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डारावना और खतरनाक अनुभव हो सकता है स्लीप पैरालिसिस, जानें इसके लक्षण और कारण

स्लीप पैरालिसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें नींद से जागने पर व्यक्ति में चलते या बोलने की क्षमता अस्थायी रूप से नहीं रहती है. पढ़ें...

Sleep paralysis can be a scary and dangerous experience
डारावना और खतरनाक अनुभव हो सकता है स्लीप पैरालिसिस (CANVA)
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By ETV Bharat Health Team

Published : 2 hours ago

स्लीप पैरालिसिस एक टेंपरेरी और कॉमन सिचुएशन है, जो अधिकतर मामलों में बिना किसी इलाज के अपने आप ठीक हो जाती है. यह एक डरावना अनुभव हो सकता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गुड स्लीप साइकिल, राइट स्लीपिंग पोजीशन, और स्ट्रेस मैनेजमेंट से इस समस्या से निपटा जा सकता है.

डरावना अनुभव हो सकता है स्लीप पैरालिसिस
क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है कि नींद से जागते ही आप हिल नहीं पा रहे हों, बोल नहीं पा रहे हों और अचानक से ऐसा लगे कि कोई आपको दबा रहा हो? यह अनुभव डरावना हो सकता है और कई लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़ कर भी देखने लगते हैं. लेकिन चिकित्सकों कि माने तो यह अवस्था स्लीप पैरालिसिस या निद्रा पक्षाघात कहलाती है. जानकार बताते हैं कि यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति का दिमाग तो जाग चुका होता है, लेकिन शरीर कुछ समय के लिए हिलने-डुलने में असमर्थ होता है. हालांकि यह टेंपरेरी होता है और ज्यादातर मामलों में एक से दो मिनट में अपने आप ठीक भी हो जाता है.

स्लीप पैरालिसिस के कारण
मनोचिकित्सक डॉ आशीष सिंह बताते हैं कि स्लीप पैरालिसिस कोई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लेम नहीं है और यह किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकती है. दरअसल स्लीप पैरालिसिस तब होता है जब हमारा शरीर और मस्तिष्क नींद के अलग-अलग चरणों के बीच तालमेल नहीं बिठा पाते. जब हम सो रहे होते हैं, तब हमारा शरीर गहरे आराम की स्थिति में होता है जिसे ‘आरईएम स्लीप’ (रैपिड आई मूवमेंट स्लीप) कहते हैं. इस फेज में शरीर पूरी तरह से आराम में होता है और मांसपेशियां अस्थायी रूप से निष्क्रिय होती हैं. लेकिन अगर इस अवस्था में हम अचानक जाग जाएं तो मस्तिष्क शरीर को पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर पाता है, यह अवस्था स्लीप पैरालिसिस का कारण बनती है.

इसके कारणों की बात करें तो नींद की कमी, अनिद्रा की समस्या या अनियमित नींद का चक्र, तनाव व चिंता तथा सोने की गलत मुद्रा जैसे कुछ कारण स्लीप पैरालिसिस होने की आशंका को बढ़ा सकते हैं. वह बताते हैं कि स्लीप पैरालिसिस की अवस्था सामान्य रूप से कुछ सेकंड या मिनटों तक ही रहती है और खुद-ब-खुद खत्म हो जाती है.

स्लीप पैरालिसिस से निपटने के उपाय
डॉ.आशीष सिंह बताते हैं कि कुछ आदतें या बातें हैं जिनका ध्यान रखने से स्लीप पैरालिसिस के होने की आशंका को काफी हद तक कम किया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं...

समय पर सोने की आदत डालें. नियमित समय पर सोना और जागना बहुत फायदेमंद होता है. सोने और उठने का समय तय कर लें और उसका पालन करें, इससे नींद का चक्र सुधरता है.

पूरी नींद लें. एक अच्छी नींद लेना आपके मस्तिष्क और शरीर को आराम देता है और स्लीप पैरालिसिस के जोखिम को कम करता है.

सोने की स्थिति में सुधार से भी स्लीप पैरालिसिस की आशंका को कम किया जा सकता है. जैसे पीठ के बल सोने से स्लीप पैरालिसिस की आशंका बढ़ सकती है. इसलिए कोशिश करें कि आप करवट लेकर सोएं.

