हैदराबाद : जन्मजात हृदय दोष या Congenital heart defect सभी प्रकार के जन्म दोषो में से सबसे आम माने जाते हैं. इस अवस्था को लेकर उपलब्ध आंकड़ों की माने तो यह प्रत्येक 1000 नवजात बच्चों में से 8 को प्रभावित करता है, वहीं हर साल हजारों लोग जन्मजात हृदय दोषों के परिणामस्वरूप अपनी जान गंवा देते हैं. जन्मजात Heart defect के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित करने तथा उन्हें इन दोषों, उनके लक्षणों व उपचार को लेकर शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 14 फरवरी को World congenital heart defect awareness day (विश्व जन्मजात हृदय दोष जागरूकता दिवस) मनाया जाता है. 14 February day special
क्या है जन्मजात हृदय दोष व उनके लक्षण
जन्मजात हृदय रोग एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चा अलग-अलग प्रकार की हृदय संबंधी अवस्थाओं या दोषों के साथ पैदा होता है. जन्मजात हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं. जिनमें से कुछ ऐसे होते है जो सामान्य इलाज से तथा सामान्य जीवन में नियमित सावधानियां अपनाने से ठीक हो जाते हैं या उनके कारण सामान्य जीवन जीने में पीड़ित को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. लेकिन कई बार कुछ जन्मजात हृदय रोग काफी घातक भी हो सकते हैं. इस अवस्था में कई बार पीड़ित को सर्जरी करवाने या आजीवन उपचार व दवा खाने की जरूरत पड़ सकती है. वहीं गंभीर अवस्था में कई बार पीड़ित के जान जाने का जोखिम भी बढ़ जाता है. हृदय में छेद या एट्रियल या वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष, रक्त वाहिकाओं में समस्या या हृदय वाल्व के साथ समस्याएं, जन्मजात हृदय रोगों की श्रेणी में आने वाली आम समस्याएं मानी जाती हैं.
जानकारों की माने तो नवजात से लेकर थोड़े बड़े बच्चों में ज्यादातर जन्मजात हृदय रोगों के लक्षण प्रत्यक्ष रूप में नजर आने लगते हैं. हालांकि कभी-कभी कुछ अवस्थाओं में ऐसा भी हो सकता है कि समस्या के ज्यादा बढ़ने तक लक्षण नजर ना आए या बहुत कम नजर आयें. लक्षणों की बात करें तो नवजात बच्चों में आमतौर पर त्वचा, होंठ या नाखून का रंग बदल कर हल्का भूरा या नीला हो जाना, तेजी से सांस लेना, वजन ना बढ़ना, हाथ-पैर-पेट या आंखों के आसपास की त्वचा में सूजन होना तथा शरीर में रक्त का संचार ठीक से नहीं होने जैसे लक्षण नजर आते हैं.
वहीं थोड़े बड़े बच्चों में खेलने व व्यायाम के दौरान या ज्यादा शारीरिक मेहनत करने पर जरूरत से ज्यादा थक जाने या ज्यादा सांस फूलने जैसे लक्षण नजर आते हैं . वहीं कई बार पीड़ित बच्चें में खेलने के दौरान या बाद में बेहोश हो जाने जैसी समस्या भी नजर आ सकती है . इसके अलावा इस अवस्था में छाती में ज्यादा व लगातार संक्रमण होने तथा शरीर के सही तरह से विकास ना होने जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं.
Congenital heart defects के कारणों की बात करें तो इसके ज्ञात कारणों में किसी रोग व अवस्था का प्रभाव, पर्यावरणीय कारण तथा आनुवंशिकता मुख्य कारण माने जाते हैं. लेकिन कुछ अवस्थाओं में इसके सटीक कारणों का पता लगाना मुश्किल होता है. इसके चलते माता के गर्भ में बच्चे के हृदय का विकास प्रभावित होता है. कुछ मामलों में उनके हृदय का विकास बेहद धीमी गति से होता है वहीं कुछ मामलों में विकास रुक भी सकता है. जानकारों की माने तो यदि जन्म के तुरंत बाद इस अवस्था का पता नहीं चलता है और उसे समय पर जरूरी इलाज या देखभाल नहीं मिलती है तो शिशु में जान जाने का जोखिम बढ़ सकता है.
उद्देश्य तथा महत्व
World congenital heart defect awareness day पर वैश्विक स्तर पर लोगों में Congenital heart defects के प्रकारों, लक्षणों, उपचार व उसके प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों, शिविरों व अन्य आयोजनों को आयोजित किया जाता है. जागरूकता फैलाने के साथ ही Congenital heart defects के कारणों को जानने व उनके उपचार को बेहतर करने की दिशा में अनुसंधान को बढ़ाने तथा इस अवस्था से पीड़ित बच्चों व वयस्कों के लिए वित्तीय तथा अन्य जरूरी सहायता उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास करना भी इस आयोजन के उद्देश्यों में शामिल है. 14 february day special .