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इस बैड हैबिट की गिरफ्त में आने से पहले हो जाएं सावधान, नहीं तो होंगे गंभीर नुकसान - Bad habit Procrastination

Bad habit Procrastination : क्या आपको भी हर काम को कल पर डालने की आदत है? अगर हां तो क्या आप यह भी जानते हैं, कि यह आदत ना सिर्फ आपकी उत्पादकता बल्कि आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकती है! important task postponing , postponing task for tomorrow , important task postponing , task postponing .

Habit of putting off every task for tomorrow is bad habit or what is Procrastination
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 6, 2024, 9:31 AM IST

Updated : Jun 7, 2024, 11:47 AM IST

हैदराबाद : हर काम को कल पर डालने की आदत या जिसे प्रोक्रेस्टिनेशन भी कहा जाता है. मनोचिकित्सक मानते हैं कि यदि Procrastination आदत के रूप में विकसित हो जाए तो यह ना सिर्फ व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि उसकी कार्य करने की क्षमता, उसकी प्रोडक्टिविटी तथा उसके सामाजिक व पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित कर सकती है. अगर आपको भी हर काम को कल पर डालने की आदत है तो पढ़ें पूरी खबर...

क्यों होता है प्रोक्रेस्टिनेशन ? : Why does procrastination happen ?
दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डॉ रीना दत्ता (पीएचडी) बताती हैं कि Procrastination या हर काम को कल पर डालने या टालने की आदत बहुत से लोगों में देखी जाती है. कुछ लोग कभी-कभार आलस या किसी अन्य कारण से आज के काम को कल के लिए टाल देते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह आदत के रूप में विकसित होने लगती है. ऐसे में लोग हमेशा हर काम को कल या बाद के लिए टालते रहते हैं.

Habit of putting off every task for tomorrow is bad habit or what is Procrastination
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

वह बताती हैं कि कई लोग काम को टालने की आदत को आलस का नाम देते हैं. लेकिन Procrastination के लिए आलस एक कारण हो सकता है लेकिन यह आलस का पर्याय नहीं होता है. क्योंकि इस प्रवृत्ति में लोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन आलस, काम ना करने की इच्छा, किसी प्रकार के डर या अन्य कारण से उसे टालते रहते हैं.

प्रोक्रेस्टिनेशन के कारण : Procrastination Reasons
वह बताती हैं कि Procrastination के कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें आलस के अलावा काम या उसकी असफलता का डर, आत्म-संदेह तथा कार्य का जटिल होना, काम का बोरिंग यानी उबाऊ/अरुचिकर होना या काम ना करने की इच्छा होना आदि शामिल है. इन सभी कारकों के अलावा व्यक्ति की व्यवहारिक समस्याएं जैसे आत्म-अनुशासन की कमी और समय प्रबंधन के कौशल की कमी भी Procrastination के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.

इसके अलावा आजकल लोगों में इंटरनेट, सोशल मीडिया या रील्स देखने में आदि में ज्यादा समय बर्बाद करने के कारण भी प्रोक्रेस्टिनेशन की समस्या देखी जाती है. दरअसल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना कई बार लती बना देता हैं. वहीं लोग जानते-समझते और बुझते हुए भी उनसे दूर नहीं हो पाते हैं और उनके कारण अपने जरूरी कार्यों में भी विलंब करने लगते हैं.

प्रोक्रेस्टिनेशन का जीवन पर प्रभाव : Procrastination Effects on Life
वह बताती हैं कि प्रोक्रेस्टिनेशन आमतौर पर लोगों में तनाव व चिंता के साथ कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी, व्यवहारिक, सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है. वही इसका असर उनके व्यक्तित्व को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए बहुत जरूरी है की इस व्यवहार के आदत बनने को समझा व पहचाना जाय तथा समय से उससे निपटने के प्रयास किए जाए.

