विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ द्वारा आज प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक बाल टीकाकरण कवरेज 2023 में रुक गया है, जिससे 2019 में महामारी से पहले के स्तर की तुलना में 2.7 मिलियन अतिरिक्त बच्चे बिना टीकाकरण या कम टीकाकरण के रह गए हैं. जिससे खसरे जैसी बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ गई है.
आंकड़ों के अनुसार, 2023 में, 84 प्रतिशत बच्चों या 108 मिलियन को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस के खिलाफ टीके की तीन खुराकें मिलीं, जिसमें तीसरी खुराक वैश्विक टीकाकरण कवरेज के लिए एक प्रमुख मार्कर के रूप में काम करेगी. यह एक साल पहले के समान प्रतिशत था, संगठनों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिसका अर्थ है कि कोविड-19 संकट के दौरान भारी गिरावट के बाद 2022 में देखी गई मामूली प्रगति रुक गई, महामारी से पहले 2019 में यह दर 86 प्रतिशत थी.
The new global #immunization coverage data 📊 is out:
— World Health Organization (WHO) (@WHO) July 15, 2024
🔸 Vaccine coverage stagnated in 2023
🔸 2.7 million more children were left without life-saving vaccines compared to 2019
🔸 Low vaccine coverage is already driving measles outbreaks
More vaccination trends ⬇️
यूनिसेफ प्रमुख कैथरीन रसेल ने एक संयुक्त बयान में कहा कि नवीनतम रुझान दर्शाते हैं कि कई देश बहुत अधिक बच्चों को खोना जारी रखते हैं. वास्तव में, संगठनों ने पाया कि 2019 में महामारी से पहले के स्तर की तुलना में पिछले साल 2.7 मिलियन अतिरिक्त बच्चे बिना टीकाकरण के या कम टीकाकरण वाले रहे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैक्सीन प्रमुख केट ओ'ब्रायन ने संवाददाताओं से कहा कि हम पटरी से उतर गए हैं. वैश्विक टीकाकरण कवरेज अभी भी उस ऐतिहासिक गिरावट से पूरी तरह उबर नहीं पाया है जो हमने महामारी के दौरान देखी थी.
सोमवार को प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, न केवल प्रगति रुकी हुई है, बल्कि तथाकथित शून्य-खुराक वाले बच्चों की संख्या, जिन्हें एक भी टीका नहीं मिला है, पिछले साल 2022 में 13.9 मिलियन और 2019 में 12.8 मिलियन से बढ़कर 14.5 मिलियन हो गई है. ओ'ब्रायन ने चेतावनी करते हुए कहा कि इससे सबसे कमजोर बच्चों की जान जोखिम में पड़ सकती है. इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि दुनिया के आधे से अधिक बिना टीकाकरण वाले बच्चे 31 देशों में रहते हैं, जो नाजुक, संघर्ष-प्रभावित परिवेश में रहते हैं, जहां सुरक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी के कारण वे रोकथाम योग्य बीमारियों के संक्रमण के प्रति विशेष रूप से कमजोर हैं. ऐसे देशों में बच्चों के जरूरी अनुवर्ती टीके से वंचित रहने की संभावना भी कहीं अधिक है.
सोमवार के डेटासेट से पता चला कि दुनिया भर में 6.5 मिलियन बच्चों ने डीटीपी वैक्सीन की अपनी तीसरी खुराक पूरी नहीं की, जो कि शैशवावस्था और प्रारंभिक बचपन में बीमारी से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने दुनिया भर में प्रकोपों की बढ़ती संख्या के बीच दुनिया की सबसे संक्रामक बीमारियों में से एक खसरे के खिलाफ टीकाकरण में देरी पर अतिरिक्त चिंता व्यक्त की.
Closing the immunization gap requires a global effort, with governments, partners, and local leaders investing in primary healthcare and community workers to ensure every child gets vaccinated, and that overall healthcare is strengthened. https://t.co/0e70n2decH
— Catherine Russell (@unicefchief) July 15, 2024
कम टीकाकरण कवरेज से खसरे का प्रकोप बढ़ रहा है
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने बयान में कहा कि खसरे का प्रकोप कोयले की खान में कैनरी की तरह है, जो टीकाकरण में अंतराल को उजागर करता है और उसका फायदा उठाता है और सबसे कमजोर लोगों को सबसे पहले प्रभावित करता है. 2023 में, दुनिया भर में केवल 83 प्रतिशत बच्चों को नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से खसरे के टीके की पहली खुराक मिली, जो 2022 के समान स्तर पर है, लेकिन महामारी से पहले 86 प्रतिशत से कम है. उन्होंने आगे कहा कि केवल 74 प्रतिशत को उनकी दूसरी आवश्यक खुराक मिली, जबकि प्रकोप को रोकने के लिए 95 प्रतिशत कवरेज की आवश्यकता है जैसा कि संगठनों ने बताया.
यूनिसेफ टीकाकरण प्रमुख एफ्रेम लेमांगो ने संवाददाताओं से कहा कि यह अभी भी प्रकोप को रोकने और उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहुत कम है. उन्होंने बताया कि 2023 में 300,000 से अधिक खसरे के मामलों की पुष्टि हुई, जो एक साल पहले की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है. पिछले पांच वर्षों में पूरे 103 देशों में प्रकोप हुआ है, जिसमें 80 प्रतिशत या उससे कम टीकाकरण कवरेज एक प्रमुख कारक के रूप में देखा गया है. इसके विपरीत, मजबूत खसरे के टीके कवरेज वाले 91 देशों में कोई प्रकोप नहीं हुआ.
