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चौड़ी कमर के साथ निकला है पेट तो हो जाएं सावधान, इस खतरनाक रोग से पीड़ित हैं आप - Know About type 2 Diabetes

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By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 19, 2024, 4:39 PM IST

Know About type 2 Diabetes: सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में डायबिटीज की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी डायबिटीज को एक बड़ा हेल्थ क्राइसिस बता रही है. डायबिटीज में मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने और कम होने लगता है. इस असंतुलन की वजह से लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता है. इस खबर के माध्यम से जानिए डायबिटीज टाइप 2 कैसी बीमारी है और इससे बचें कैसे?...

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हैदराबाद: डायबिटीज बीमारी एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. जिसमें शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. जिसे हाई डायबिटीज कहा जाता है. जबकि कई बार ग्लूकोज का स्तर अचानक कम होने पर मरीज लो डायबिटीज का शिकार हो जाता है यानी शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम हो जाता है.

इसके अलावा इंसुलिन की कमी, परिवार में किसी व्यक्ति का डायबिटिक होना, बढ़ती उम्र, हाई केलोस्ट्रोल लेवल, एक्सरसाइज ना करने की आदत, हारमोंस का असंतुलित होने के कारण लोग डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. इसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर, खानपान की गलत आदतों के कारण कई बार व्यक्ति डायबिटीज की चपेट में आ जाता है. इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव और अत्यधिक फास्ट फूड का सेवन भी डायबिटीज का मुख्य कारण माना गया है.

डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
जयपुर के वरिष्ठ डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर विजय कपूर (Dr Vijay Kapoor Diabetologist ) का कहना है कि आमतौर पर दो तरह की डायबिटीज मरीजों में देखने को मिलती है. इसमें सबसे पहले आती है टाइप 1 डायबिटीज. "डॉक्टर कपूर का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज छोटे बच्चों में देखने को मिलती है और यह डायबिटीज अनुवांशिक मानी जाती है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज के मामले वयस्क या फिर बुजुर्ग लोगों में देखने को मिलती है", लेकिन पिछले कुछ समय से टाइप 2 डायबिटीज के मामले छोटे बच्चों में भी देखने को मिले हैं जो काफी घातक हैं. आंकड़ों की बात करें तो 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज पीड़ित है. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.

डायबिटीज टाइप 2 कैसी बीमारी है?
डायबिटीज एक आम बीमारी है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. डायबिटीज के कई प्रकार हैं. लेकिन, टाइप 2 सबसे आम है. जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है और जो लोग अधिक वजन वाले हैं, विशेष रूप से केंद्रीय मोटापे (Central Obesity) से पीड़ित हैं, उन्हें विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. प्रीडायबिटीज केवल मधुमेह का अग्रदूत नहीं है. यह उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के जोखिम को भी बढ़ाता है, जो सामूहिक रूप से हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाता है.

किसे रहता है ज्यादा खतरा?
टाइप 2 डायबिटीज उन लोगों में भी विकसित होने की संभावना रहती है, जो लोग सकता है जो ज्याद वजन या मोटापे से ग्रस्त नहीं हैं. यह बूढ़े और जवान लोगों में ज्यादा आम है. टाइप 2 डायबिटीज में पारिवारिक इतिहास और जीन की भूमिका भी अहम होती है. कम एक्टिव, खराब आहार और कमर के आसपास शरीर का ज्यादा वजन इस बीमारी के होने की संभावना को बढ़ा देता है.

टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की आपकी संभावना रिस्क फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन पर निर्भर करती है. हालांकि आप पारिवारिक इतिहास, आयु, नस्ल या जातीयता से संबंधित जोखिम कारकों को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन आप स्वस्थ वजन बनाए रखने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कुछ जोखिम कारकों से बचने में सक्षम हो सकते हैं...

इस खबर के माध्यम से टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स के बारे में पढ़ें, और देखें कि कौन से आप पर लागू होते हैं. इसके साथ ही उन जोखिम को पहचानकर इसे कैसे विकसित होने से रेकने, इसके भी उपाय के बारे में जानें...

टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक क्या हैं?
टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. आपको किसी भी उम्र में, यहां तक कि बचपन में भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है. यदि आप अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं. आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो आपको टाइप 2 मधुमेह होने की अधिक संभावना है. बच्चों और किशोरों को भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है, लेकिन व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ जाता है.

मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है
अफ्रीकी अमेरिकी, अमेरिकी भारतीय, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक या लैटिनो या प्रशांत द्वीपवासी हैं. शारीरिक सीमाओं, गतिहीन जीवनशैली या लंबे समय तक बैठे रहने की आवश्यकता वाली नौकरी के कारण शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं.

