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घुटनों के दर्द से छुटकारा दिला सकती हैं ये 5 आयुर्वेदिक जड़ी बूटी और फल, रिसर्च के अनुसार जानें कैसे? - Ayurveda For Arthritis

Ayurveda For Arthritis: हमारा शरीर बिना दर्द के सही तरह से काम कर सके, इसके लिये हमारी हड्डियों का स्वस्थ, मजबूत तथा रोग रहित होना बहुत जरूरी है. बुढ़ापे का रोग कहा जाने वाला ऑस्टियोआर्थराइटिस अब कम उम्र में भी लोगों को परेशान करने लगा है. ऐसे में भारत में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं. जिस का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है. इस खबर में बताए गए अध्ययन के अनुसार से जानते है कि गठिया कौन-कौन से फल और पौधों का सेवन करना चाहिए...

Ayurveda For Arthritis
घुटनों के दर्द से छुटकारा दिला सकती हैं ये 5 आयुर्वेदिक जड़ी बूटी और फल, जानें कैसे? (CANVA)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 14, 2024, 3:08 PM IST

Updated : Sep 14, 2024, 4:44 PM IST

हैदराबाद: रूमेटाइड अर्थराइटिस या गठिया या (RA) एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जो पीड़ित के जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इसके कारण ना सिर्फ पीड़ित को जोड़ों में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है बल्कि सही समय पर इलाज तथा सही मैनेजमेंट के अभाव में यह पीड़ित में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. rheumatoid Arthritis एक क्रोनिक ऑटोइम्यून इंफ्लामेटरी रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों के आसपास मौजूद झिल्लियों की परत पर हमला करने लगती है. जिससे उनमें सूजन, अकड़न, दर्द और कठोरता जैसी परेशानियां होने लगती है.

क्या होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस
रूमेटाइड अर्थराइटिस हाथ और पैर सहित शरीर के लगभग सभी जोड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ कई बार शरीर की आंतरिक प्रणालियों व अंगों , त्वचा, आंख, फेफड़ों तथा हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकती है. रुमेटाइड अर्थराईटिस की शुरुआत में पीड़ित में जोड़ों में दर्द व हल्की सूजन के साथ लगातार थकान, जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी, हल्का बुखार आना और भूख न लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन गंभीर अवस्था में यह रोग ना सिर्फ पीड़ित के जोड़ों में असहनीय दर्द का कारण बनने लगता है बल्कि इसके चलते उनकी सामान्य दिनचर्या में समस्याओं व असुविधाओं के बढ़ने का कारण भी बनने लगता है. यही नहीं समस्या ज्यादा गंभीर होने पर यह जोड़ों मेंज्वाइंट डिफॉरमेटी या विकलांगता का कारण भी बन सकता है.

वैज्ञानिक अध्ययन में क्या हुआ खुलासा?
एक नए वैज्ञानिक अध्ययन ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले एक पुराने ऑटोइम्यून विकार रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) के प्रबंधन में आयुर्वेदिक संपूर्ण प्रणाली (एडब्ल्यूएस) की महत्वपूर्ण प्रभावशीलता का खुलासा किया है. यह अग्रणी शोध दर्शाता है कि AWS न केवल RA के लक्षणों को कम करता है बल्कि रोगियों में सामान्यीकरण की दिशा में मेटाबॉलिज्म परिवर्तन भी प्रेरित करता है, जो पारंपरिक उपचारों के लिए एक आशाजनक पूरक दृष्टिकोण प्रदान करता है.

यह अध्ययन प्रतिष्ठित शोध संस्थानों के वरिष्ठ शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा किया गया था, जिसमें गठिया उपचार और उन्नत अनुसंधान केंद्र (A-ATARC), काया चिकित्सा विभाग, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, लखनऊ विश्वविद्यालय; सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (CBMR), SGPGIMS कैंपस, लखनऊ; एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (AcSIR), गाजियाबाद शामिल हैं.

प्रथम लेखक डॉ. संजीव रस्तोगी ने कहा कि यह अध्ययन आयुर्वेद की समग्र प्रणाली से उपचारित आरए के मामलों में संभावित विकृति विज्ञान के उलट होने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यह 'सम्पत्ति विघाटन' की आयुर्वेदिक अवधारणा का समर्थन करता है, जहां रोगजनन - रोग परिसर को नष्ट कर दिया जाता है और 'दोषों' को सामान्य स्थिति में लाया जाता है.

