हैदराबाद : हर काम को कल पर डालने की आदत या जिसे प्रोक्रेस्टिनेशन भी कहा जाता है. मनोचिकित्सक मानते हैं कि यदि Procrastination आदत के रूप में विकसित हो जाए तो यह ना सिर्फ व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि उसकी कार्य करने की क्षमता, उसकी प्रोडक्टिविटी तथा उसके सामाजिक व पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित कर सकती है. अगर आपको भी हर काम को कल पर डालने की आदत है तो पढ़ें पूरी खबर...
क्यों होता है प्रोक्रेस्टिनेशन ? : Why does procrastination happen ?
दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डॉ रीना दत्ता (पीएचडी) बताती हैं कि Procrastination या हर काम को कल पर डालने या टालने की आदत बहुत से लोगों में देखी जाती है. कुछ लोग कभी-कभार आलस या किसी अन्य कारण से आज के काम को कल के लिए टाल देते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह आदत के रूप में विकसित होने लगती है. ऐसे में लोग हमेशा हर काम को कल या बाद के लिए टालते रहते हैं.
वह बताती हैं कि कई लोग काम को टालने की आदत को आलस का नाम देते हैं. लेकिन Procrastination के लिए आलस एक कारण हो सकता है लेकिन यह आलस का पर्याय नहीं होता है. क्योंकि इस प्रवृत्ति में लोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन आलस, काम ना करने की इच्छा, किसी प्रकार के डर या अन्य कारण से उसे टालते रहते हैं.
प्रोक्रेस्टिनेशन के कारण : Procrastination Reasons
वह बताती हैं कि Procrastination के कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें आलस के अलावा काम या उसकी असफलता का डर, आत्म-संदेह तथा कार्य का जटिल होना, काम का बोरिंग यानी उबाऊ/अरुचिकर होना या काम ना करने की इच्छा होना आदि शामिल है. इन सभी कारकों के अलावा व्यक्ति की व्यवहारिक समस्याएं जैसे आत्म-अनुशासन की कमी और समय प्रबंधन के कौशल की कमी भी Procrastination के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.
इसके अलावा आजकल लोगों में इंटरनेट, सोशल मीडिया या रील्स देखने में आदि में ज्यादा समय बर्बाद करने के कारण भी प्रोक्रेस्टिनेशन की समस्या देखी जाती है. दरअसल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना कई बार लती बना देता हैं. वहीं लोग जानते-समझते और बुझते हुए भी उनसे दूर नहीं हो पाते हैं और उनके कारण अपने जरूरी कार्यों में भी विलंब करने लगते हैं.
प्रोक्रेस्टिनेशन का जीवन पर प्रभाव : Procrastination Effects on Life
वह बताती हैं कि प्रोक्रेस्टिनेशन आमतौर पर लोगों में तनाव व चिंता के साथ कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी, व्यवहारिक, सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है. वही इसका असर उनके व्यक्तित्व को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए बहुत जरूरी है की इस व्यवहार के आदत बनने को समझा व पहचाना जाय तथा समय से उससे निपटने के प्रयास किए जाए.
प्रोक्रेस्टिनेशन के व्यक्ति के स्वास्थ्य व जीवन पर कई नकारात्मक प्रभाव नजर आ सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
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प्रोक्रेस्टिनेशन से कैसे बचें : How to Avoid Procrastination
डॉ रीना दत्ता बताती हैं कि समय प्रबंधन, आत्म-अनुशासन, और सही प्राथमिकताएं तय करके कार्य करने से Procrastination की प्रवृत्ति में राहत पाई जा सकती है. इसके अलावा कुछ बातों को ध्यान में रखने तथा छोटी छोटी आदतों को अपनाने से भी Procrastination व उसके प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- कार्यों को लेकर प्राथमिकता तय करें, जैसे कौन सा कार्य ज्यादा महत्वपूर्ण है और कौन सा कम, और उसी के अनुसार कार्य करने की रणनीति बनाए.
- बड़े कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर पूरा करें. ऐसे में उन्हें पूरा करना आसान हो जाता है.
- हर काम के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित करें.
- ऐसी सोच, प्रलोभनों व विचलनों से बचने की कोशिश करें जो काम को करने की आपकी सोच को प्रभावित कर सकते हैं.
- खुद को प्रेरित करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्यों को हासिल करें.
- काम करते समय फोन विशेषकर सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखें.
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