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गर्भावस्था के दौरान अनदेखा न करें इस बात को - Pregnancy care

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 10, 2024, 7:20 AM IST

Updated : Jul 10, 2024, 8:06 AM IST

Pregnancy care : गर्भावस्था एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण समय होता है जिसमें मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है. इस दौरान आमतौर पर चिकित्सक कुछ दवाओं से परहेज करने की सलाह देते हैं. जानते हैं क्यों ? Precautions During Pregnancy , Pregnancy Information , Pregnancy Care Tips , No Medicine Without Doctor Advice .

PREGNANCY CARE TIPS AND AVOID MEDICINES WITHOUT DOCTOR ADVICE DURING PREGNANCY
गर्भावस्था (Getty Images)

हैदराबाद : गर्भावस्था में चिकित्सक सामान्यतः महिलाओं से बिना चिकित्सकीय परामर्श दवाओं के सेवन से परहेज की बात करते हैं. जानकारों का कहना है कि कई प्रकार की दवाएं और थेरेपी होती हैं जिनका भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए चिकित्सक पहले तो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को तमाम सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं जिससे बीमार होने की आशंका को कम किया जा सके. वहीं यदि महिला किसी रोग या स्वास्थ्य समस्या के प्रभाव में आ भी जाए तो उसे बिना चिकित्सीय परामर्श कोई भी दवा ना लेने की सलाह देते हैं.

जोखिम : बेंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ जयंती के वाडेकर बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बिना चिकित्सीय परामर्श कोई भी दवा ना लेने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि कुछ दवाएं गर्भ में शिशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं. जिससे कई बार गर्भपात या अन्य गंभीर समस्याओं के होने का जोखिम भी हो सकता है. सभी जानते हैं कि गर्भावस्था एक संवेदनशील समय होता है जिसमें मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. गर्भवती माता के गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य तथा उसका विकास पूरी तरह से माता के स्वास्थ्य तथा उसके आहार व व्यवहार पर निर्भर करता है. इसलिए गर्भवती स्त्री को खाने पीने, उठने बैठने और यहां तक की दवाओं के इस्तेमाल में भी सावधानियों को बरतने की सलाह दी जाती हैं.

वह बताती हैं कि ऐसा नहीं है कि गर्भवती माता को बीमार पड़ने पर कोई दवा दी ही नहीं जाती है. किसी भी आम रोग या संक्रमण के प्रभाव में आने पर चिकित्सक गर्भवती के स्वास्थ्य इतिहास, शारीरिक स्थिति और शिशु के विकास को ध्यान में रखते हुए उचित मार्गदर्शन व इलाज प्रदान करते हैं.

कौन सी दवाएं हो सकती हैं नुकसानदायक और उनके प्रभाव :
वह बताती हैं कि आमतौर पर गर्भवती को एंटीबायोटिक्स, दर्दनाशक दवाएं या पेन किलर्स, कुछ प्रकार की एंटीहिस्टामिन दवाएं जो आमतौर पर मौसमी फ्लू या संक्रमण में दी जाती हैं तथा एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटीसाइकोटिक्स जैसी दवाओं आदि के सेवन से परहेज के लिए कहा जाता है. दरअसल माता द्वारा ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव रक्त या प्लेसेंटा के माध्यम से शिशु के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में इस प्रकार की तथा कुछ अन्य दवाओं का सेवन भ्रूण के अंगों और तंत्रिकाओं के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और उसकी सामान्य शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित कर सकता है. खासकर गर्भावस्था के पहले तिमाही में,जब अंगों का निर्माण हो रहा होता है, इस प्रकार की दवाओं का सेवन बहुत ही संवेदनशील हो सकता है.

इसके चलते कई बार भ्रूण में सिर्फ शारीरिक व मानसिक विकास संबंधी समस्याओं का ही नहीं बल्कि कुछ जन्मजात रोगों व विकारों के होने , बच्चे में आजीवन रहने वाली शारीरिक या मानसिक विकृतियों के होने और यहां तक की कभी-कभी गर्भपात का जोखिम भी बढ़ सकता है. इसके अलावा इस तरह की दवाओं के प्रभाव के चलते कभी-कभी अप्राकृतिक प्रसव या समय से पहले प्रसव के साथ प्रसव से पहले या उसके दौरान जटिलताओं का जोखिम भी बढ़ सकता है.