पबमेड-इंडेक्स्ड रिसर्च जर्नल, जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (जेएआईएम) में प्रकाशित, अध्ययन ने आरए रोगियों के बीच प्रमुख नैदानिक ​​मापदंडों में पर्याप्त सुधार को उजागर किया, जिन्होंने एडब्ल्यूएस हस्तक्षेप किया था. रोग गतिविधि स्कोर-28 एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (डीएएस-28 ईएसआर) में उल्लेखनीय कमी आई, साथ ही सूजन और कोमल जोड़ों की कुल संख्या में भी कमी आई. इसके अतिरिक्त, अमा गतिविधि माप (एएएम) स्कोर, जो शरीर में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का आकलन करता है, ने भी हस्तक्षेप के बाद महत्वपूर्ण कमी दिखाई.

शोध में RA रोगियों के मेटाबॉलिक प्रोफाइल की आगे जांच की गई, उनकी तुलना स्वस्थ नियंत्रण से की गई. अध्ययन की शुरुआत में, RA रोगियों में कुछ मेटाबोलाइट्स जैसे कि सक्सिनेट, लाइसिन, मैनोज, क्रिएटिन और 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट (3-HB) के उच्च स्तर के साथ-साथ एलेनिन के कम स्तर भी देखे गए. हालांकि, AWS उपचार के बाद, ये मेटाबॉलिक मार्कर स्वस्थ व्यक्तियों में देखे गए स्तरों की ओर शिफ्ट होने लगे, जो अधिक संतुलित मेटाबॉलिक स्थिति में वापसी का संकेत देते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन RA के प्रबंधन में AWS की नैदानिक ​​प्रभावकारिता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है.

यहां जानिए पांच ऐसे फल और पौधों के बारे में जिसके सेवन से रूमेटाइड अर्थराइटिस में फायदा पहुंचता है...

गठिया के मरीजों को फलों का सेवन भी अधिक मात्रा में करना चाहिए. खासतौर से विटामिन C से भरपूर फल इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं, जैसे- मौसमी, आंवला, संतरा, नींबू और अंगूर. इसके अलावा केला, तरबूज, पपीता और सेब भी ऐसे रोगियों को दर्द से बचाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

गिलोय: गिलोय में एंटी ऑर्थराइटिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाये जाते हैं. इसके सेवन से गठिया के मरीज ठीक हो जाते है. इसके साथ ही गठिया से होने वाले दर्द को भी कम करती है. गिलोय को अदरक के साथ मिलाकर सेवन करें.

अदरक: एक नए शोध में रिसर्चर्स ने 'न्यूट्रोफिल' नामक श्वेत रक्त कोशिका के एक प्रकार पर अदरक के प्रभाव का अध्ययन किया. इस अध्ययन में पाया गया है कि ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए सूजन को नियंत्रित करने में अदरक ( Ginger ) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. आयुर्वेद के अनुसार, अदरक में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है और इसे किसी भी तरह के दर्द में राहत के लिए फायदेमंद माना गया है.

अदरक अपने असाधारण एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है. यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है, जो प्रभावित क्षेत्रों में दर्द को कम करने के लिए उपयोगी है। आप अदरक की चाय पी सकते हैं या अपने जोड़ों पर अदरक का पेस्ट लगा सकते हैं और अच्छी गुणवत्ता वाला आवश्यक तेल भी लगा सकते हैं.

चेरी: चेरी भी गठिया के दर्द को कंट्रोल करने में फायदेमंद हो सकती है. दरअसल, चेरी में एंथोसायनिन होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी होते हैं और शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं. रिसर्च से पता चलता है कि चेरी या चेरी के जूस से सूजन में कमी लाई जा सकती है, जिससे गठिया के मरीजों में दर्द के स्तर में कमी आ सकती है.

एवोकाडो: इस फल की समृद्ध, मलाईदार बनावट आंशिक रूप से इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी मोनोअनसैचुरेटेड फैट की हाई कंसंट्रेशन के कारण होती है. एवोकाडो में कैरोटीनॉयड ल्यूटिन भी भरपूर मात्रा में होता है. अधिकांश फलों के विपरीत, एवोकाडो विटामिन ई का एक अच्छा स्रोत है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव वाला एक सूक्ष्म पोषक तत्व है. अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि रोजाना एवोकाडो खाने से "अच्छा" एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और "खराब" एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होता है. फल में अपेक्षाकृत हाई कैलोरी सामग्री के बावजूद, शोध में पाया गया है कि नियमित रूप से एवोकाडो खाने वालों का वजन कम होता है और उनकी कमर पतली होती है.

