पटनाः बिहार के पटना में शुक्रवार को हिप रिप्लेसमेंट के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए दो दिवसीय मेडिवर्सल हिप एंड नी रिप्लेसमेंट कांक्लेव का आयोजन किया गया. कांक्लेव में दुनिया भर के 400 से अधिक आर्थोपेडिक चिकित्सक शामिल हो रहे हैं. इसी में डॉक्टर हिप एंड नी रिप्लेसमेंट पर चर्चा कर रहे हैं कि इसमें कितनी चुनौती है और इसके लिए लोगों को कैसे जागरूक किया जाए.
क्यों होती है इसकी जरूरत? पटना के जाने-माने ऑर्थोपेडिक सर्जन और मेडिवर्सल के फाउंडिंग डायरेक्टर डॉ निशांत रंजन ने बताया गठिया का दर्द जब बहुत अधिक बढ़ जाता है और कमर से उठना बैठना बंद हो जाता है तब हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ती है.
कैसे होती है सर्जरी? इसमें हिप रिप्लेसमेंट एक सर्जरी है जिसमें रोगग्रस्त कोर्टिलेज और कूल्हे के जोड़ की हड्डी को निकालकर उसके स्थान पर नकली जोड़ लगाया जाता है. इसे प्रोस्थेसिस कहते हैं. गठिया के दर्द के अलावा किसी भीषण एक्सीडेंट में कुल्हा डैमेज हो जाता है और उठना बैठना मुश्किल हो जाता है इसे कंडीशन में भी हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ती है.
"कूल्हों के पास दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है और दवाइयां काम नहीं करती है. व्यक्ति का उठना बैठना मुश्किल हो जाता है और असह्य दर्द महसूस होता है तब हिप रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ती है. कूल्हे और जांघ की हड्डी की ऊपरी हिस्से को घिसकर दोनों को जॉइंट करने वाली कार्टिलेज को निकालकर एक आर्टिफिशियल हिप लगाया जाता है." -डॉ निशांत रंजन, ऑर्थोपेडिक सर्जन
डेढ़ घंटे की सर्जरीः डॉ निशांत रंजन ने बताया कि यह लगभग एक से डेढ़ घंटे की सर्जरी होती है. सर्जरी के 12 घंटे बाद वाकर के सहारे मरीज चलना फिरना शुरु कर देता है. कुछ ही महीना में वह आराम से अपने दिनचर्या के सभी काम कर सकता है. पैदल चलने और गाड़ी चलाने में कोई कठिनाई नहीं होती.
क्या सावधानी बरतनी चाहिए? डॉ निशांत रंजन ने बताया कि हिप रिप्लेसमेंट के बाद व्यक्ति पहले के जैसा दौड़ भाग नहीं कर सकता है. हैवी फिजिकल वर्क से मनाही होती है. अधिक वजन नहीं उठना होता है. इसके अलावा दौड़ने कूदने की मनाही होती है.
यह खेल खेलने की मनाहीः गोल्फ और जिसमें अधिक फिजिकल वर्क नहीं हो वैसे खेल खेले जा सकते हैं लेकिन क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, टेनिस जैसे गेम नहीं खेली जा सकती. कूल्हा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में जो नई तकनीक आई है और चिकित्सकों का अपना जो कुछ भी अनुभव रहा है उसे सबको इस कॉन्क्लेव में साझा किया जा रहा है. ताकि उस अनुभव का फायदा दूसरे चिकित्सक ले सकें. लाइव सर्जरी भी दिखाई गई है. वरिष्ठ चिकित्सकों ने युवा चिकित्सकों को इसके माध्यम से काफी कुछ सिखाया है.