सावधानियां

  • डॉ जयंती के वाडेकर बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिला कुछ सावधानियों व बातों का विशेष ध्यान रखें. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • गर्भावस्था की सूचना मिलते ही चिकित्सक से जांच करवाएं तथा यदि महिला पहले से किसी रोग या अवस्था का सामना कर रही है या फिर उसके लिए किसी प्रकार की दवा ले रही हैं तो उसे अपने चिकित्सक को इस बारे में सूचित करना चाहिए.
  • गर्भवती के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना बेहद जरूरी है. इससे महिला के स्वास्थ्य तथा गर्भ में शिशु के विकास की निगरानी रखी जा सकती है.
  • गर्भवती अपने आहार व व्यवहार का विशेष ध्यान रखें तथा पोषण से भरपूर व चिकित्सक द्वारा बताए गए आहार को अपनी आहार दिनचर्या में शामिल करें. ध्यान रहे कि चिकित्सक गर्भावस्था में कुछ प्रकार के आहार से परहेज की बात भी कहते हैं ऐसे में आहार को लेकर उनके द्वारा बताई गई सावधानियों का पालन जरूर करें.
  • गर्भवती किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या, यहां तक की हल्के फुल्के संक्रमण में भी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता या चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवा का सेवन करें. इंटरनेट पर या दोस्तों से मिली जानकारी के आधार पर अपने आप से दवाएं लेने से उन्हे बचना चाहिए.

वह बताती हैं कि सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कुछ विशेष प्रकार के सप्लीमेंट दिए जाते हैं जो उन्हे तथा गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ रखने तथा गर्भ में बच्चे के सम्पूर्ण विकास में काफी मददगार होते हैं. इसके अलावा किसी रोग की अवस्था में भी चिकित्सक जहां तक संभव हो गर्भवती के लिए सुरक्षित दवाएं ही प्रिस्क्राइब करते हैं. हालांकि कई बार स्वास्थ्य समस्या के आधार पर कुछ परिस्थितियां ऐसी हो सकती हैं जिनमें चिकित्सक को कुछ ऐसी दवाएं देनी पड़ सकती हैं जिनके कुछ विपरीत प्रभाव हो सकते हैं. लेकिन ऐसे में भी चिकित्सक तमाम जरूरी सावधानियों, बातों व दवाओं को इलाज में शामिल करते हैं जो उक्त दवा के खराब प्रभाव को कम करने में मदद कर सके. इसलिए ना सिर्फ महिलाओं बल्कि उनकी देखभाल करने वाले लोगों के लिए भी ऐसी अवस्था में चिकित्सक द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. Precautions During Pregnancy , Pregnancy Information , Pregnancy Care Tips , No Medicine Without Doctor Advice . Pregnancy care .

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हैदराबाद : गर्भावस्था में चिकित्सक सामान्यतः महिलाओं से बिना चिकित्सकीय परामर्श दवाओं के सेवन से परहेज की बात करते हैं. जानकारों का कहना है कि कई प्रकार की दवाएं और थेरेपी होती हैं जिनका भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए चिकित्सक पहले तो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को तमाम सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं जिससे बीमार होने की आशंका को कम किया जा सके. वहीं यदि महिला किसी रोग या स्वास्थ्य समस्या के प्रभाव में आ भी जाए तो उसे बिना चिकित्सीय परामर्श कोई भी दवा ना लेने की सलाह देते हैं.

जोखिम : बेंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ जयंती के वाडेकर बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बिना चिकित्सीय परामर्श कोई भी दवा ना लेने की सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि कुछ दवाएं गर्भ में शिशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं. जिससे कई बार गर्भपात या अन्य गंभीर समस्याओं के होने का जोखिम भी हो सकता है. सभी जानते हैं कि गर्भावस्था एक संवेदनशील समय होता है जिसमें मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है. गर्भवती माता के गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य तथा उसका विकास पूरी तरह से माता के स्वास्थ्य तथा उसके आहार व व्यवहार पर निर्भर करता है. इसलिए गर्भवती स्त्री को खाने पीने, उठने बैठने और यहां तक की दवाओं के इस्तेमाल में भी सावधानियों को बरतने की सलाह दी जाती हैं.

वह बताती हैं कि ऐसा नहीं है कि गर्भवती माता को बीमार पड़ने पर कोई दवा दी ही नहीं जाती है. किसी भी आम रोग या संक्रमण के प्रभाव में आने पर चिकित्सक गर्भवती के स्वास्थ्य इतिहास, शारीरिक स्थिति और शिशु के विकास को ध्यान में रखते हुए उचित मार्गदर्शन व इलाज प्रदान करते हैं.