सेब: सेब खाने के अनेक फायदे हैं. जैसे कि यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है. रक्तचाप कम करता है. सूजन को कम करता है. आपके माइक्रोबायोम को बढ़ाता है. भूख को लंबे समय तक संतुष्ट करता है. आपको लंबे समय तक जीने में मदद करता है. इन जड़ी-बूटियों और खाद्य पदार्थों का सेवन करें और जोड़ों के दर्द से बचें. हालांकि, तीव्र दर्द के मामले में, हमेशा अपने चिकित्सक और विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है.

नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7891495/

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हैदराबाद: रूमेटाइड अर्थराइटिस या गठिया या (RA) एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जो पीड़ित के जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है. इसके कारण ना सिर्फ पीड़ित को जोड़ों में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है बल्कि सही समय पर इलाज तथा सही मैनेजमेंट के अभाव में यह पीड़ित में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. rheumatoid Arthritis एक क्रोनिक ऑटोइम्यून इंफ्लामेटरी रोग है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों के आसपास मौजूद झिल्लियों की परत पर हमला करने लगती है. जिससे उनमें सूजन, अकड़न, दर्द और कठोरता जैसी परेशानियां होने लगती है.

क्या होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस
रूमेटाइड अर्थराइटिस हाथ और पैर सहित शरीर के लगभग सभी जोड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ कई बार शरीर की आंतरिक प्रणालियों व अंगों , त्वचा, आंख, फेफड़ों तथा हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकती है. रुमेटाइड अर्थराईटिस की शुरुआत में पीड़ित में जोड़ों में दर्द व हल्की सूजन के साथ लगातार थकान, जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों में कमजोरी, हल्का बुखार आना और भूख न लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं. लेकिन गंभीर अवस्था में यह रोग ना सिर्फ पीड़ित के जोड़ों में असहनीय दर्द का कारण बनने लगता है बल्कि इसके चलते उनकी सामान्य दिनचर्या में समस्याओं व असुविधाओं के बढ़ने का कारण भी बनने लगता है. यही नहीं समस्या ज्यादा गंभीर होने पर यह जोड़ों मेंज्वाइंट डिफॉरमेटी या विकलांगता का कारण भी बन सकता है.

वैज्ञानिक अध्ययन में क्या हुआ खुलासा?
एक नए वैज्ञानिक अध्ययन ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले एक पुराने ऑटोइम्यून विकार रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) के प्रबंधन में आयुर्वेदिक संपूर्ण प्रणाली (एडब्ल्यूएस) की महत्वपूर्ण प्रभावशीलता का खुलासा किया है. यह अग्रणी शोध दर्शाता है कि AWS न केवल RA के लक्षणों को कम करता है बल्कि रोगियों में सामान्यीकरण की दिशा में मेटाबॉलिज्म परिवर्तन भी प्रेरित करता है, जो पारंपरिक उपचारों के लिए एक आशाजनक पूरक दृष्टिकोण प्रदान करता है.

यह अध्ययन प्रतिष्ठित शोध संस्थानों के वरिष्ठ शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा किया गया था, जिसमें गठिया उपचार और उन्नत अनुसंधान केंद्र (A-ATARC), काया चिकित्सा विभाग, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज और अस्पताल, लखनऊ विश्वविद्यालय; सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (CBMR), SGPGIMS कैंपस, लखनऊ; एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (AcSIR), गाजियाबाद शामिल हैं.

प्रथम लेखक डॉ. संजीव रस्तोगी ने कहा कि यह अध्ययन आयुर्वेद की समग्र प्रणाली से उपचारित आरए के मामलों में संभावित विकृति विज्ञान के उलट होने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यह 'सम्पत्ति विघाटन' की आयुर्वेदिक अवधारणा का समर्थन करता है, जहां रोगजनन - रोग परिसर को नष्ट कर दिया जाता है और 'दोषों' को सामान्य स्थिति में लाया जाता है.

पबमेड-इंडेक्स्ड रिसर्च जर्नल, जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (जेएआईएम) में प्रकाशित, अध्ययन ने आरए रोगियों के बीच प्रमुख नैदानिक ​​मापदंडों में पर्याप्त सुधार को उजागर किया, जिन्होंने एडब्ल्यूएस हस्तक्षेप किया था. रोग गतिविधि स्कोर-28 एरिथ्रोसाइट अवसादन दर (डीएएस-28 ईएसआर) में उल्लेखनीय कमी आई, साथ ही सूजन और कोमल जोड़ों की कुल संख्या में भी कमी आई. इसके अतिरिक्त, अमा गतिविधि माप (एएएम) स्कोर, जो शरीर में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का आकलन करता है, ने भी हस्तक्षेप के बाद महत्वपूर्ण कमी दिखाई.

