पटनाः हिंदू धर्म में जीवन के हरकर्म, संस्कार, रीति रिवाज, दिनचर्या, धर्म से बंधा है. कर्म के आधार पर तरक्की होती है. हर इंसान के लिए सोना बेहद जरूरी है लेकिन धर्म और शास्त्रों के अनुसार सोने का सही तरीका पता होना चाहिए. यह भी पता होना चाहिए कि कितना देर सोना चाहिए और किस दिशा में मुख करके सोना चाहिए.
क्या कहता है हिन्दू धर्मः ज्योतिष के जानकार आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि हर इंसान को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है. सोते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए इस संबंध में हिंदू धर्म में विस्तार से उल्लेख है. धर्मशास्त्रों के अनुसार सोते समय हर व्यक्ति का पैर दक्षिण या पूर्व दिशा में नहीं होनी चाहिए. इसका मतलब यह कि आपका पैर पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए.
चुम्बकीय प्रवाह का असरः पृथ्वी के दोनों ध्रुव उत्तरी तथा दक्षिण ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह होता है. उत्तरी ध्रुव पर धनात्मक प्रवाह तथा दक्षिणी ध्रुव पर ऋणात्मक प्रवाह होता है. इसी तरह मानव शरीर में भी सिर में धनात्मक प्रवाह तथा पैरों में ऋणात्मक प्रवाह होता है. जो लोग दक्षिण में पैर करके सोते हैं उनके स्वास्थ्य ठीक नहीं होते.
सूर्य देवता का होता है अपमानः धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य पूर्व से उदय होकर पश्चिम में अस्त होता है. उर्जा की इस धारा के विपरित प्रवाह में सोना अच्छा नहीं है. अर्थात पूर्व की ओर पैर करने सोने अच्छा नहीं माना जाता है. इसके अलावा सूर्य देव का अपमान भी होता है. मनोज मिश्रा बताते हैं कि सूर्य देव की ओर सिर करके सोने से मानसिक और स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
दरवाजा की तरफ पैर कर नहीं सोएंः इसके अलावे घर के रूम में जो भी व्यक्ति पैर को दरवाजे की दिशा में रखकर सोते हैं यह भी हानिकारक है. इससे सेहत और समृद्धि का नुकसान होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि पूर्व दिशा में सिर रखकर सोने से ज्ञान में बढ़ोतरी होती है. दक्षिण में सिर रखकर सोने से शांति, सेहत और समृद्धि मिलती है.
सोने के पहले और उठने के बाद करें यह कामः इसके अलावा सोने से पहले और उठने के बाद क्या करना चाहिए. इसके बारे में भी आचार्य ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सोते समय नकारात्मक बात नहीं सोचे. सोने के पूर्व 20 मिनट का समय बहुत ही संवेदनशील होता है. मन जागृत होने लगता है। उठने के बाद का कम से कम 15 मिनट का समय संवेदनशील होता है. इस दौरान जो सोचते हैं वह वास्तविक रूप में घटित होने लगता है.
अंतिम प्रहर में उठने के फायदेः मनोज मिश्रा ने बताया हर व्यक्ति को सोने और उठने का समय तप करना चाहिए. रात्रि के अंतिम प्रहर को उषा काल कहते हैं. रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं. यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है. इस प्रहर में उठकर नित्यकर्मों से निपटकर और पूजा-अर्चना कर ध्यान करने से लाभ मिलता है.
देर से उठने के नुकसानः अधिकतर लोग सुबह के प्रथम प्रहर अर्थात 6 से 9 के बीच उठते हैं. जबकि इस दौरा व्यक्ति के सभी नित्य कार्यों से निवृत्त हो जाना चाहिए. दिन के दूसरे प्रहर को मध्याह्न कहते हैं. यह प्रहर सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक का रहता है. इस प्रहर में उठने से हमारे दिन के सभी कार्य अवरूद्ध हो जाते हैं.
विछावन को साफ सुथरा रखेंः इस प्रहर में हमारा मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय होता है. इसलिए कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है. कार्य करने के समय में सोते रहने से भविष्य में संघर्ष बढ़ जाता है. इसलिए धर्म शास्त्रों को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को रात्रि में समय से सोना चाहिए और समय से उठाना चाहिए. कोशिश यह भी करना चाहिए कि जो आप बिछावन लगे वह आपकी आंखों को अच्छा लगे. प्रतिदिन साफ करें.
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