तनाव को कम करने का प्रयास करें. गहरी सांस लेने के अभ्यास, ध्यान, और योग करने से तनाव को कम किया जा सकता है, जो स्लीप पैरालिसिस को रोकने में सहायक हो सकता है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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स्लीप पैरालिसिस एक टेंपरेरी और कॉमन सिचुएशन है, जो अधिकतर मामलों में बिना किसी इलाज के अपने आप ठीक हो जाती है. यह एक डरावना अनुभव हो सकता है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गुड स्लीप साइकिल, राइट स्लीपिंग पोजीशन, और स्ट्रेस मैनेजमेंट से इस समस्या से निपटा जा सकता है.

डरावना अनुभव हो सकता है स्लीप पैरालिसिस
क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया है कि नींद से जागते ही आप हिल नहीं पा रहे हों, बोल नहीं पा रहे हों और अचानक से ऐसा लगे कि कोई आपको दबा रहा हो? यह अनुभव डरावना हो सकता है और कई लोग इसे भूत-प्रेत से जोड़ कर भी देखने लगते हैं. लेकिन चिकित्सकों कि माने तो यह अवस्था स्लीप पैरालिसिस या निद्रा पक्षाघात कहलाती है. जानकार बताते हैं कि यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति का दिमाग तो जाग चुका होता है, लेकिन शरीर कुछ समय के लिए हिलने-डुलने में असमर्थ होता है. हालांकि यह टेंपरेरी होता है और ज्यादातर मामलों में एक से दो मिनट में अपने आप ठीक भी हो जाता है.

स्लीप पैरालिसिस के कारण
मनोचिकित्सक डॉ आशीष सिंह बताते हैं कि स्लीप पैरालिसिस कोई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लेम नहीं है और यह किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकती है. दरअसल स्लीप पैरालिसिस तब होता है जब हमारा शरीर और मस्तिष्क नींद के अलग-अलग चरणों के बीच तालमेल नहीं बिठा पाते. जब हम सो रहे होते हैं, तब हमारा शरीर गहरे आराम की स्थिति में होता है जिसे ‘आरईएम स्लीप’ (रैपिड आई मूवमेंट स्लीप) कहते हैं. इस फेज में शरीर पूरी तरह से आराम में होता है और मांसपेशियां अस्थायी रूप से निष्क्रिय होती हैं. लेकिन अगर इस अवस्था में हम अचानक जाग जाएं तो मस्तिष्क शरीर को पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर पाता है, यह अवस्था स्लीप पैरालिसिस का कारण बनती है.

इसके कारणों की बात करें तो नींद की कमी, अनिद्रा की समस्या या अनियमित नींद का चक्र, तनाव व चिंता तथा सोने की गलत मुद्रा जैसे कुछ कारण स्लीप पैरालिसिस होने की आशंका को बढ़ा सकते हैं. वह बताते हैं कि स्लीप पैरालिसिस की अवस्था सामान्य रूप से कुछ सेकंड या मिनटों तक ही रहती है और खुद-ब-खुद खत्म हो जाती है.

स्लीप पैरालिसिस से निपटने के उपाय
डॉ.आशीष सिंह बताते हैं कि कुछ आदतें या बातें हैं जिनका ध्यान रखने से स्लीप पैरालिसिस के होने की आशंका को काफी हद तक कम किया जा सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं...

समय पर सोने की आदत डालें. नियमित समय पर सोना और जागना बहुत फायदेमंद होता है. सोने और उठने का समय तय कर लें और उसका पालन करें, इससे नींद का चक्र सुधरता है.

पूरी नींद लें. एक अच्छी नींद लेना आपके मस्तिष्क और शरीर को आराम देता है और स्लीप पैरालिसिस के जोखिम को कम करता है.

सोने की स्थिति में सुधार से भी स्लीप पैरालिसिस की आशंका को कम किया जा सकता है. जैसे पीठ के बल सोने से स्लीप पैरालिसिस की आशंका बढ़ सकती है. इसलिए कोशिश करें कि आप करवट लेकर सोएं.

तनाव को कम करने का प्रयास करें. गहरी सांस लेने के अभ्यास, ध्यान, और योग करने से तनाव को कम किया जा सकता है, जो स्लीप पैरालिसिस को रोकने में सहायक हो सकता है.

(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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