखने की कोशिश की, लेकिन वह भारत के हितों के प्रति भी संवेदनशील थीं. जो चीन को पसंद नहीं था. दिलचस्प बात यह है कि इस्लामी छात्र संगठन के कई प्रमुख नेता लोकतंत्र और अधिकारों की शब्दावली का इस्तेमाल करके पश्चिमी-संबद्ध एनजीओ को लुभाने में कामयाब रहे.

बांग्लादेश से सटे भारतीय क्षेत्रों में जिहादी एजेंडे के प्रचार सहित भारत विरोधी गतिविधियों में इसकी सक्रिय भागीदारी के बाद आईसीएस लंबे समय से भारतीय खुफिया एजेंसियों की निगरानी में है. आईसीएस आईएसआई समर्थित संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ भी घनिष्ठ समन्वय में काम करता है, जो बांग्लादेश से जुड़ा एक पाकिस्तान स्थित देवबंदी आतंकवादी समूह है.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आईसीएस सदस्यों के प्रशिक्षण के वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं. एक खुफिया अधिकारी ने अखबार को बताया कि जमात या आईसीएस का अंतिम उद्देश्य बांग्लादेश में तालिबान जैसी सरकार स्थापित करना है. आईएसआई उन्हें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपने समर्थन का आश्वासन दे रहा है.

भारत और बांग्लादेशी सरकारों के बीच मजबूत होते संबंधों के मद्देनजर उनकी निकटता स्पष्ट हो गई. चीन के राज्य और सुरक्षा मंत्रालय से भी मदद मिलने का संदेह है, क्योंकि बीजिंग भारत और चीन के साथ अपने व्यवहार में हसीना के 'संतुलन कार्य' से खफा रहा है. एक खुफिया सूत्र ने कहा कि ढाका में एक सरकार जिस पर पाकिस्तान का प्रभाव है, निश्चित रूप से बीजिंग के हितों को बेहतर ढंग से पूरा करेगी.

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नई दिल्ली: खुफिया एजेंसियों को लगता है कि शेख हसीना को देश से भागने पर मजबूर करने वाले विरोध और तोड़फोड़ को बढ़ाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके चीनी संरक्षक का हाथ है. एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन को संगठित और आक्रमक रूप देने में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिविर (आईसीएस) का हाथ है. बता दें कि बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती है.

भारतीय खुफिया विभाग की इनपुट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा आईसीएस ने ही लोगों को भड़काया. नई आरक्षण नीति के विरोध के नाम पर उन्होंने शेख हसीना की सरकार को गिराने का काम किया. उनका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में ऐसी सरकार का गठन करना है जो पाकिस्तान और चीन के लिए काम करे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और चीन दोनों ही बांग्लादेश को भारत के खिलाफ आतंक के नये पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया जानकारी से पता चलता है कि आईसीएस सदस्यों ने कई महीने की तैयारी के बाद पूरे देश में हिंसा भड़काई. जानकारी के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखने और भड़काने के लिए जमात-ए-इस्लामी को चीन और पाकिस्तान से फंड भी मिले. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फंडिंग इस साल की शुरुआत में, यानी चुनावों से पहले ही, बांग्लादेश पहुंच गई थी. सूत्र बताते हैं कि इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया.

हालांकि हसीना ने चीन को खुश रखने की कोशिश की, लेकिन वह भारत के हितों के प्रति भी संवेदनशील थीं. जो चीन को पसंद नहीं था. दिलचस्प बात यह है कि इस्लामी छात्र संगठन के कई प्रमुख नेता लोकतंत्र और अधिकारों की शब्दावली का इस्तेमाल करके पश्चिमी-संबद्ध एनजीओ को लुभाने में कामयाब रहे.

बांग्लादेश से सटे भारतीय क्षेत्रों में जिहादी एजेंडे के प्रचार सहित भारत विरोधी गतिविधियों में इसकी सक्रिय भागीदारी के बाद आईसीएस लंबे समय से भारतीय खुफिया एजेंसियों की निगरानी में है. आईसीएस आईएसआई समर्थित संगठन हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (हूजी) के साथ भी घनिष्ठ समन्वय में काम करता है, जो बांग्लादेश से जुड़ा एक पाकिस्तान स्थित देवबंदी आतंकवादी समूह है.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आईसीएस सदस्यों के प्रशिक्षण के वीडियो साक्ष्य मौजूद हैं. एक खुफिया अधिकारी ने अखबार को बताया कि जमात या आईसीएस का अंतिम उद्देश्य बांग्लादेश में तालिबान जैसी सरकार स्थापित करना है. आईएसआई उन्हें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपने समर्थन का आश्वासन दे रहा है.

भारत और बांग्लादेशी सरकारों के बीच मजबूत होते संबंधों के मद्देनजर उनकी निकटता स्पष्ट हो गई. चीन के राज्य और सुरक्षा मंत्रालय से भी मदद मिलने का संदेह है, क्योंकि बीजिंग भारत और चीन के साथ अपने व्यवहार में हसीना के 'संतुलन कार्य' से खफा रहा है. एक खुफिया सूत्र ने कहा कि ढाका में एक सरकार जिस पर पाकिस्तान का प्रभाव है, निश्चित रूप से बीजिंग के हितों को बेहतर ढंग से पूरा करेगी.

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