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अध्ययन से पता चला है कि बैड कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन की अधिक मात्रा के चलते, महिलाओं में होती है हार्ट डिजीज की समस्या - CARDIAC AILMENT IN WOMEN

CARDIAC AILMENT IN WOMEN : मौजूदा समय में अनहेल्दी आदतों के चलते कई लोगों को कम उम्र में ही दिल का दौरा पड़ रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं और पुरुषों दोनों में हार्ट डिजीज को मृत्यु का सबसे आम कारण माना गया है. वहीं, एक अध्ययन से पता चला है कि रक्त में एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और लिपोप्रोटीन (ए) के स्तर का विश्लेषण करके हृदय संबंधी निदान किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर...

High Bad Cholesterol, Lipoprotein Lead To Early Cardiac Issue In Women, Reveals Study
अध्ययन से पता चला है कि बैड कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन की अधिक मात्रा के चलते, महिलाओं में होती है हार्ट डिजीज की समस्या (CANVA)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 18, 2024, 5:20 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 6:22 PM IST

दिल्ली: हमारे शरीर में हार्ट सबसे महत्वपूर्ण अंग है. अगर यह हेल्दी रहेगा तभी हम स्वस्थ रहेंगे. हालांकि, मौजूदा समय में खान-पान की बदलती आदतों के कारण कई लोगों को कम उम्र में ही हार्ट अटैक हो रहा है. कई लोग अस्पताल ले जाने से पहले ही दम तोड़ रहे हैं. शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में पाया है कि शरीर में दो सपेसिफिक फैट्स के साथ-साथ सूजन के लेवल को मापने से महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं के विकास के खतरों का पता लगाने में मदद मिल सकती है. ये निष्कर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 28,000 लोगों के एक अध्ययन पर आधारित हैं.

अध्ययन से पता चला है कि रक्त में एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और लिपोप्रोटीन (ए) के स्तरों का विश्लेषण करके हृदय संबंधी निदान किया जा सकता है. बता दें, लिपोप्रोटीन (ए), एक पदार्थ जो आंशिक रूप से एलडीएल से प्राप्त होता है, हृदय संबंधी जोखिम से जुड़े प्रमुख वसाओं में से एक है. इसके अलावा, रक्त में अत्यधिक संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन (एचएस-सीआरपी) के स्तरों का उपयोग करके सूजन को मापा जाता है.

रक्त के नमूनों में इन तीनों कारकों का एक साथ विश्लेषण करके, शोधकर्ताओं ने पाया कि एलडीएल, लिपोप्रोटीन (ए) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन के उच्च स्तर वाली महिलाओं में हृदयाघात सहित विभिन्न हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना 2.6 गुना अधिक थी. इसके अलावा, अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि इन तीन मार्करों के बहुत हाई लेवल वाली महिलाओं के लिए अगले 30 वर्षों में स्ट्रोक का जोखिम 3.7 गुना अधिक है.

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ये निष्कर्ष हृदय रोग का जल्दी पता लगाने और रोकथाम के नए तरीकों का मार्ग प्रशस्त करेंगे. जबकि यह अध्ययन महिलाओं पर केंद्रित था, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि पुरुषों में भी ऐसी ही स्थितियां मौजूद हो सकती हैं.

हम जिस अध्ययन का हम उल्लेख कर रहे हैं, वह न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था और 2024 में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया था. शोध में लगभग 28,000 स्वस्थ अमेरिकी महिलाओं के रक्त में तीन बायोमार्करों को मापने पर ध्यान केंद्रित किया गया- कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल या "खराब" कोलेस्ट्रॉल), लिपोप्रोटीन (ए) (एलपी (ए)), और अत्यधिक संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), जो सूजन का संकेत देता है.

अध्ययन में पाया गया कि तीनों मार्करों के उच्चतम स्तर वाली महिलाओं में 30 वर्षों में हृदय रोग का जोखिम 2.6 गुना अधिक था और स्ट्रोक या अन्य हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम 3.7 गुना अधिक था. ये निष्कर्ष पारंपरिक तरीकों की तुलना में पहले से ही उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करके हृदय रोग का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं. हालांकि अध्ययन महिलाओं पर केंद्रित था, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इसी तरह के परिणाम पुरुषों पर भी लागू हो सकते हैं.

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दिल्ली: हमारे शरीर में हार्ट सबसे महत्वपूर्ण अंग है. अगर यह हेल्दी रहेगा तभी हम स्वस्थ रहेंगे. हालांकि, मौजूदा समय में खान-पान की बदलती आदतों के कारण कई लोगों को कम उम्र में ही हार्ट अटैक हो रहा है. कई लोग अस्पताल ले जाने से पहले ही दम तोड़ रहे हैं. शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में पाया है कि शरीर में दो सपेसिफिक फैट्स के साथ-साथ सूजन के लेवल को मापने से महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं के विकास के खतरों का पता लगाने में मदद मिल सकती है. ये निष्कर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 28,000 लोगों के एक अध्ययन पर आधारित हैं.

अध्ययन से पता चला है कि रक्त में एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और लिपोप्रोटीन (ए) के स्तरों का विश्लेषण करके हृदय संबंधी निदान किया जा सकता है. बता दें, लिपोप्रोटीन (ए), एक पदार्थ जो आंशिक रूप से एलडीएल से प्राप्त होता है, हृदय संबंधी जोखिम से जुड़े प्रमुख वसाओं में से एक है. इसके अलावा, रक्त में अत्यधिक संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन (एचएस-सीआरपी) के स्तरों का उपयोग करके सूजन को मापा जाता है.

रक्त के नमूनों में इन तीनों कारकों का एक साथ विश्लेषण करके, शोधकर्ताओं ने पाया कि एलडीएल, लिपोप्रोटीन (ए) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन के उच्च स्तर वाली महिलाओं में हृदयाघात सहित विभिन्न हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित होने की संभावना 2.6 गुना अधिक थी. इसके अलावा, अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि इन तीन मार्करों के बहुत हाई लेवल वाली महिलाओं के लिए अगले 30 वर्षों में स्ट्रोक का जोखिम 3.7 गुना अधिक है.

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ये निष्कर्ष हृदय रोग का जल्दी पता लगाने और रोकथाम के नए तरीकों का मार्ग प्रशस्त करेंगे. जबकि यह अध्ययन महिलाओं पर केंद्रित था, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि पुरुषों में भी ऐसी ही स्थितियां मौजूद हो सकती हैं.

हम जिस अध्ययन का हम उल्लेख कर रहे हैं, वह न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था और 2024 में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया था. शोध में लगभग 28,000 स्वस्थ अमेरिकी महिलाओं के रक्त में तीन बायोमार्करों को मापने पर ध्यान केंद्रित किया गया- कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल या "खराब" कोलेस्ट्रॉल), लिपोप्रोटीन (ए) (एलपी (ए)), और अत्यधिक संवेदनशील सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), जो सूजन का संकेत देता है.

अध्ययन में पाया गया कि तीनों मार्करों के उच्चतम स्तर वाली महिलाओं में 30 वर्षों में हृदय रोग का जोखिम 2.6 गुना अधिक था और स्ट्रोक या अन्य हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम 3.7 गुना अधिक था. ये निष्कर्ष पारंपरिक तरीकों की तुलना में पहले से ही उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करके हृदय रोग का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं. हालांकि अध्ययन महिलाओं पर केंद्रित था, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इसी तरह के परिणाम पुरुषों पर भी लागू हो सकते हैं.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 6:22 PM IST
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