हैदराबाद: आज प्रकाशित द फूड फाउंडेशन की एक नई रिपोर्ट ने ऑप्शनल प्रोटीन मार्केटिंग अभियानों के पीछे की सच्चाई को उजागर किया है, जिसमें 68 विभिन्न प्लांट बेस्ड प्रोटीन विकल्पों का गहन विश्लेषण किया गया है. मांस के विकल्पों की उनके पोषण, पर्यावरण और मूल्य प्रमाण-पत्रों के लिए जांच की गई और फिर मांस और एक-दूसरे दोनों से तुलना की गई.
अध्ययन में पाया गया कि पौधे आधारित मांस के विकल्प पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल और ज्यादातर स्वास्थ्यवर्धक होते हैं. फूड फाउंडेशन के अध्ययन में पाया गया है कि कुछ संसाधित 'वैकल्पिक प्रोटीन' उत्पादों में नमक की मात्रा ज्यादा होती है. नए शोध में पाया गया है कि मांस के लिए पौधे आधारित विकल्प ग्रह के लिए बेहतर हैं और जानवरों से बने बर्गर और सॉसेज जैसे उत्पादों की तुलना में ज्यादातर स्वास्थ्यवर्धक होते हैं.
फूड फाउंडेशन के अनुसार, पर्यावरण की दृष्टि से मांस के विकल्प के उत्पादन में मांस के व्यंजनों की तुलना में बहुत कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. नकली मांस उत्पाद असली चीज़ की तुलना में पोषण के मामले में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं. चैरिटी के अध्ययन में पाया गया कि उनमें कम कैलोरी, कम संतृप्त वसा और अधिक फाइबर होता है.
शोध में 68 पौधे आधारित उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभाव, पोषण प्रोफाइल और कीमत की तुलना 36 मांस उत्पादों से की गई, जिसमें असली और नकली जैसे व्यंजन - बेकन, चिकन नगेट्स और मीटबॉल शामिल हैं. हालांकि, फूड फाउंडेशन ने कहा कि तीन मुख्य प्रकार के वैकल्पिक प्रोटीन में से कुछ पोषण के मामले में मांस उत्पादों की तुलना में कुछ मायनों में खराब साबित हुए.
शोध में पाया गया कि हाल ही में विकसित प्रोसेस्ड मांस के अल्टरनेटिव प्रोडक्ट्स में अन्य वैकल्पिक प्रोटीनों की तुलना में नमक की मात्रा ज्यादा होने की संभावना है, तथा केवल एक तिहाई उत्पाद ही मांस में पाए जाने वाले लौह और विटामिन बी12 से युक्त होते हैं. उदाहरण के लिए, चैरिटी की सिनियर व्यवसाय और निवेशक एंगेजमेंट मैनेजर रेबेका टोबी ने कहा कि रिचमंड ब्रांड के मांस रहित सॉसेज में नमक की मात्रा चिंताजनक रूप से ज्यादा पाई गई. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि निर्माता अपने प्रोडक्ट्स को ज्यादा पौष्टिक बनाने के लिए उनमें सुधार कर सकते हैं.
इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि प्लांट बेस्ड मांस के ऑप्शन मांस की तुलना में औसतन कम प्रोटीन वाले होते हैं. शोध के सह-लेखक टोबी ने कहा कि हालांकि, यह निष्कर्ष चिंता का विषय नहीं था क्योंकि अंतर छोटा था, और यूके की आबादी पहले से ही स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त प्रोटीन खाती है.
बता दें, यह रिसर्च ऐसे समय में आया है जब मांसाहारी फूड आइटम्स का बाजार लगातार बढ़ रहा है. शाकाहारी और वीगन आहार की लोकप्रियता के साथ-साथ हाल के वर्षों में कई पौधे-आधारित ब्रांडों के पतन और पिछले साल बिक्री में गिरावट के बावजूद. ब्लूमबर्ग जैसे विश्लेषकों का अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर बाजार में उल्लेखनीय बढ़त जारी रहेगी. और पिछले साल ग्रीन एलायंस द्वारा किए गए विश्लेषण में अनुमान लगाया गया था कि यह क्षेत्र प्रति वर्ष 6.8 बिलियन पाउंड का हो सकता है, और यह 2035 तक अकेले uk में 25,000 नौकरियां पैदा कर सकता है.
फूड फाउंडेशन ने पारंपरिक ऑप्शनल प्रोटीनों, जैसे टोफू, सीटन और टेम्पेह प्रसंस्कृत नई पीढ़ी उत्पादों, जैसे कि क्वॉर्न और लिंडा मैककार्टनी फूड्स द्वारा बनाए गए उत्पाद और कम प्रोसेस्ड ऑप्शनल प्रोटीनों, खास तौर से बीन्स और अनाज का विश्लेषण किया.
जैसा कि उपभोक्ता जानते हैं, मांस रहित उत्पाद अक्सर असली चीज खरीदने से ज्यादा महंगे होते हैं. शोध में पाया गया कि उपभोक्ता पर्यावरण संबंधी लाभों के बावजूद, मांस की तुलना में टोफू, फ्यूचर फ़ार्म और THIS ब्रांड जैसे ज्यादा प्रोसेस्ड प्लांट-आधारित विकल्पों के लिए ज्यादा भुगतान करते हैं. उदाहरण के लिए, नई पीढ़ी के खाद्य पदार्थ मांस की तुलना में 100 ग्राम 73 फीसदी महंगे हैं, जबकि पारंपरिक उत्पाद 38 फीसदी ज्यादा महंगे हैं.
विश्लेषण किए गए चार प्रकार के उत्पादों में से बीन्स और अनाज सबसे स्वस्थ, सबसे पर्यावरण के अनुकूल और सबसे सस्ते उत्पाद निकले. चैरिटी ने कहा कि वे प्रोटीन का एक प्राकृतिक स्रोत हैं, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं, इनमें संतृप्त वसा, कैलोरी और नमक की मात्रा कम है और सभी उत्पादों में सबसे ज़्यादा फाइबर है. वे सबसे किफायती श्रेणी भी हैं.