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डॉक्टरों ने खोज निकाला एक खतरनाक जेनेटिक डिफेक्ट SERPINA11, जानें यह कैसे भ्रूण को पहुंचाता है नुकसान - New Genetic Defect SERPINA11

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By ETV Bharat Health Team

Published : Aug 24, 2024, 5:06 PM IST

New Genetic Defect SERPINA11: हैदराबाद के डॉक्टरों ने बड़ी खोज कर डाली है. एक अध्ययन में डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे शीशु (भ्रूण) के हार्ट और फेफड़ों की विफलता का कारण बनने वाले नए जेनेटिक डिफेक्ट का पता लगाया. पढ़ें पूरी खबर...

New Genetic Defect SERPINA11
स्टडी का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर्स (ETV Bharat)

हैदराबाद: निम्स अस्पताल और सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में एक नए आनुवंशिक दोष (Genetic defects) की पहचान की है, जो भ्रूण में हार्ट फेलियर और फेफड़ों की विफलता का कारण बनता है. यह डिफेक्ट सर्पिना 11 जीन से जुड़ा है. सर्पिना 11 जीन से जुड़े इस दोष की रिपोर्ट दुनिया में पहली बार की गई है, जो जेनेटिक रिसर्च में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

इस स्टडी का नेतृत्व निम्स में जेनेटिक्स की प्रमुख डॉ शगुन अग्रवाल ने किया, साथ ही सीडीएफडी से डॉ रशना भंडारी और डॉ अश्विन दलाल ने भी किया. उनके निष्कर्षों को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ क्लिनिकल जेनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है, जिससे घातक सर्पिनोपैथी के रूप में जानी जाने वाली इस दुर्लभ और घातक आनुवंशिक विसंगति की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित हुआ है.

यह खोज कैसे हुई
यह खोज हैदराबाद के एक दंपत्ति के दुखद मामले की डिटेल जांच के दौरान की गई. दंपत्ति का पहला बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ, लेकिन उनका दूसरा बच्चा जन्म के कुछ ही घंटों बाद मर गया. बाद की गर्भावस्थाओं में भी इसी तरह की जटिलताएं देखी गई थी, जिसमें मां को पांचवें महीने तक दो बार गर्भपात का सामना करना पड़ा था. गर्भावस्था के 5वें और 8वें महीने में स्कैन के दौरान फेफड़ों और हृदय संबंधी समस्याओं की लगातार मौजूदगी ने आनुवंशिक दोष का संदेह पैदा किया.

कारण का पता लगाने के लिए, भ्रूण को आगे के विश्लेषण के लिए NIMS के आनुवंशिकी विभाग में भेजा गया. व्यापक डीएनए और अन्य आनुवंशिक परीक्षण करने के बाद, डॉक्टरों ने सर्पेन्टाइन 11 जीन में एक दोष की पहचान की. जिसमें यह पता चला कि यह दोष भ्रूण में हृदय और फेफड़ों के विकास के लिए महत्वपूर्ण एंजाइमों के उत्पादन में बाधा डालता है.

स्टडी में क्या-क्या बातें आई सामने
इस स्टडी से पता चलता है कि इस आनुवंशिक दोष वाले माता-पिता से पैदा हुए 75 प्रतिशत बच्चे स्वस्थ हैं, जबकि शेष 25 प्रतिशत में घातक सर्पिनोपैथी सहित गंभीर आनुवंशिक समस्याएं विकसित होने का जोखिम है. इस नई खोजी गई स्थिति में आनुवंशिक परामर्श और प्रसवपूर्व देखभाल के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, जो प्रारंभिक पहचान और निवारक उपायों के लिए आशा प्रदान करते हैं. ये प्रसिद्ध क्लिनिकल जेनेटिक्स जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं.

डॉक्टर का सुझाव
डॉक्टर अब सुझाव देते हैं कि ऐसे आनुवंशिक दोषों के इतिहास वाले जोड़ों को गर्भावस्था के दौरान भ्रूण और प्लेसेंटल सैंपल की गहन जांच करानी चाहिए. ये परीक्षण सर्पिन11 दोष की उपस्थिति को जल्दी पहचान सकते हैं, जिससे समय पर इसका इलाज संभव हो सके.

मान्यता और भविष्य का प्रभाव
इस अध्ययन के महत्व को हाई लेवल पर स्वीकार किया गया है, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजनरसिम्हा ने शोध में शामिल डॉक्टरों को सम्मानित किया. NIMS के निदेशक डॉ. बीरप्पा ने भी टीम की उनके अग्रणी कार्य के लिए प्रशंसा की, जो प्रसवपूर्व परीक्षण और आनुवंशिक परामर्श में नए प्रोटोकॉल का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

यह खोज भविष्य के मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन होने की उम्मीद है, जो समान आनुवंशिक पृष्ठभूमि वाले जोड़ों को स्वस्थ गर्भधारण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने में मदद करेगी. इस अध्ययन की सफलता स्वास्थ्य सेवा को बदलने और दुनिया भर के परिवारों के लिए दुखद परिणामों को रोकने के लिए आनुवंशिक अनुसंधान की क्षमता को उजागर करती है.

