नई दिल्ली : टोल प्लाजा और एक्सप्रेस-वे से गुजरने के लिए अब आपको इंतजार नहीं करना होगा. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने इस संबंध में बड़ा निर्णय लिया है. इसके अनुसार वर्तमान फास्टैग व्यवस्था खत्म होगी और इसकी जगह पर जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) व्यवस्था लागू की जाएगी.
अगर आपका वाहन जीएनएसएस से जुड़ा होगा, तो आपको टोल प्लाजा पर इंतजार नहीं करना होगा. बिना रूके आप चलते बनेंगे और पैसा स्वतः कट जाएगा. इस समय टोल प्लाजा पर फास्टैग व्यवस्था लागू है. इसके लिए यूजर्स को गाड़ी रोकनी पड़ती है और उसके बाद बारकोड की रीडिंग की जाती है. इसमें कई बार एक मिनट तक का समय लग जाता है. जीएनएसएस इन सारी प्रक्रियाओं से मुक्ति दिला देगा.
क्या है जीएनएसएस
जीएनएसएस एक सैटेलाइट बेस्ड रोड टोल कलेक्शन सिस्टम है. जीएनएसएस के जरिए टोल या हाईवे पर बिना रुके ही बारकोड को रीड किया जाएगा. जैसे ही एक जीएनएसएस वाहन टोल गेट से गुजरेगा, ओबीयू (ऑन-बोर्ड यूनिट) के माध्यम से चार्जर को एक पिंग रिसीव होगा और संबंधित फिनटेक कंपनियों के जरिए पैसा प्राप्त हो जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वॉलेट सिस्टम लागू किया जाएगा. इस वॉलेट में आपको पैसे जमा कराने होंगे. वॉलेट बैंक अकाउंट से जुड़ा होगा.
The Government has come with an Amendment in NH Fee Rule, 2008 vide GSR No. 556 dated 9th of September 2024, as an Enabling Amendments in National Highway Fee Rules to make Global Navigation Satellite System (GNSS) based tolling effective in India.
— MORTHINDIA (@MORTHIndia) September 10, 2024
1. GNSS based tolling is… pic.twitter.com/Du40IDcTc4
किसी भी व्हीकल को सिर्फ निर्धारित लेन से गुजरना होगा. आपको आपने वाहन पर एक ऑन-बोर्ड यूनिट फिट करवाना होगा. यह नॉन ट्रांसफेरेबल होता है. आगे चलकर वाहन कंपनियां इसे ऑटो-फिटेड ही बेचेंगी, ठीक उसी तरह से जिस तरह फास्टैग स्टिकर वाली गाड़ी आ रही हैंं.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार जीएनएसएस बेस्ड टोलिंग सिस्टम अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद फास्टैग व्यवस्था खत्म हो जाएगी. हरेक गाड़ियों की जीएनएसएस से ट्रेकिंग की जाएगी. इसलिए यूजर्स को उतना ही चार्ज लगेगा, जितनी दूरी वह किसी भी राजमार्ग पर तय करेंगे. इस समय एक निश्चित राशि वसूली जाती है, चाहे आप जितनी भी दूरी तय करें.
जीएनएसएस डिवाइस नॉन-ट्रांसफेरेबल है. यह यूजर्स से फीस कलेक्शन के लिए उनकी गाड़ी में ही फिट होगा. उनके लिए अलग से एक लेन निर्धारित किया जाएगा. जिन वाहनों में जीएनएसएस सिस्टम नहीं है, अगर वे जीएनएसएस लेन में चले गए, तो उनसे दोगुना टोल वसूला जाएगा.
20 किलोमीटर की मुफ्त यात्रा प्रतिदिन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि जिन वाहनों में जीएनएसएस यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम लगा होगा, उन्हें प्रतिदिन 20 किलोमीटर तक राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की जाएगी. मंत्रालय ने इस बाबत एक दिन पहले अधिसूचना जारी कर दी है.
ट्रायल कंप्लीट
दो जुलाई को इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लि. ने एक टेंडर फ्लोट किया था. इनका उद्देश्य टोल प्लाजा पर जीएनएसएस के लिए अलग लेन निर्धारित करना है. इसने बेंगलुरु-मैसुरु सेक्शन एनएच-275 पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ट्रायल पूरा कर लिया है. एक अन्य ट्रायल पानीपत-हिसार सेक्शन एनएच-709 पर भी किया गया था.
जीएनएसएस लेन में साइनेज, चिह्न, लाइटिंग सिस्टम और उपकरण लगे होंगे, ताकि इस लेन से गुजरने वाले वाहनों की स्पीड बरकरार रहे और फास्टैग लेन से गुजरने वाली गाड़ियों के साथ उनका कोई क्लैश न हो. आमतौर पर फास्टैग व्यवस्था में एक मि. तक का टाइम लग जाता है. लेकिन जीएनएसएस में ऐसी कोई समस्या नहीं आएगी. इसलिए जाम नहीं लगेगा.
अभी कुछ दिनों तक फास्टैग व्यवस्था भी बनी रहेगी
अभी कुछ दिनों के लिए दोनों व्यवस्थाएं लागू रहेंगी. बाद में धीरे-धीरे कर फास्टैग व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी. फास्टैग व्यवस्था में रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है. इसकी शुरुआत 2015 में की गई थी. फरवरी 2021 से इसे कंप्लसरी कर दिया गया था. कैश में भुगतान करने पर डबल जुर्माना तक लगाया जाता है.
मार्च 2024 के आंकड़े बता रहे हैं कि टोल यूज करने वाले 98 फीसदी यूजर्स फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. नेशनल हाईवे और एक्प्रेसवे को मिला दें तो कुल 45 हजार किलोमीटर की दूरी के लिए 1200 टोल प्लाजा हैं.
कितना पैसा लगेगा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती स्तर पर जीएनएसएस को कॉमर्शियल व्हीकल के लिए लागू किया जाएगा, फिर अन्य वाहनों को शामिल किया जाएगा. जहां तक चार्जेज की बात है तो सरकार ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि फास्टैग व्यवस्था में जहां 300 रु. तक काम हो जाता है, वहीं जीएनएसएस में 4000 रु. तक चार्ज हो सकता है.
किन-किन देशों में लागू है यह व्यवस्था
इस समय यह व्यवस्था बेल्जियम, रूस, पोलैंड और जर्मनी जैसे देशों में लागू है.
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