प्रीडायबिटीज क्या है?
प्री-डायबिटीज स्वास्थ्य संबंधी एक अवस्था है, जिसके लिए कोई एक कारण या कारक जिम्मेदार नहीं होता है. मानव शरीर में ब्लड सुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है अर्थात डायबिटीज से पहले की स्थिति है. डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. रोग के कारण, बचाव व निदान के बारे में लोगों जागरूक करना है.

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज
गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट मह‍िला को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. प्रेग्नेंसी में शुगर का लेवल बढ़ने से जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज की समस्‍या होती है. इस बीमारी के कारण ड‍िलीवरी के दौरान रिस्क ज्यादा बढ़ सकता है. अगर इस डायब‍िटीज का इलाज न क‍िया जाए, तो होने वाले श‍िशु की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या इंसुलिन का सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है. यह रक्त में ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में फ्यूल के रूप में उपयोग करने में मदद करता है. जब ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है, तो यह रक्त में जमा हो जाता है. इससे हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है.

हाई ब्लड शुगर पूरे शरीर में समस्याएं पैदा होने की संभावना बनी रहती है. यह ब्लड वेसल्स और नसों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह आंखों, गुर्दे और हृदय को प्रभावित कर सकता है. वहीं, गर्भावस्था की शुरुआत में, हाई ब्लड शुगर बढ़ते बच्चे में जन्म दोष पैदा कर सकता है.

डॉक्टर से करें बात
यदि आपको ऊपर बताए गए किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानना है, तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए. जिसके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है. स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन करने से टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना कम हो सकती है. इसके अलावा, अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में पूछ सकते हैं, जो आप या आपका बच्चा लेते हैं. आप टाइप 2 मधुमेह के अपने जोखिम के बारे में अधिक जानने के लिए मधुमेह जोखिम परीक्षण भी करवा सकते हैं.

जानें वजन कम करके कैसे टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम करें
क्या आपका वजन आपको टाइप 2 मधुमेह के जोखिम में डालता है? यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आप वजन कम करके और शारीरिक रूप से अधिक एक्टिव होकर टाइप 2 डायबिटीज को रोक सकते हैं या उसे टाल सकते हैं. जानें कैसे...

यह जानने के लिए कि क्या आपका वजन आपको टाइप 2 मधुमेह के जोखिम में डाल सकता है, सबसे पहले अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और कमर की परिधि के बारे में जानें...

बॉडी मास इंडेक्स
आपका BMI यह बताने में आपकी मदद कर सकता है कि आपका वजन स्वस्थ है या अधिक वजन या मोटापा है.

किसी व्यक्ति की लंबाई और वजन के आधार पर अगर उसका BMI इंडेक्स 18.5 से कम आता है, तो ये सामान्य से कम होता है. यदि आपका BMI लेवल 18.5 से 24.9 के बीच में है तो यह एकदम ठीक कंडिशन में है. BMI लेवल अगर 25 या उससे ऊपर है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. ऐसे लोगों को दिल की बीमारी, स्ट्रोक, डाइबिटीज टाइप 2 होने का खतरा रहता है.

बच्चों के लिए अलग बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
बता दें, 25 या उससे अधिक BMI वाले अधिकांश अधिक वजन वाले युवाओं को टाइप 2 मधुमेह होने का ज्यादा खतरा होता है. आप 2-19 वर्ष की आयु के बच्चों या किशोरों के लिए एक अलग BMI कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं. यह कैलकुलेटर BMI, लिंग और आयु का उपयोग करके यह अनुमान लगाता है कि किसी बच्चे या किशोर का वजन अधिक है या मोटापा है.

कमर की परिधि
डायबिटीज के विकास के अपने जोखिम का अनुमान लगाने का एक और तरीका है. अपनी कमर की पेरीमीटर को मापना. पुरुषों में मधुमेह विकसित होने का जोखिम अधिक होता है यदि उनकी कमर की पेरीमीटर 40 इंच से अधिक है, जबकि गर्भवती न होने वाली महिलाओं में कमर की परिधि 35 इंच से अधिक होने पर जोखिम अधिक होता है. कमर की परिधि आपके पेट में वसा की मात्रा का एक अप्रत्यक्ष माप है. बड़ी कमर की परिधि मधुमेह और हृदय रोग के लिए एक जोखिम कारक है, भले ही आपका बीएमआई सामान्य हो.

नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य जानकारी और सुझाव केवल आपकी समझ के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक शोध, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवरों की सलाह के आधार पर दे रहे हैं. लेकिन, इन पर अमल करने से पहले अपने निजी डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर है.

