सागर। खेती के परंपरागत तौर तरीकों के चलते नयी पीढ़ी खेती की तरफ आकर्षित नहीं हो रही है. खेती को घाटे का सौदा मानकर नौकरी या व्यवसाय की तरफ ज्यादा रूख कर रही है. सागर के एक युवा किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने कई तरह के नवाचार और प्रयोग करते रहते हैं. जो लोगों को खेती से मोटी कमाई करने के तरीके बताती है. युवा किसान आकाश चौरसिया ने हल्दी की खेती के अपशिष्ट से भी किसानों को कमाई का जरिया बताया है. आमतौर पर हल्दी के पौधे के पत्तों को किसान फसल आने के बाद कचरा मानकर या तो जला देते हैं या फेंक देते हैं, लेकिन आकाश चौरसिया ने इन पत्तों के जरिए एक ऐसा तकिया तैयार किया है. जो कई रोगों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ नींद और त्वचा से जुडी समस्याओं को कम कर देता है.
एक एकड़ हल्दी की खेती से निकलने वाले पत्तों से करीब ढाई सौ तकिये बन जाते हैं. एक तकिया की कीमत 500 रुपए है, जिससे किसान को करीब 50 हजार तक की आमदनी हो जाती है.
कोरोना काल में आया मन में विचार
करीब 15 साल से खेती में नवाचार के जरिए फायदे का धंधा बनाने के प्रयासों में जुटे आकाश चौरसिया बताते हैं कि 'किसान की आमदनी में वृद्धि के लिए जो प्रयास संभव हो सकते हैं, वो करना चाहिए. मैं करीब पिछले 15 सालों से खेती कर रहा हूं और देख रहा हूं कि अगर परम्परागत गेहूं और चना की खेती करते रहेंगे, तो कोई फायदा नहीं है. जब खेती में फायदा नजर नहीं आएगा, तो नौजवान भी खेती की तरफ आकर्षित नहीं होंगे. इसलिए मेरी कोशिश है कि कैसे खेती को फायदे का धंधा बनाया जाए और खेती के उत्पाद की एक-एक चीज, यहां तक का कचरे का उपयोग कर कैसे पैसे कमा सकते हैं.'
आकाश चौरसिया ने कहा कि कोराना महामारी ने भयंकर तबाही मचाई और हमारे अपने लोगों को भी छीन लिया, लेकिन कोरोना ने बहुत कुछ सिखाया भी है, कि कैसे खेती के उत्पादों का उपयोग करना चाहिए. कोरोना के समय पर आयुर्वेद की तरफ लोगों का रूझान काफी बढ़ा था और काढ़ा बनाने के लिए लोग एंटीबाॅयोटिक के रूप में हल्दी का उपयोग कर रहे थे, जिसके कारण काफी मांग बढ़ गयी थी, तो मैनें सोचा कि हल्दी की खेती के साथ-साथ इसके तमाम उत्पादों से कमाई के प्रयास किए जाएं.
हल्दी के पौधे के पत्तों से बनाया मेडिसिनल तकिया
आकाश चौरसिया बताते हैं कि हल्दी की मांग और औषधीय गुणों के कारण किसान बडे़ पैमाने पर हल्दी का उत्पादन करते हैं, लेकिन हल्दी के पौधे के पत्ते को कचरा मानकर फेंक देते हैं. मेरे दिमाग में आया कि हल्दी के पौधे की जड़ से लेकर तना और पत्तों तक में कोई ना कोई गुण होता है. तभी विचार आया कि हल्दी के किसी भी उत्पाद को नष्ट किए बिना, क्या-क्या तैयार किया जा सकता है. मैंने काफी जानकारी जुटाई तो हल्दी के पौधे के पत्तों के गुण के बारे में पता चला कि हल्दी के पत्तों में खुशबुदार तेल होता है. इसी वजह से हल्दी के पौधे की पत्तियों से हल्दी की भीनी-भीनी खुशबु आती है.
ऐसे में मल्टीलेयर पद्धति से खेती के जरिए उगाई गयी हल्दी एक सुरक्षात्मक वातावरण में तैयार होती है. इसलिए उसके पत्तों से खुशबु नहीं जाती और सुरक्षित रहती है. ज्यादा जानकारी जुटाने पर पता चला कि हल्दी के पौधे के पत्ते से ऐसा तकिया तैयार किया जा सकता है, जो कई रोगों में कारगर होता है.
कैसे बनता है हल्दी के पत्तों से तकिया
मेडिसिनल तकिया बनाने के लिए सबसे पहले हल्दी के पत्ते इकट्ठा करके उन्हें करीब 98 फीसदी तक सुखाया जाता है. करीब 2 फीसदी नमी बचने देते हैं. फिर हल्दी के पत्तों को इकट्ठा करके पत्तों के कठोर हिस्से को अलग कर देते हैं. उसके मुलायम पत्तों को पहले एक जालीदार कपडे़ में भरकर सिल देते हैं. जालीदार कपडे़ से हमेशा हल्दी की भीनी-भीनी खुशबु निकलती है. जालीदार कपडे़ में करीब 500 ग्राम पत्ते भरकर तकिये की तरह सिलाई कर एक मोटे कपडे़ के कवर से उसे कवर किया जाता है. इस तरह एक मेडिसिनल तकिया तैयार हो जाता है.
कितना कारगर मेडिसिनल तकिया
रूई के तकिए के उपयोग के कारण लोगों को गर्दन दर्द की समस्या के अलावा त्वचा रोग, माइग्रेन और नींद ना आने जैसी बीमारियां घेर लेती है. इन तमाम समस्याओं में मेडिसिनल तकिया बहुत अच्छा काम करता है. आकाश चौरसिया बताते हैं कि 'पिछले दो साल से हम ऐसे तकिया तैयार करके लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं. जो लोग उपयोग कर रहे हैं, उनका फीडबैक काफी अच्छा है. जब तकिए को सिर के नीचे रखते हैं, तो इसकी मंद-मंद खुशबु आती है, जो नींद को गहरा करने में मददगार होती है. अच्छी नींद के कारण पाचन क्रिया और श्वसन क्रिया में सुधार होता है. अगर किसी को सिरदर्द और त्वचा रोगों की समस्या है, तो ये तकिया काफी कारगर साबित होता है. साथ ही ये तकिया घातक वैक्टीरिया और वायरस रोकने में कारगर है. नींद के वक्त ये आपकी सेहत की सुरक्षा करती है.'
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हल्दी के पौधे के पत्ते से करीब 70 हजार की कमाई
आकाश चौरसिया बताते हैं कि एक एकड़ की हल्दी की फसल के पत्तों से दो सौ से ढाई सौ तकिये बना सकते हैं. इन तकियों की कीमत सभी खर्च निकालकर पांच सौ रुपए है. इस तरह एक एकड़ हल्दी की खेती से निकले पत्तों से 50 से 60 हजार रुपए की कमाई होती है. फिलहाल ये तकिए मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद भेज रहे हैं. चार पांच शहरों से काफी मांग आयी है. कुछ लोग यहीं से आकर ले जाते हैं और कई लोग आनलाइन डिमांड करते हैं, तो कोरियर से भेज देते हैं. ये तकिया करीब एक साल तक चलता है और पत्तों का बुरादा बन जाने के बाद खाद के रूप में गमले में उपयोग कर सकते हैं.