शोध में RA रोगियों के मेटाबॉलिक प्रोफाइल की आगे जांच की गई, उनकी तुलना स्वस्थ नियंत्रण से की गई. अध्ययन की शुरुआत में, RA रोगियों में कुछ मेटाबोलाइट्स जैसे कि सक्सिनेट, लाइसिन, मैनोज, क्रिएटिन और 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट (3-HB) के उच्च स्तर के साथ-साथ एलेनिन के कम स्तर भी देखे गए. हालांकि, AWS उपचार के बाद, ये मेटाबॉलिक मार्कर स्वस्थ व्यक्तियों में देखे गए स्तरों की ओर शिफ्ट होने लगे, जो अधिक संतुलित मेटाबॉलिक स्थिति में वापसी का संकेत देते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन RA के प्रबंधन में AWS की नैदानिक ​​प्रभावकारिता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है.

यहां जानिए पांच ऐसे फल और पौधों के बारे में जिसके सेवन से रूमेटाइड अर्थराइटिस में फायदा पहुंचता है...

गठिया के मरीजों को फलों का सेवन भी अधिक मात्रा में करना चाहिए. खासतौर से विटामिन C से भरपूर फल इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं, जैसे- मौसमी, आंवला, संतरा, नींबू और अंगूर. इसके अलावा केला, तरबूज, पपीता और सेब भी ऐसे रोगियों को दर्द से बचाने के लिए काफी अच्छा माना जाता है.

गिलोय: गिलोय में एंटी ऑर्थराइटिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाये जाते हैं. इसके सेवन से गठिया के मरीज ठीक हो जाते है. इसके साथ ही गठिया से होने वाले दर्द को भी कम करती है. गिलोय को अदरक के साथ मिलाकर सेवन करें.

अदरक: एक नए शोध में रिसर्चर्स ने 'न्यूट्रोफिल' नामक श्वेत रक्त कोशिका के एक प्रकार पर अदरक के प्रभाव का अध्ययन किया. इस अध्ययन में पाया गया है कि ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए सूजन को नियंत्रित करने में अदरक ( Ginger ) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. आयुर्वेद के अनुसार, अदरक में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है और इसे किसी भी तरह के दर्द में राहत के लिए फायदेमंद माना गया है.

अदरक अपने असाधारण एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है. यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है, जो प्रभावित क्षेत्रों में दर्द को कम करने के लिए उपयोगी है। आप अदरक की चाय पी सकते हैं या अपने जोड़ों पर अदरक का पेस्ट लगा सकते हैं और अच्छी गुणवत्ता वाला आवश्यक तेल भी लगा सकते हैं.

चेरी: चेरी भी गठिया के दर्द को कंट्रोल करने में फायदेमंद हो सकती है. दरअसल, चेरी में एंथोसायनिन होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी होते हैं और शरीर में सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं. रिसर्च से पता चलता है कि चेरी या चेरी के जूस से सूजन में कमी लाई जा सकती है, जिससे गठिया के मरीजों में दर्द के स्तर में कमी आ सकती है.

एवोकाडो: इस फल की समृद्ध, मलाईदार बनावट आंशिक रूप से इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी मोनोअनसैचुरेटेड फैट की हाई कंसंट्रेशन के कारण होती है. एवोकाडो में कैरोटीनॉयड ल्यूटिन भी भरपूर मात्रा में होता है. अधिकांश फलों के विपरीत, एवोकाडो विटामिन ई का एक अच्छा स्रोत है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव वाला एक सूक्ष्म पोषक तत्व है. अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि रोजाना एवोकाडो खाने से "अच्छा" एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और "खराब" एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होता है. फल में अपेक्षाकृत हाई कैलोरी सामग्री के बावजूद, शोध में पाया गया है कि नियमित रूप से एवोकाडो खाने वालों का वजन कम होता है और उनकी कमर पतली होती है.

सेब: सेब खाने के अनेक फायदे हैं. जैसे कि यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है. रक्तचाप कम करता है. सूजन को कम करता है. आपके माइक्रोबायोम को बढ़ाता है. भूख को लंबे समय तक संतुष्ट करता है. आपको लंबे समय तक जीने में मदद करता है. इन जड़ी-बूटियों और खाद्य पदार्थों का सेवन करें और जोड़ों के दर्द से बचें. हालांकि, तीव्र दर्द के मामले में, हमेशा अपने चिकित्सक और विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है.

नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7891495/

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Last Updated : Sep 14, 2024, 4:44 PM IST
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