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हैदराबाद: डायबिटीज बीमारी एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. जिसमें शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है. जिसे हाई डायबिटीज कहा जाता है. जबकि कई बार ग्लूकोज का स्तर अचानक कम होने पर मरीज लो डायबिटीज का शिकार हो जाता है यानी शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम हो जाता है.

इसके अलावा इंसुलिन की कमी, परिवार में किसी व्यक्ति का डायबिटिक होना, बढ़ती उम्र, हाई केलोस्ट्रोल लेवल, एक्सरसाइज ना करने की आदत, हारमोंस का असंतुलित होने के कारण लोग डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. इसी प्रकार हाई ब्लड प्रेशर, खानपान की गलत आदतों के कारण कई बार व्यक्ति डायबिटीज की चपेट में आ जाता है. इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव और अत्यधिक फास्ट फूड का सेवन भी डायबिटीज का मुख्य कारण माना गया है.

डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.
जयपुर के वरिष्ठ डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टर विजय कपूर (Dr Vijay Kapoor Diabetologist ) का कहना है कि आमतौर पर दो तरह की डायबिटीज मरीजों में देखने को मिलती है. इसमें सबसे पहले आती है टाइप 1 डायबिटीज. "डॉक्टर कपूर का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज छोटे बच्चों में देखने को मिलती है और यह डायबिटीज अनुवांशिक मानी जाती है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज के मामले वयस्क या फिर बुजुर्ग लोगों में देखने को मिलती है", लेकिन पिछले कुछ समय से टाइप 2 डायबिटीज के मामले छोटे बच्चों में भी देखने को मिले हैं जो काफी घातक हैं. आंकड़ों की बात करें तो 10 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज पीड़ित है. अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है.

डायबिटीज टाइप 2 कैसी बीमारी है?
डायबिटीज एक आम बीमारी है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. डायबिटीज के कई प्रकार हैं. लेकिन, टाइप 2 सबसे आम है. जिनके परिवार में मधुमेह का इतिहास रहा है और जो लोग अधिक वजन वाले हैं, विशेष रूप से केंद्रीय मोटापे (Central Obesity) से पीड़ित हैं, उन्हें विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. प्रीडायबिटीज केवल मधुमेह का अग्रदूत नहीं है. यह उच्च रक्तचाप, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे के जोखिम को भी बढ़ाता है, जो सामूहिक रूप से हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाता है.

किसे रहता है ज्यादा खतरा?
टाइप 2 डायबिटीज उन लोगों में भी विकसित होने की संभावना रहती है, जो लोग सकता है जो ज्याद वजन या मोटापे से ग्रस्त नहीं हैं. यह बूढ़े और जवान लोगों में ज्यादा आम है. टाइप 2 डायबिटीज में पारिवारिक इतिहास और जीन की भूमिका भी अहम होती है. कम एक्टिव, खराब आहार और कमर के आसपास शरीर का ज्यादा वजन इस बीमारी के होने की संभावना को बढ़ा देता है.

टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की आपकी संभावना रिस्क फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन पर निर्भर करती है. हालांकि आप पारिवारिक इतिहास, आयु, नस्ल या जातीयता से संबंधित जोखिम कारकों को नहीं बदल सकते हैं, लेकिन आप स्वस्थ वजन बनाए रखने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कुछ जोखिम कारकों से बचने में सक्षम हो सकते हैं...

इस खबर के माध्यम से टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क फैक्टर्स के बारे में पढ़ें, और देखें कि कौन से आप पर लागू होते हैं. इसके साथ ही उन जोखिम को पहचानकर इसे कैसे विकसित होने से रेकने, इसके भी उपाय के बारे में जानें...

टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक क्या हैं?
टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. आपको किसी भी उम्र में, यहां तक कि बचपन में भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है. यदि आप अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं. आपकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है, तो आपको टाइप 2 मधुमेह होने की अधिक संभावना है. बच्चों और किशोरों को भी टाइप 2 मधुमेह हो सकता है, लेकिन व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ जाता है.

मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है
अफ्रीकी अमेरिकी, अमेरिकी भारतीय, एशियाई अमेरिकी, हिस्पैनिक या लैटिनो या प्रशांत द्वीपवासी हैं. शारीरिक सीमाओं, गतिहीन जीवनशैली या लंबे समय तक बैठे रहने की आवश्यकता वाली नौकरी के कारण शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं.

