हैदराबाद: भारतीय किचन में कई मसाले होते हैं. इन्हीं में से एक है हल्दी, जिसका उपयोग लगभग हर खाने में किया जाता है. इसके बिना खाने में मजा ही नहीं आता. हालांकि, हल्दी केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाती है, बल्कि सेहत के लिए भी इसे काफी फायदेमंद माना जाता है. ज्यादातर लोग आमतौर पर हल्दी का इस्तेमाल दाल और सब्जी बनाने के लिए करते हैं. इसके अतिरिक्त घर के किचन में रखे इस मसाले का इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी किया जाता है. शरीर में कहीं पर चोट लगने से लेकर टोटके के रूप में भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है.
बता दें, हल्दी का इस्तेमाल लंबे समय से चीन और भारत में आयुर्वेदिक और पारंपरिक चिकित्सा के लिए भी किया जाता रहा है. जानकारों का कहना है कि हल्दी में फाइटोन्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो मुक्त कणों जैसे कि प्रदूषण, सूरज की रोशनी को बेअसर कर देते हैं, और सेल्स को नुकसान से बचाकर शरीर की रक्षा कर सकते हैं. क्या आपको पता हैं कि हल्दी का पानी भी हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह एक प्राचीन आयुर्वेदिक उपाय है. इसका इस्तेमाल कई रोगों और समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता रहा है. चलिए इस खबर के माध्यम से जानते है कि मानव शरीर के लिए हल्दी कितना लाभकारी है....
सेहत के साथ सुंदरता भी बढ़ा सकती है कच्ची हल्दी
पिसी हुई हल्दी हमारी मसालेदानी का सबसे खास मसाला होता है, जिसका इस्तेमाल हमारे भारतीय खाने में हर सब्जी दाल में किया जाता है. हल्दी में स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले ही नहीं बल्कि कई बीमारियों से दूर रखने वाले गुण भी मौजूद होते हैं. यहां तक की किसी चोट या घाव पर हल्दी के प्रयोग को काफी लाभकारी माना जाता है. हल्दी का इस्तेमाल घरेलू इलाज में कई तरह से कर सकते हैं. इनमें एलर्जी से होने वाली बीमारियां, सर्दी और खांसी भी शामिल हैं.
खूबसूरती में लगाएं चार चांद
महिलाएं अपने चहरे की चमक को बढ़ाने और उसे बरकरार रखने के लिए भी हल्दी का इस्तेमाल करती हैं. कच्ची हल्दी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट,एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण सिर्फ अंदरूनी सेहत ही नही बल्कि त्वचा व बालों को सुंदर व निरोगी बनाने में भी लाभकारी होता हैं. इसके अलावा इसके इस्तेमाल से त्वचा की दाग धब्बे, झुर्रियों तथा मुहांसों जैसी समस्या में भी राहत मिलती है. यही नहीं यह दाद खाज खुजली तथा त्वचा की कुछ सामान्य और गंभीर समस्याओं में भी राहत दिलाती है.
हल्दी वैसे तो हर रूप में फायदेमंद मानी जाती है, लेकिन सूखी हुई सामान्य हल्दी के मुकाबले कच्ची हल्दी का सेवन हर लिहाज से ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. देखने में अदरक जैसी दिखने वाली कच्ची हल्दी सर्दियों के मौसम में बाजार में आराम से मिल जाती है.
आयुर्वेद में कच्ची हल्दी फायदे
"भोपाल के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर राजेश शर्मा बताते हैं कि हमारी प्रकृति मौसम की जरूरत के अनुसार हमारे लिए ऐसे सभी संसाधन उपलब्ध कराती है जो हमें ना सिर्फ हर मौसमी बल्कि आम तथा गंभीर, सभी तरह की समस्याओं से बचाने में मदद कर सकती है."
हल्दी शरीर की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ा सकती है
इसके अलावा हल्दी कैंसर को रोकने में सहायक हो सकती है. इतना ही नहीं हल्दी का उपयोग शुगर लेवल को कम करने और पेट की चर्बी को कम करने के लिए भी किया जाता है. हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक हल्दी शरीर की एंटीऑक्सीडेंट क्षमता को बढ़ा सकती है.
