जायफल जिसे अंग्रेजी में नटमेग कहते हैं, एक बीज है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर मसाले के रूप में भारतीय रसोई में किया जाता है. जायफल के बीज की गिरी पर मांसल लाल जाल जैसा छिलका जावित्री के नाम से जाना जाता है, जिसका इस्तेमाल भी मसाले के रूप में भी किया जाता है. भारतीय रसोई में पाई जाने वाली ज्यादातर मसाले जड़ी-बूटी का काम करते हैं. इनमें से हि एक है जायफल और जावित्री है. जावित्री और जायफल पकवान का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ हमारी सेहत की भी रक्षा करती है. कई शोधों के मुताबिक, जायफल और जावित्री का उपयोग ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है, इस खबर के माध्यम से जानिए कैसे...
जावित्री के फायदे
दरअसल, जावित्री में विटामिन A, B1, C, और B2 होता है. इसके साथ ही इसमें मिनरल्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज और जिंक भी होते हैं. जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में सहायक होती है. यह शुगर से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद औषधि माना गया है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, चूहों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि जावित्री का अर्क ब्लड शुगर लेवल को कम करने में काफी प्रभावी था.
जावित्री में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं और यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है. जावित्री में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं. फ्री रेडिकल्स की वजह से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की वजह से डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं. जावित्री में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सेल्स में सूजन को रोकने में मददगार हो सकते हैं.
जायफल के फायदे
एक अन्य अध्ययन में, जायफल के बीज के अर्क ने हाइपरग्लाइसेमिक चूहों में ब्लड शुगर लेवल को काफी कम कर दिया. जायफल में भी एंटी डायबिटिक गुण होते हैं. जायफल में ओके ट्राइटरपेंस होता है. इसके सेवन करने से वेट कम होता है और टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखा जा सकता है. जायफल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, यह दांतों में कैविटी पैदा करने वाले स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स से भी लड़ने में सहायक होता है. यह PPAR अल्फा और गामा रिसेप्टर्स से जुड़ता है. यह ब्लड शुगर लेवल को लो करने में मदद करता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज भी होते हैं. जायफल से डायबिटीज रिलेटेड कॉम्प्लिकेशन्स का खतरा भी कम होता है.
जायफल और जावित्री के अन्य फायदे
वेबएमडी के मुताबिक, जायफल और जावित्री अपने एंटीडिप्रेसेंट गुणों के कारण चिंता के साथ-साथ डिप्रेशन को भी कम करने में मदद करता है. आपके रेगुलर डाइट में मसाले के रूप में इसका सेवन पाचन को बढ़ाने में मदद करता है. इसके अलावा, सदियों से, जायफल का उपयोग शिशुओं में दस्त और गैस के प्रबंधन के लिए घरेलू उपचार के रूप में किया जाता रहा है. यह सूजन को कम करने में भी मदद करता है और जोड़ों के दर्द से राहत देता है, सेक्सुअल हेल्थ को बढ़ावा देने के लिए उपयोग की जाने वाली कई आयुर्वेदिक दवाओं और फॉर्मूलेशन के हिस्से के तौर पर जायफल का लार्ज स्केल पर इस्तेमाल किया जाता है. जायफल का उपयोग इत्र और टूथपेस्ट बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. जायफल पाउडर को शहद या दूध के साथ फेस पर लगाने से एक्स्ट्रा ऑयल कंट्रोल करने में मदद मिलती है और पिगमेंटेशन दूर हो जाती है.
कैसे करें इसका उपयोग?
- डायबिटीज पेशेंट शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर स्तर को कंट्रोल करने के लिए रात के समय सोने से पहले एक गिलास में गर्म दूध लें और उसमें जायफल पाउडर को मिक्स करके पी सकते हैं. इससे अनिद्रा की समस्या पर भी अंकुश लगाया जा सकता है, साथ ही वजन घटाने और पाचन संबंधी समस्याएं दूर हो जाएंगी.
- जायफल और जावित्री का सेवन कई तरह के पकवान में भी कर सकते हैं. इससे सेहत के साथ-साथ स्वाद भी बना रहेगा.
- जायफल और जावित्री को पानी में उबालकर काढ़े की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- जावित्री को चाय में डालकर भी गर्मागर्म पिया जा सकता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और मौसम में बदलाव के कारण होने वाली समस्याएं से भी बचाव में मदद मिलती है.
- इसका सुगंध और स्वाद काफी अच्छा होता है इसलिए, कई लोग इसे डोनट्स, केक, पुडिंग, कस्टर्ड, यहां तक कि शकरकंद पर भी छिड़ककर सेवन करते हैं.
सावधान!
ध्यान दें कि इन फायदों के बावजूद, जायफल में मिरिस्टिसिन होता है. जिसके कई दुष्प्रभाव भी होते है. इसे ज्यादा मात्रा में लेने पर जी मिचलाना और चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)