प्रीडायबिटीज क्या है?
प्री-डायबिटीज स्वास्थ्य संबंधी एक अवस्था है, जिसके लिए कोई एक कारण या कारक जिम्मेदार नहीं होता है. मानव शरीर में ब्लड सुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है तो ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहा जाता है अर्थात डायबिटीज से पहले की स्थिति है. डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है. रोग के कारण, बचाव व निदान के बारे में लोगों जागरूक करना है.

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज
गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट मह‍िला को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है. प्रेग्नेंसी में शुगर का लेवल बढ़ने से जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज की समस्‍या होती है. इस बीमारी के कारण ड‍िलीवरी के दौरान रिस्क ज्यादा बढ़ सकता है. अगर इस डायब‍िटीज का इलाज न क‍िया जाए, तो होने वाले श‍िशु की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, या इंसुलिन का सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है. यह रक्त में ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में फ्यूल के रूप में उपयोग करने में मदद करता है. जब ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है, तो यह रक्त में जमा हो जाता है. इससे हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लाइसेमिया) होता है.

हाई ब्लड शुगर पूरे शरीर में समस्याएं पैदा होने की संभावना बनी रहती है. यह ब्लड वेसल्स और नसों को भी नुकसान पहुंचा सकता है. यह आंखों, गुर्दे और हृदय को प्रभावित कर सकता है. वहीं, गर्भावस्था की शुरुआत में, हाई ब्लड शुगर बढ़ते बच्चे में जन्म दोष पैदा कर सकता है.

डॉक्टर से करें बात
यदि आपको ऊपर बताए गए किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानना है, तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए. जिसके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है. स्वास्थ्य समस्याओं का प्रबंधन करने से टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना कम हो सकती है. इसके अलावा, अपने डॉक्टर से उन दवाओं के बारे में पूछ सकते हैं, जो आप या आपका बच्चा लेते हैं. आप टाइप 2 मधुमेह के अपने जोखिम के बारे में अधिक जानने के लिए मधुमेह जोखिम परीक्षण भी करवा सकते हैं.

जानें वजन कम करके कैसे टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम करें
क्या आपका वजन आपको टाइप 2 मधुमेह के जोखिम में डालता है? यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो आप वजन कम करके और शारीरिक रूप से अधिक एक्टिव होकर टाइप 2 डायबिटीज को रोक सकते हैं या उसे टाल सकते हैं. जानें कैसे...

यह जानने के लिए कि क्या आपका वजन आपको टाइप 2 मधुमेह के जोखिम में डाल सकता है, सबसे पहले अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और कमर की परिधि के बारे में जानें...

बॉडी मास इंडेक्स
आपका BMI यह बताने में आपकी मदद कर सकता है कि आपका वजन स्वस्थ है या अधिक वजन या मोटापा है.

किसी व्यक्ति की लंबाई और वजन के आधार पर अगर उसका BMI इंडेक्स 18.5 से कम आता है, तो ये सामान्य से कम होता है. यदि आपका BMI लेवल 18.5 से 24.9 के बीच में है तो यह एकदम ठीक कंडिशन में है. BMI लेवल अगर 25 या उससे ऊपर है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. ऐसे लोगों को दिल की बीमारी, स्ट्रोक, डाइबिटीज टाइप 2 होने का खतरा रहता है.

बच्चों के लिए अलग बॉडी मास इंडेक्स (BMI)
बता दें, 25 या उससे अधिक BMI वाले अधिकांश अधिक वजन वाले युवाओं को टाइप 2 मधुमेह होने का ज्यादा खतरा होता है. आप 2-19 वर्ष की आयु के बच्चों या किशोरों के लिए एक अलग BMI कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं. यह कैलकुलेटर BMI, लिंग और आयु का उपयोग करके यह अनुमान लगाता है कि किसी बच्चे या किशोर का वजन अधिक है या मोटापा है.

कमर की परिधि
डायबिटीज के विकास के अपने जोखिम का अनुमान लगाने का एक और तरीका है. अपनी कमर की पेरीमीटर को मापना. पुरुषों में मधुमेह विकसित होने का जोखिम अधिक होता है यदि उनकी कमर की पेरीमीटर 40 इंच से अधिक है, जबकि गर्भवती न होने वाली महिलाओं में कमर की परिधि 35 इंच से अधिक होने पर जोखिम अधिक होता है. कमर की परिधि आपके पेट में वसा की मात्रा का एक अप्रत्यक्ष माप है. बड़ी कमर की परिधि मधुमेह और हृदय रोग के लिए एक जोखिम कारक है, भले ही आपका बीएमआई सामान्य हो.

नोट: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य जानकारी और सुझाव केवल आपकी समझ के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक शोध, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवरों की सलाह के आधार पर दे रहे हैं. लेकिन, इन पर अमल करने से पहले अपने निजी डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर है.

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