हैदराबाद : मलेरिया के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग जान गंवा देते हैं. इससे भी कई गुणा लोग मलेरिया के चपेट में होते हैं. इस कारण सरकारों व आम लोगों पर भारी आर्थिक बोझ भी पड़ता है. मलेरिया मुक्त विश्व की परिकल्पना को साकार करने के लिए लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. इस बीमारी के उन्मूलन के लिए समय पर जांच, इलाज और नये इलाके/नये लोगों में फैलने से रोकना जरूरी है. विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर मलेरिया से जुड़े हर पक्ष के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है, ताकि इसके प्रसार को रोका जा सके.
2022 में मलेरिया की चपेट में आने के कारण दुनिया भर में 608000 लोगों की मौत हो गई. 2022 में 24.900 करोड़ (249 मिलियन) लोग मलेरिया की चपेट में आये. 94 फीसदी मलेरिया के मामले और 95 फीसदी मौत के मामले अफ्रीका महाद्वीप में दर्ज किये गये.
लैंगिक असमानताएं, भेदभाव और हानिकारक लैंगिक मानदंड उसके इस रोग से ग्रस्त होने के जोखिम को बढ़ा देते हैं. यदि इलाज नहीं किया जाए, तो गर्भावस्था में मलेरिया गंभीर एनीमिया, मातृ मृत्यु, मृत बच्चे का जन्म, समय से पहले प्रसव और कम वजन वाले शिशुओं का कारण बन सकता है.
शरणार्थियों, प्रवासियों, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों और स्वदेशी लोगों को भी मलेरिया का खतरा अधिक होता है और जहां मलेरिया पनपता है वहां विषम परिस्थितियों का अनुभव हो सकता है.
जलवायु परिवर्तन और मानवीय आपातस्थितियां, जिनमें प्राकृतिक आपदाएं और मलेरिया-स्थानिक देशों में संघर्ष शामिल हैं. आबादी को विस्थापित कर रहे हैं, जिससे वे इस बीमारी के प्रति संवेदनशील हो गए हैं. इन्हें और अन्य जोखिम वाले समूहों को मलेरिया की रोकथाम, पता लगाने और इलाज के लिए आवश्यक सेवाओं से बाहर रखा जा रहा है, जिससे मलेरिया मुक्त दुनिया के लक्ष्य को हासिल करने में प्रगति बाधित हो रही है.
हर किसी को मलेरिया की रोकथाम, पता लगाने और इलाज के लिए गुणवत्तापूर्ण, समय पर और सस्ती सेवाओं का अधिकार है. फिर भी यह सभी के लिए उपलब्ध नहीं है. शिशुओं और छोटे बच्चों को सबसे अधिक मृत्यु दर का सामना करना पड़ रहा है. 2022 में अफ्रीका में मलेरिया से संबंधित 5 में से 4 मौतें 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होने का अनुमान है.
शिक्षा और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच में असमानताएं जोखिम को और बढ़ा देती हैं: उप-सहारा अफ्रीका के सबसे गरीब घरों के 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सबसे अमीर घरों के बच्चों की तुलना में मलेरिया से संक्रमित होने की संभावना 5 गुना अधिक है. गर्भावस्था से महिला की मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वह संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है और गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.
विश्व मलेरिया दिवस पर आइए 'अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाएं':
- भेदभाव और कलंक को खत्म करना
- स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने में समुदायों को शामिल करना
- मलेरिया के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों को संबोधित करना
- सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम भी शामिल है.
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल को उस स्थान के करीब लाना जहां लोग रहते हैं और काम करते हैं.
भारत में मलेरिया
भारत के कई हिस्सों में मलेरिया आज भी एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. देश में कुछ खास इलाके में हर साल नियमित तौर पर मलेरिया के मामले दर्ज किये जाते हैं. इन इलाकों में 90 फीसदी से ज्यादा मामले दर्ज किये जाते हैं. आधिकारिक तौर पर दर्ज 80 फीसदी मलेरिया के मामले कुछ सीमित क्षेत्रों में पाये जाते हैं, जिनमें आदिवासी समुदाय, पहाड़ी व दुर्गम इलाके के लोग रहते हैं. वेक्टर जनित रोग नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCVBDC) के अनुसार 2001 से 2022 तक 21 सालों में मलेरिया से 20,044 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं गैर आधिकारिक आंकड़ों में मलेरिया से मरने वालों की संख्या कई गुणा हो सकती है. मलेरिया से होने वाली मौतों को रोकने के लिए जरूरी है रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट की सुविधा, इलाज व निगरानी की व्यवस्था सुलभ हो.