लेमांगो ने कहा कि चिंताजनक रूप से, लगभग चार में से तीन शिशु ऐसे स्थानों पर रहते हैं, जहां खसरे के प्रकोप का सबसे अधिक जोखिम है. उन्होंने बताया कि सूडान, यमन और अफगानिस्तान सहित 10 संकटग्रस्त देशों में खसरे के खिलाफ टीकाकरण न करवाए गए बच्चों में से आधे से अधिक बच्चे हैं. अधिक सकारात्मक बात यह है कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के कारण होने वाले एचपीवी वायरस के खिलाफ टीकाकरण में मजबूत वृद्धि देखी गई है. लेकिन यह टीका अभी भी उच्च आय वाले देशों में केवल 56 प्रतिशत किशोर लड़कियों तक ही पहुंच पाया है और निम्न आय वाले देशों में 23 प्रतिशत तक पहुंच पाया है, जो 90 प्रतिशत के लक्ष्य से बहुत कम है.
लड़कियों के बीच वैश्विक HPV वैक्सीन कवरेज में काफी वृद्धि हुई है
नए डेटा से टीकाकरण कवरेज में कुछ बेहतर पहलुओं पर भी प्रकाश पड़ता है. मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी), मेनिन्जाइटिस, न्यूमोकोकल, पोलियो और रोटावायरस रोग सहित नए और कम इस्तेमाल किए गए टीकों की निरंतर शुरूआत से सुरक्षा का दायरा बढ़ रहा है, खासकर उन 57 देशों में जिन्हें वैक्सीन एलायंस गावी द्वारा समर्थन प्राप्त है.
उदाहरण के लिए, वैश्विक स्तर पर किशोर लड़कियों की हिस्सेदारी जिन्होंने एचपीवी वैक्सीन की कम से कम 1 खुराक प्राप्त की, जो गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से सुरक्षा प्रदान करती है. 2022 में 20 फीसदी से बढ़कर 2023 में 27 फीसदी हो गई. यह काफी हद तक बांग्लादेश, इंडोनेशिया और नाइजीरिया जैसे Gavi-समर्थित देशों में मजबूत शुरूआत से प्रेरित था. एकल खुराक एचपीवी वैक्सीन अनुसूची के उपयोग ने भी वैक्सीन कवरेज को बढ़ावा देने में मदद की.
वैक्सीन अलायंस, गैवी की सीईओ डॉ. सानिया निश्तर ने कहा कि एचपीवी वैक्सीन गैवी के पोर्टफोलियो में सबसे प्रभावशाली वैक्सीन में से एक है, और यह अविश्वसनीय रूप से उत्साहजनक है कि यह अब पहले से कहीं अधिक लड़कियों तक पहुंच रही है. अफ्रीकी देशों में 50 फीसदी से अधिक योग्य लड़कियों के लिए अब वैक्सीन उपलब्ध है, हमारे पास अभी बहुत काम है, लेकिन आज हम देख सकते हैं कि इस भयानक बीमारी को खत्म करने के लिए हमारे पास एक स्पष्ट रास्ता है. हालांकि, सर्वाइकल कैंसर को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने के लिए एचपीवी वैक्सीन कवरेज 90 फीसदी लक्ष्य से काफी नीचे है, जो उच्च आय वाले देशों में केवल 56 फीसदी किशोर लड़कियों तक और निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 23 फीसदी तक ही पहुंच पाया है.
हाल ही में युवा लोगों के लिए यूनिसेफ के डिजिटल प्लेटफॉर्म यू-रिपोर्ट के 400 000 से अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 75 फीसदी से अधिक लोग एचपीवी के बारे में नहीं जानते या अनिश्चित हैं, जो बेहतर वैक्सीन पहुंच और सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करता है. जब वायरस, कैंसर से इसके संबंध और वैक्सीन के अस्तित्व के बारे में जानकारी दी गई, तो 52 फीसदी उत्तरदाताओं ने संकेत दिया कि वे एचपीवी वैक्सीन प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन वित्तीय बाधाओं (41फीसदी) और उपलब्धता की कमी (34 फीसदी) के कारण बाधा उत्पन्न हो रही है.
हर जगह हर किसी तक टीके पहुंचाने के लिए स्थानीय स्तर पर मजबूत कार्रवाई की जरूरी
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में मामूली प्रगति हुई है, अफ्रीकी क्षेत्र और कम आय वाले देशों सहित, नवीनतम अनुमान टीकाकरण एजेंडा 2030 (IA2030) के लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है. एजेंडा 2030 (IA2030) का लक्ष्य 90 फीसदी कवरेज और 2030 तक वैश्विक स्तर पर 6.5 मिलियन से अधिक ‘शून्य खुराक’ वाले बच्चों का टीकाकरण नहीं कराना है. परिषद ने यह भी सिफारिश की है कि साझेदार देश के नेतृत्व के लिए अपना समर्थन बढ़ाएं ताकि उनके एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में नियमित टीकाकरण में सुधार हो सके, जिसे मजबूत राजनीतिक समर्थन, सामुदायिक नेतृत्व और स्थायी वित्त पोषण का समर्थन प्राप्त हो.
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