हैदराबाद : दुनियाभर में सभी जानकार तथा चिकित्सक धूम्रपान से परहेज की बात कहते हैं. क्योंकि यह ना सिर्फ धूम्रपान करने वाले व्यक्ति बल्कि उसके आसपास रहने वाले मनुष्यों, जानवरों और वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. ज्यादा धूम्रपान लोगों में कैंसर सहित कई अन्य गंभीर रोगों के होने का कारण बन सकता है. यही नहीं हर साल बड़ी संख्या में लोग धूम्रपान के कारण होने वाले कैंसर तथा कुछ अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मृत्यु से हार जाते हैं. दुनिया भर में लोगों को इस लत के गंभीरता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल ‘धूम्रपान निषेध दिवस/ नो स्मोकिंग डे’ मनाया जाता है.
"तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की रक्षा करना" थीम पर मनेगा धूम्रपान निषेध दिवस
धूम्रपान के खतरों से हर उम्र के लगभग सभी लोग वाकिफ होते हैं, लेकिन इसके तथा सिगरेट व तंबाकू के डब्बों व पैकेट पर लिखी चेतावनी के बावजूद भी दुनियाभर में लाखों करोड़ों लोग इसका सेवन करते हैं. धूम्रपान की लत ना सिर्फ लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं व रोगों का कारण बन सकती है, बल्कि यह कई अन्य रोगों में जटिलताओं के बढ़ने का कारण भी बन सकती है. यहां तक की यह कई बार पीड़ित की जान जाने का कारण भी बनती हैं.
वैश्विक स्तर पर लोगों को धूम्रपान के खराब प्रभावों के बारे में जागरूक करने तथा धूम्रपान छोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को ‘विश्व धूम्रपान निषेध दिवस / No Smoking Day मनाया जाता है. इस वर्ष यह दिवस 13th March को बच्चों को तंबाकू उत्पादों से बचाने के उद्देश्य से "तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की रक्षा करना" थीम पर मनाया जा रहा है.
क्यों हैं धूम्रपान हानिकारक
अमेरिकन लंग एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिगरेट में लगभग 600 अलग-अलग प्रकार के तत्व होते हैं, जो जलने पर लगभग 7000 हानिकारक और जहरीले रसायन पैदा करते हैं. इनमें से लगभग 69 तत्व ऐसे होते हैं जो कैंसर के होने का कारण बनते हैं. रिपोर्ट के अनुसार धूम्रपान के नुकसान तत्काल नहीं होते हैं. इसके गंभीर प्रभाव धीरे धीरे बढ़ते हैं तथा इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तथा जटिलताएं वर्षों तक बनी रह सकती हैं. जो कई बार जानलेवा भी हो सकती हैं.
दिल्ली के लाइफ अस्पताल के चिकित्सक डॉ अशरीर कुरैशी बताते हैं कि तम्बाकू में निकोटीन के अलावा टार और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे कई हानिकारक तत्व पाए जाते हैं. वह बताते हैं कि बहुत ज्यादा मात्रा में तंबाकू या सिगरेट का सेवन या इसकी लत सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकती हैं.
आमतौर पर लोगों को लगता है कि इसके नुकसान सिर्फ फेफड़ों तक सीमित हैं. यह सही है कि ज्यादा धूम्रपान ना सिर्फ श्वसन तंत्र व फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि ब्रोंकाइटिस, टीबी, और निमोनिया सहित फफड़ों व श्वसन तंत्र से जुड़ी कई समस्याओं में पीड़ित के स्वास्थ्य को ज्यादा खराब कर सकता है. लेकिन इसके अलावा नियमित धूम्रपान से ह्रदय रोगों जैसे दिल का दौरा पड़ने तथा उच्च रक्तचाप होने आदि होने का जोखिम भी रहता है. इसके अलावा सीओपीडी, शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने व अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने का जोखिम भी रहता है.
इसके साथ ही नियमित रूप से धूम्रपान करने से दृष्टि संबंधी समस्याएं, यौन समस्याएं , कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली , मुंह,नाक,गला, पैंक्रियास, ब्लैडर, सरविक्स, किडनी, रक्त तथा अन्य प्रणाली से जुड़े कैंसर , परिधीय सँवाहिनी रोग , रूमेटाइड अर्थराइटिस तथा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं जैसे मूड स्विंग, व्यवहार पर नियंत्रण में समस्या, गुस्सा व बैचेनी का बढ़ना आदि समस्याएं भी देखने में आती है.
धूम्रपान निषेध दिवस का इतिहास : No Smoking Day History : सर्वप्रथम वर्ष 1984 में यूनाइटेड किंगडम में एक जागरूकता अभियान के रूप में No Smoking Day मनाए जाने की शुरुआत हुई थी. उक्त वर्ष में पहली बार ऐश बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस मनाया गया था. जिसके बाद से हर यह दिवस मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाता है.
भारत सरकार के प्रयास
गौरतलब है कि भारत सरकार ने भी धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए विभिन्न अधिनियम और तंबाकू इस्तेमाल पर नियंत्रण के लिए उपाय लागू किये है. जिनमें वर्ष 1975 में सिगरेट अधिनियम (उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन) के तहत वैधानिक चेतावनी के रूप में सभी सिगरेट के पैकेजों, डिब्बों और सिगरेट के विज्ञापनों में "सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है" लिखे जाने की अनिवार्यता के साथ भारत सरकार व विश्व स्वास्थ्य संगठन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल के संयुक्त सहयोग से वर्ष 2003 में "सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन निषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन) अधिनियम" को पारित करना, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से वर्ष 2007-08 में तंबाकू उपभोग के हानिकारक प्रभावों और तंबाकू नियंत्रण कानून के बारे में अधिक जागरूकता लाने तथा तंबाकू नियंत्रण के लिए कोटपा एक्ट वर्ष-2003 कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) की शुरुआत करना आदि प्रमुख हैं.
इसके अलावा सरकारी नियम के तहत तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर तंबाकू छोड़ने के लिए मदद करने वाले कॉलसेंटर नंबर भी प्रकाशित किए जाते हैं जिससे उन लोगों की मदद की जा सके जो धुम्रपान छोड़ना चाहते हैं.