प्रोक्रेस्टिनेशन के व्यक्ति के स्वास्थ्य व जीवन पर कई नकारात्मक प्रभाव नजर आ सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • हर काम को टालने की आदत से व्यक्ति की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा इससे ना सिर्फ व्यक्ति की उत्पादकता घट जाती है, बल्कि उसके कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. जिससे व्यक्ति की क्रेडिबिलिटी तथा उसकी इमेज भी खराब हो सकती है.
  • अगर व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण कार्यों को टालता रहता है, तो ऐसा नहीं है की वे कार्य उसके दिमाग से निकल जाते हैं . बल्कि उनका विचार और यह सोच की काम तो करना है व उसकी डेडलाइन हमेशा उनके हमारे दिमाग में लगातार घूमती रहती हैं. जिससे उनमें मानसिक दबाव बना रहता है. जो उसे मानसिक रूप से थका भी देता हैं. ऐसे में समय पर काम न करने से बेचैनी, घबराहट, तनाव और चिंता में वृद्धि होती है. लंबे समय तक Procrastination से डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
  • समय पर काम पूरा ना होने पर कार्य में समस्या, आत्मविश्लेषण तथा लोगों के नाराज व्यवहार से व्यक्ति का आत्मविश्वास प्रभावित होता है और उसके आत्म-सम्मान में भी कमी आती है. जो उनमें कई बार, अपराध बोध, आत्म-संदेह और निराशा का कारण बन सकती है.
  • Procrastination का प्रभाव व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों पर भी पड़ता है. काम को समय पर न पूरा करने से सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद हो सकते हैं. जिससे रिश्तों में तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं.
  • हर काम को टालने की आदत से लोग कई अवसरों को खो देते हैं. वहीं समय पर काम ना करने से उन्हे नई परियोजनाओं, प्रमोशन और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित होना पड़ सकता है. जिससे उनके कैरियर और व्यक्तिगत विकास में बाधा आ सकती है.
  • Procrastination के चलते व्यक्ति में तनाव व चिंता बढ़ जाती है और उसका प्रभाव उनकी नींद पर भी पड़ सकता है. इसके अलावा ऐसे में शारीरिक शिथिलता बढ़ जाती है. ऐसे में व्यक्ति में उच्च रक्तचाप तथा कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
Habit of putting off every task for tomorrow is bad habit or what is Procrastination
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प्रोक्रेस्टिनेशन से कैसे बचें : How to Avoid Procrastination
डॉ रीना दत्ता बताती हैं कि समय प्रबंधन, आत्म-अनुशासन, और सही प्राथमिकताएं तय करके कार्य करने से Procrastination की प्रवृत्ति में राहत पाई जा सकती है. इसके अलावा कुछ बातों को ध्यान में रखने तथा छोटी छोटी आदतों को अपनाने से भी Procrastination व उसके प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. कार्यों को लेकर प्राथमिकता तय करें, जैसे कौन सा कार्य ज्यादा महत्वपूर्ण है और कौन सा कम, और उसी के अनुसार कार्य करने की रणनीति बनाए.
  2. बड़े कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर पूरा करें. ऐसे में उन्हें पूरा करना आसान हो जाता है.
  3. हर काम के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित करें.
  4. ऐसी सोच, प्रलोभनों व विचलनों से बचने की कोशिश करें जो काम को करने की आपकी सोच को प्रभावित कर सकते हैं.
  5. खुद को प्रेरित करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्यों को हासिल करें.
  6. काम करते समय फोन विशेषकर सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखें.

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हैदराबाद : हर काम को कल पर डालने की आदत या जिसे प्रोक्रेस्टिनेशन भी कहा जाता है. मनोचिकित्सक मानते हैं कि यदि Procrastination आदत के रूप में विकसित हो जाए तो यह ना सिर्फ व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि उसकी कार्य करने की क्षमता, उसकी प्रोडक्टिविटी तथा उसके सामाजिक व पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित कर सकती है. अगर आपको भी हर काम को कल पर डालने की आदत है तो पढ़ें पूरी खबर...

क्यों होता है प्रोक्रेस्टिनेशन ? : Why does procrastination happen ?
दिल्ली की मनोवैज्ञानिक डॉ रीना दत्ता (पीएचडी) बताती हैं कि Procrastination या हर काम को कल पर डालने या टालने की आदत बहुत से लोगों में देखी जाती है. कुछ लोग कभी-कभार आलस या किसी अन्य कारण से आज के काम को कल के लिए टाल देते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह आदत के रूप में विकसित होने लगती है. ऐसे में लोग हमेशा हर काम को कल या बाद के लिए टालते रहते हैं.

Habit of putting off every task for tomorrow is bad habit or what is Procrastination
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

वह बताती हैं कि कई लोग काम को टालने की आदत को आलस का नाम देते हैं. लेकिन Procrastination के लिए आलस एक कारण हो सकता है लेकिन यह आलस का पर्याय नहीं होता है. क्योंकि इस प्रवृत्ति में लोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन आलस, काम ना करने की इच्छा, किसी प्रकार के डर या अन्य कारण से उसे टालते रहते हैं.

प्रोक्रेस्टिनेशन के कारण : Procrastination Reasons
वह बताती हैं कि Procrastination के कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें आलस के अलावा काम या उसकी असफलता का डर, आत्म-संदेह तथा कार्य का जटिल होना, काम का बोरिंग यानी उबाऊ/अरुचिकर होना या काम ना करने की इच्छा होना आदि शामिल है. इन सभी कारकों के अलावा व्यक्ति की व्यवहारिक समस्याएं जैसे आत्म-अनुशासन की कमी और समय प्रबंधन के कौशल की कमी भी Procrastination के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं.