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हैदराबाद: निम्स अस्पताल और सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (सीडीएफडी) के डॉक्टरों ने एक अभूतपूर्व अध्ययन में एक नए आनुवंशिक दोष (Genetic defects) की पहचान की है, जो भ्रूण में हार्ट फेलियर और फेफड़ों की विफलता का कारण बनता है. यह डिफेक्ट सर्पिना 11 जीन से जुड़ा है. सर्पिना 11 जीन से जुड़े इस दोष की रिपोर्ट दुनिया में पहली बार की गई है, जो जेनेटिक रिसर्च में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.

इस स्टडी का नेतृत्व निम्स में जेनेटिक्स की प्रमुख डॉ शगुन अग्रवाल ने किया, साथ ही सीडीएफडी से डॉ रशना भंडारी और डॉ अश्विन दलाल ने भी किया. उनके निष्कर्षों को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ क्लिनिकल जेनेटिक्स में प्रकाशित किया गया है, जिससे घातक सर्पिनोपैथी के रूप में जानी जाने वाली इस दुर्लभ और घातक आनुवंशिक विसंगति की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित हुआ है.

यह खोज कैसे हुई
यह खोज हैदराबाद के एक दंपत्ति के दुखद मामले की डिटेल जांच के दौरान की गई. दंपत्ति का पहला बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ, लेकिन उनका दूसरा बच्चा जन्म के कुछ ही घंटों बाद मर गया. बाद की गर्भावस्थाओं में भी इसी तरह की जटिलताएं देखी गई थी, जिसमें मां को पांचवें महीने तक दो बार गर्भपात का सामना करना पड़ा था. गर्भावस्था के 5वें और 8वें महीने में स्कैन के दौरान फेफड़ों और हृदय संबंधी समस्याओं की लगातार मौजूदगी ने आनुवंशिक दोष का संदेह पैदा किया.

कारण का पता लगाने के लिए, भ्रूण को आगे के विश्लेषण के लिए NIMS के आनुवंशिकी विभाग में भेजा गया. व्यापक डीएनए और अन्य आनुवंशिक परीक्षण करने के बाद, डॉक्टरों ने सर्पेन्टाइन 11 जीन में एक दोष की पहचान की. जिसमें यह पता चला कि यह दोष भ्रूण में हृदय और फेफड़ों के विकास के लिए महत्वपूर्ण एंजाइमों के उत्पादन में बाधा डालता है.

स्टडी में क्या-क्या बातें आई सामने
इस स्टडी से पता चलता है कि इस आनुवंशिक दोष वाले माता-पिता से पैदा हुए 75 प्रतिशत बच्चे स्वस्थ हैं, जबकि शेष 25 प्रतिशत में घातक सर्पिनोपैथी सहित गंभीर आनुवंशिक समस्याएं विकसित होने का जोखिम है. इस नई खोजी गई स्थिति में आनुवंशिक परामर्श और प्रसवपूर्व देखभाल के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, जो प्रारंभिक पहचान और निवारक उपायों के लिए आशा प्रदान करते हैं. ये प्रसिद्ध क्लिनिकल जेनेटिक्स जर्नल के नवीनतम अंक में प्रकाशित हुए हैं.

डॉक्टर का सुझाव
डॉक्टर अब सुझाव देते हैं कि ऐसे आनुवंशिक दोषों के इतिहास वाले जोड़ों को गर्भावस्था के दौरान भ्रूण और प्लेसेंटल सैंपल की गहन जांच करानी चाहिए. ये परीक्षण सर्पिन11 दोष की उपस्थिति को जल्दी पहचान सकते हैं, जिससे समय पर इसका इलाज संभव हो सके.

मान्यता और भविष्य का प्रभाव
इस अध्ययन के महत्व को हाई लेवल पर स्वीकार किया गया है, तेलंगाना के स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजनरसिम्हा ने शोध में शामिल डॉक्टरों को सम्मानित किया. NIMS के निदेशक डॉ. बीरप्पा ने भी टीम की उनके अग्रणी कार्य के लिए प्रशंसा की, जो प्रसवपूर्व परीक्षण और आनुवंशिक परामर्श में नए प्रोटोकॉल का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

यह खोज भविष्य के मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन होने की उम्मीद है, जो समान आनुवंशिक पृष्ठभूमि वाले जोड़ों को स्वस्थ गर्भधारण सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने में मदद करेगी. इस अध्ययन की सफलता स्वास्थ्य सेवा को बदलने और दुनिया भर के परिवारों के लिए दुखद परिणामों को रोकने के लिए आनुवंशिक अनुसंधान की क्षमता को उजागर करती है.

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