कौन सी दवाएं हो सकती हैं नुकसानदायक और उनके प्रभाव :
वह बताती हैं कि आमतौर पर गर्भवती को एंटीबायोटिक्स, दर्दनाशक दवाएं या पेन किलर्स, कुछ प्रकार की एंटीहिस्टामिन दवाएं जो आमतौर पर मौसमी फ्लू या संक्रमण में दी जाती हैं तथा एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटीसाइकोटिक्स जैसी दवाओं आदि के सेवन से परहेज के लिए कहा जाता है. दरअसल माता द्वारा ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव रक्त या प्लेसेंटा के माध्यम से शिशु के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. ऐसे में इस प्रकार की तथा कुछ अन्य दवाओं का सेवन भ्रूण के अंगों और तंत्रिकाओं के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और उसकी सामान्य शारीरिक क्रियाओं को भी प्रभावित कर सकता है. खासकर गर्भावस्था के पहले तिमाही में,जब अंगों का निर्माण हो रहा होता है, इस प्रकार की दवाओं का सेवन बहुत ही संवेदनशील हो सकता है.

इसके चलते कई बार भ्रूण में सिर्फ शारीरिक व मानसिक विकास संबंधी समस्याओं का ही नहीं बल्कि कुछ जन्मजात रोगों व विकारों के होने , बच्चे में आजीवन रहने वाली शारीरिक या मानसिक विकृतियों के होने और यहां तक की कभी-कभी गर्भपात का जोखिम भी बढ़ सकता है. इसके अलावा इस तरह की दवाओं के प्रभाव के चलते कभी-कभी अप्राकृतिक प्रसव या समय से पहले प्रसव के साथ प्रसव से पहले या उसके दौरान जटिलताओं का जोखिम भी बढ़ सकता है.

सावधानियां

  • डॉ जयंती के वाडेकर बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान बहुत जरूरी है कि गर्भवती महिला कुछ सावधानियों व बातों का विशेष ध्यान रखें. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • गर्भावस्था की सूचना मिलते ही चिकित्सक से जांच करवाएं तथा यदि महिला पहले से किसी रोग या अवस्था का सामना कर रही है या फिर उसके लिए किसी प्रकार की दवा ले रही हैं तो उसे अपने चिकित्सक को इस बारे में सूचित करना चाहिए.
  • गर्भवती के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना बेहद जरूरी है. इससे महिला के स्वास्थ्य तथा गर्भ में शिशु के विकास की निगरानी रखी जा सकती है.
  • गर्भवती अपने आहार व व्यवहार का विशेष ध्यान रखें तथा पोषण से भरपूर व चिकित्सक द्वारा बताए गए आहार को अपनी आहार दिनचर्या में शामिल करें. ध्यान रहे कि चिकित्सक गर्भावस्था में कुछ प्रकार के आहार से परहेज की बात भी कहते हैं ऐसे में आहार को लेकर उनके द्वारा बताई गई सावधानियों का पालन जरूर करें.
  • गर्भवती किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या, यहां तक की हल्के फुल्के संक्रमण में भी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता या चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवा का सेवन करें. इंटरनेट पर या दोस्तों से मिली जानकारी के आधार पर अपने आप से दवाएं लेने से उन्हे बचना चाहिए.

वह बताती हैं कि सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कुछ विशेष प्रकार के सप्लीमेंट दिए जाते हैं जो उन्हे तथा गर्भस्थ शिशु को स्वस्थ रखने तथा गर्भ में बच्चे के सम्पूर्ण विकास में काफी मददगार होते हैं. इसके अलावा किसी रोग की अवस्था में भी चिकित्सक जहां तक संभव हो गर्भवती के लिए सुरक्षित दवाएं ही प्रिस्क्राइब करते हैं. हालांकि कई बार स्वास्थ्य समस्या के आधार पर कुछ परिस्थितियां ऐसी हो सकती हैं जिनमें चिकित्सक को कुछ ऐसी दवाएं देनी पड़ सकती हैं जिनके कुछ विपरीत प्रभाव हो सकते हैं. लेकिन ऐसे में भी चिकित्सक तमाम जरूरी सावधानियों, बातों व दवाओं को इलाज में शामिल करते हैं जो उक्त दवा के खराब प्रभाव को कम करने में मदद कर सके. इसलिए ना सिर्फ महिलाओं बल्कि उनकी देखभाल करने वाले लोगों के लिए भी ऐसी अवस्था में चिकित्सक द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. Precautions During Pregnancy , Pregnancy Information , Pregnancy Care Tips , No Medicine Without Doctor Advice . Pregnancy care .

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Last Updated : Jul 10, 2024, 8:06 AM IST
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