इन लोगों को नहीं करना चाहिए हल्दी का सेवन
जो महिलाएं गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, उनको हेल्दी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही जिन लोगों को पित्ताशय या गुर्दे की समस्या है, आयरन की कमी है, उन्हें हल्दी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए.
कैसे करें सेवन
डॉ राजेश बताते हैं कि वैसे तो सर्दियों के मौसम में लोग नियंत्रित मात्रा में आहार में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं , लेकिन दूध में इसे उबालकर इसका सेवन करने से तथा इसकी चाय पीने से सेहत को सीधा लाभ पहुंचता है. गौरतलब है कि सर्दियों में कई लोग सब्जियों, सूप, सलाद, शरबत, आचार तथा चटनी के इसका इस्तेमाल करते हैं.
कैसा होता है हल्दी का पौधा?
हल्दी करकुमा लोंगा का उत्पाद है, जो अदरक परिवार ज़िंगबेरेसी से संबंधित एक प्रकंद शाकाहारी बारहमासी पौधा है, जो उष्णकटिबंधीय दक्षिण एशिया का मूल निवासी है। दुनिया भर में करकुमा की 133 प्रजातियों की पहचान की गई है (तालिका 13.2)। उनमें से अधिकांश के स्थानीय नाम समान हैं और विभिन्न औषधीय योगों के लिए उपयोग किए जाते हैं. हल्दी के पौधे को पनपने के लिए 20°C से 30°C के बीच तापमान और पर्याप्त मात्रा में वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है. व्यक्तिगत पौधे 1 मीटर तक बढ़ते हैं, और लंबे, आयताकार पत्ते होते हैं. पौधों को उनके प्रकंदों के लिए प्रतिवर्ष इकट्ठा किया जाता है, और अगले मौसम में उनमें से कुछ प्रकंदों से फिर से बीज बोए जाते हैं. जब हल्दी के प्रकंद को सुखाया जाता है, तो इसे पीले रंग के पाउडर में पीसकर कड़वा, थोड़ा तीखा, फिर भी मीठा स्वाद दिया जा सकता है.
कितना सुरक्षित है हल्दी
हल्दी का मसाले के रूप में और घरेलू उपचार के रूप में उपयोग सदियों से सुरक्षित माना जाता रहा है। आज तक, जानवरों या मनुष्यों में किसी भी अध्ययन में हल्दी के उपयोग से जुड़े किसी भी विषाक्त प्रभाव की खोज नहीं की गई है और यह स्पष्ट है कि हल्दी बहुत अधिक मात्रा में भी विषाक्त नहीं है. खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने हल्दी के साथ अपने स्वयं के नैदानिक परीक्षण किए हैं और 300-पृष्ठ का मोनोग्राफ प्रकाशित किया है. FDA ने हल्दी और इसके सक्रिय घटक कर्क्यूमिन को GRAS (सामान्य रूप से सुरक्षित माना जाता है) घोषित किया है. इस प्रकार, संयुक्त राज्य अमेरिका में, हल्दी और इसके घटकों का उपयोग वर्तमान में सरसों, अनाज, चिप्स, पनीर, मक्खन और अन्य उत्पादों में किया जा रहा है.
हल्दी की गतिविधियों में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, सूजनरोधी, ट्यूमररोधी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक, कार्डियोप्रोटेक्टिव, हेपेटोप्रोटेक्टिव, नेफ्रोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव और पाचन संबंधी गतिविधियां शामिल हैं. हल्दी के फाइटोकेमिकल विश्लेषण से बड़ी संख्या में यौगिकों का पता चला है, जिनमें करक्यूमिन, वाष्पशील तेल और करक्यूमिनोइड्स शामिल हैं, जिनमें शक्तिशाली औषधीय गुण पाए गए हैं.
इस खबर में दी गई जानकारी NIH की वेबसाइट से ली गई है
(डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है. यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं है. ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें.)