हैदराबाद: मां का दूध शिशु के लिए संपूर्ण और सबसे उत्तम आहार होता है, यह हम सबको पता है और हमेशा से सुनते भी आये है. मगर रुकिए, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) की एक लेटेस्ट रिसर्च में इससे जुड़ी एक बड़े काम की बात सामने आई है. परिषद ने इस बात पर जोर दिया है कि नवजात शिशुओं के विकास के लिए केवल मां का दूध पर्याप्त नहीं है, उन्हें दूध पिलाने के साथ ही पूरक आहार भी देना चाहिए.
छह महीने की उम्र के बाद पूरक आहार का महत्व
स्तनपान शिशु को जीवन के पहले छह महीनों के दौरान आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है. हालांकि, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसकी बढ़ती पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अकेले मां का दूध अपर्याप्त हो जाता है. स्वस्थ विकास और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सही समय पर पूरक आहार देना बहुत जरूरी है.
क्यों और कब खिलाएं पूरक आहार
जब बच्चा छह महीने का हो जाता है तो केवल मां का दूध या केवल स्तनपान ही शिशु की विकास के लिए पर्याप्त नहीं होता है. इसलिए 6 से 12 महीने तक स्तनपान करने वाले शिशुओं को स्तनपान के साथ-साथ लिक्विड डाइट भी देना चाहिए. ऐसे में बता दें कि शिशुओं के शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, क्योंकि वे तेजी से विकास के फेज में होते हैं.
पूरक आहार के लिए मुख्य दिशा-निर्देश:
छह महीने से शुरू करें: शिशु के छह महीने की उम्र तक पहुंचने के तुरंत बाद कंप्लीमेंट्री फूड देना शुरू करें. शिशु के दो साल का होने तक इन खाद्य पदार्थों के साथ स्तनपान जारी रखें.
घर का बना खाना: यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे ताजा, पौष्टिक और बिना किसी मिलावट के हों, घर का बना डाइटरी सप्लीमेंट ही पसंद करें.
उम्र के अनुसार खिलाना: शिशु की उम्र के आधार पर दिन में 2-4 बार कंप्लीमेंट्री फूड दें. इससे यह सुनिश्चित होता है कि शिशु को उसके विकास के लिए पर्याप्त पोषण मिले.
अलग-अलग प्रकार के भोजन-सामग्री शामिल करें: बच्चे के आहार में दूध, स्थानीय रूप से उपलब्ध फल और सब्जियां, अंडे और मांस जैसे विविध खाद्य पदार्थ शामिल करें. ये आहार आवश्यक विटामिन, खनिज और प्रोटीन से भरपूर होते हैं.
साफ-सफाई बनाए रखें: संक्रमण और बीमारियों को रोकने के लिए पूरक खाद्य पदार्थ (Complementary foods) तैयार करते और खिलाते समय हमेशा स्वच्छता संबंधी व्यवहार का पालन करें.
बीमारी के दौरान भी खिलाना जारी रखें: दस्त या अन्य सामान्य बीमारियों के दौरान भी, स्तनपान के साथ डाइटरी सप्लीमेंट देना जारी रखें. यह कुपोषण को रोकता है और रिकवरी में सहायता करता है.
नमक और चीनी कम करें: डाइटरी सप्लीमेंट तैयार करते समय नमक का उपयोग सीमित करें. बिस्कुट और केक जैसे खाद्य पदार्थ या फलों के रस और कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थ देने से बचें जिनमें ज्यादा चीनी होती है.
डाइटरी सप्लीमेंट में शामिल करें यह डाइट
6 से 12 महीने के शिशु के लिए कुल ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता 650 से 720 किलो कैलोरी प्रति दिन और 9-10.5 ग्राम प्रति दिन है. छह महीने के बाद मां का दूध प्रतिदिन लगभग 500 किलो कैलोरी और 5 ग्राम प्रोटीन प्रदान करता है, जो छह महीने की उम्र के बाद शिशुओं के पूरे विकास के लिए काफी नहीं है. इसलिए, विकास में रुकावट को रोकने के लिए छह महीने के शिशु के लिए पूरक आहार की शुरुआत करना महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, शिशुओं की माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की आवश्यकताएं शरीर के वजन के आधार पर युवाओं की आवश्यकताओं से लगभग 5 से 10 गुना अधिक होती है.
शिशुओं को डाइटरी सप्लीमेंट कैसे दें
अब सवाल उठता है कि शिशुओं को डाइटरी सप्लीमेंट कैसे दें? तो बता दें कि छह महीने में पूरक आहार शुरू करते समय 4-5 दिनों के लिए पतले लेकिन बिना पानी वाला दाल या दलिया से शुरुआत करें और धीरे-धीरे मसला हुआ भोजन दें. इसके बाद चावल का घोल, मसला हुआ आलू, उबले और मसले हुए सेब आदि शिशु के भोजन में शामिल करें. 6-8 महीने की उम्र के बच्चे को दिन में कम से कम दो बार पूरक आहार देने की आवश्यकता होती है. 9-24 महीने के बच्चे को दिन में कम से कम तीन बार तक बढ़ाने की आवश्यकता होती है.
इन दिशानिर्देशों का पालन करके, देखभाल करने वाले यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके बच्चे को जीवन के महत्वपूर्ण शुरुआती वर्षों के दौरान स्वस्थ विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलें.