हैदराबाद : बारिश के मौसम में स्वच्छता और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इस मौसम में दूषित आहार व पानी के सेवन तथा बारिश के कारण एकत्रित हुए दूषित या गंदे पानी के संपर्क में आने से कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. जो कई बार गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकता है. लेकिन उचित सावधानी , जागरूकता, स्वच्छता का ध्यान रखकर और समस्या के प्रभाव में आने पर सही समय पर इलाज करवाकर इन बीमारियों से खुद को व अपने परिवार को सुरक्षित रखा जा सकता है.
कई बीमारियों का कारण बन सकता है दूषित जल : नई दिल्ली की जनरल फिजिशियन डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि बरसात में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. खासतौर पर अगर बारिश का पानी बाढ़ या पानी की निकासी में समस्या के चलते ज्यादा समय तक एकत्रित होने लगता है तो उसमें बैक्टीरिया अधिक पनपने लगते हैं. साथ ही कई बार एकत्रित पानी में जानवरों के मलमूत्र का इकट्ठा होना भी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. ऐसे इलाकों में उपलब्ध पीने के पानी तथा भोजन के दूषित होने की आशंका भी रहती है. ऐसे में दूषित पानी पीने या एकत्रित पानी में जाने व किसी भी तरह से उसके संपर्क में आने के कारण उस स्थान के लोगों में कई प्रकार की जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यही नहीं चूंकि इसका प्रभाव भोजन पर भी नजर आता है जिसके चलते ऐसी अवस्थाओं में फूड बॉर्न डिजिज यानी खराब आहार के सेवन से होने वाले रोग जैसे फूड पॉयजनिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है.
दूषित पानी व आहार से होने वाले रोग : डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि दूषित पानी या खाने से होने वाले रोगों में से कुछ प्रचलित रोग तथा उनके कारण व लक्षण इस प्रकार हैं.
- टाइफाइड : Typhoid : टाइफाइड बुखार एस. टाइफी बैक्टीरिया से होता है जो दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैलता है. इसमें तेज बुखार, फ्लू, सिरदर्द, कमजोरी, पेट दर्द, कब्ज या दस्त जैसे लक्षण नजर आते हैं
- हैजा/ कॉलेरा : Cholera : हैजा भी एक जीवाणु जनित बीमारी है जो जीवाणु विब्रियो कोलेरा के संपर्क में आने पर होती हैं. इसके होने व फैलने के लिए भी दूषित आहार, दूषित पानी व स्वच्छता की कमी जिम्मेदार होती है. हैजा में उल्टी, दस्त, पेट में मरोड़ तथा तेज डिहाइड्रेशन जैसे लक्षण नजर आते हैं.
- हेपेटाइटिस ए : Hepatitis A : ‘हेपेटाइटिस ए’ वायरस के कारण होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है. जो हेपेटाइटिस ए वायरस से संक्रमित व दूषित भोजन व पानी के इस्तेमाल तथा संक्रमित व्यक्ति या वस्तु के निकट संपर्क में आने से फैलता है. इस समस्या में बुखार, कमजोरी, भूख में कमी, मतली, उल्टी, पेट दर्द तथा पीलिया जैसे लक्षण नजर आते हैं.
- डायरिया : Diarrhea : बरसात के मौसम में डायरिया या दस्त बहुत आम होता है तथा इसके ज्यादातर मामलों के लिए दूषित आहार या पानी का सेवन जिम्मेदार होता है. डायरिया में पीड़ित में बार-बार पतले दस्त, पेट दर्द, उल्टी तथा डिहाइड्रेशन जैसे लक्षण नजर आते हैं.
- लेप्टोस्पायरोसिस : Leptospirosis : कई बार बारिश में बाढ़ आने या पानी एकत्रित होने पर जब उनमें जानवरों के मल-मूत्र व अन्य प्रकार की गंदगी एकत्रित होने लगती है तो लेप्टोस्पायरोसिस होने का अंदेशा हो सकता है. यह पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है, जो लेप्टोस्पाइरा नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है. लेप्टोस्पायरोसिस में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द तथा उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं. इस रोग की गंभीर अवस्था शरीर के कई अंगों के खराब होने का कारण भी बन सकती है.
- साल्मोनेला : Salmonella : साल्मोनेला संक्रमण (सालमोनेलोसिस) भी एक जीवाणु संक्रमण है जो मनुष्यों व जानवरों में दूषित पानी या भोजन से फैलता है. यह रोग भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में ज्यादा नजर आता है. इस संक्रमण में डायरिया, फीसेस में खून आना, ठंड लगना तथा सिर दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं.
कैसे करें इन बीमारियों से बचाव : डॉ कुमुद सेनगुप्ता बताती हैं कि यदि कुछ सावधानियों का पालन किया जाय तो इन दूषित जल व आहार के सेवन से होने वाले रोगों से बचाव संभव है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- हमेशा साफ- स्वच्छ, उबला हुआ या फिल्टर्ड ही पानी पिएं. घर में वाटर प्यूरीफायर का उपयोग करें.
- ना सिर्फ अपने शरीर की बल्कि अपने आसपास की स्वच्छता भी बनाए रखें. भोजन से पहले और बाद में हाथ धोएं. शौचालय के बाद और बच्चों के डायपर बदलने के बाद हाथ धोएं. नाखून साफ रखें और काटते रहें.
- भोजन की स्वच्छता का भी ध्यान रहें. हमेशा ताजा और साफ भोजन करें तथा फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं. बाहर का खाना कम से कम खाएं और खाने की गुणवत्ता पर ध्यान दें.
- सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें जैसे सार्वजनिक जगहों पर कूड़ा न डालें और पानी एकत्रित ना होने दें. क्योंकि यह मच्छरों और बीमारियों का स्रोत बन सकता है.
- हेपेटाइटिस ए तथा जिन जिन रोगों के लिए टीकाकरण उपलब्ध हैं उन्हे जरूर लगवाएं. बीमारियों के लक्षण पहचानें और सही समय पर उचित चिकित्सा लें. अगर किसी को बुखार, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, या अन्य कोई लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
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