इसके अलावा आजकल लोगों में इंटरनेट, सोशल मीडिया या रील्स देखने में आदि में ज्यादा समय बर्बाद करने के कारण भी प्रोक्रेस्टिनेशन की समस्या देखी जाती है. दरअसल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना कई बार लती बना देता हैं. वहीं लोग जानते-समझते और बुझते हुए भी उनसे दूर नहीं हो पाते हैं और उनके कारण अपने जरूरी कार्यों में भी विलंब करने लगते हैं.

प्रोक्रेस्टिनेशन का जीवन पर प्रभाव : Procrastination Effects on Life
वह बताती हैं कि प्रोक्रेस्टिनेशन आमतौर पर लोगों में तनाव व चिंता के साथ कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी, व्यवहारिक, सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है. वही इसका असर उनके व्यक्तित्व को भी प्रभावित कर सकता है. इसलिए बहुत जरूरी है की इस व्यवहार के आदत बनने को समझा व पहचाना जाय तथा समय से उससे निपटने के प्रयास किए जाए.

प्रोक्रेस्टिनेशन के व्यक्ति के स्वास्थ्य व जीवन पर कई नकारात्मक प्रभाव नजर आ सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • हर काम को टालने की आदत से व्यक्ति की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा इससे ना सिर्फ व्यक्ति की उत्पादकता घट जाती है, बल्कि उसके कार्य की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. जिससे व्यक्ति की क्रेडिबिलिटी तथा उसकी इमेज भी खराब हो सकती है.
  • अगर व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण कार्यों को टालता रहता है, तो ऐसा नहीं है की वे कार्य उसके दिमाग से निकल जाते हैं . बल्कि उनका विचार और यह सोच की काम तो करना है व उसकी डेडलाइन हमेशा उनके हमारे दिमाग में लगातार घूमती रहती हैं. जिससे उनमें मानसिक दबाव बना रहता है. जो उसे मानसिक रूप से थका भी देता हैं. ऐसे में समय पर काम न करने से बेचैनी, घबराहट, तनाव और चिंता में वृद्धि होती है. लंबे समय तक Procrastination से डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
  • समय पर काम पूरा ना होने पर कार्य में समस्या, आत्मविश्लेषण तथा लोगों के नाराज व्यवहार से व्यक्ति का आत्मविश्वास प्रभावित होता है और उसके आत्म-सम्मान में भी कमी आती है. जो उनमें कई बार, अपराध बोध, आत्म-संदेह और निराशा का कारण बन सकती है.
  • Procrastination का प्रभाव व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों पर भी पड़ता है. काम को समय पर न पूरा करने से सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद हो सकते हैं. जिससे रिश्तों में तनाव और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं.
  • हर काम को टालने की आदत से लोग कई अवसरों को खो देते हैं. वहीं समय पर काम ना करने से उन्हे नई परियोजनाओं, प्रमोशन और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित होना पड़ सकता है. जिससे उनके कैरियर और व्यक्तिगत विकास में बाधा आ सकती है.
  • Procrastination के चलते व्यक्ति में तनाव व चिंता बढ़ जाती है और उसका प्रभाव उनकी नींद पर भी पड़ सकता है. इसके अलावा ऐसे में शारीरिक शिथिलता बढ़ जाती है. ऐसे में व्यक्ति में उच्च रक्तचाप तथा कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
Habit of putting off every task for tomorrow is bad habit or what is Procrastination
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

प्रोक्रेस्टिनेशन से कैसे बचें : How to Avoid Procrastination
डॉ रीना दत्ता बताती हैं कि समय प्रबंधन, आत्म-अनुशासन, और सही प्राथमिकताएं तय करके कार्य करने से Procrastination की प्रवृत्ति में राहत पाई जा सकती है. इसके अलावा कुछ बातों को ध्यान में रखने तथा छोटी छोटी आदतों को अपनाने से भी Procrastination व उसके प्रभावों से बचने में मदद मिल सकती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. कार्यों को लेकर प्राथमिकता तय करें, जैसे कौन सा कार्य ज्यादा महत्वपूर्ण है और कौन सा कम, और उसी के अनुसार कार्य करने की रणनीति बनाए.
  2. बड़े कार्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर पूरा करें. ऐसे में उन्हें पूरा करना आसान हो जाता है.
  3. हर काम के लिए एक निश्चित समय सीमा निर्धारित करें.
  4. ऐसी सोच, प्रलोभनों व विचलनों से बचने की कोशिश करें जो काम को करने की आपकी सोच को प्रभावित कर सकते हैं.
  5. खुद को प्रेरित करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्यों को हासिल करें.
  6. काम करते समय फोन विशेषकर सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखें.

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Last Updated : Jun 7, 2024, 11:47 AM IST
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