हैदराबाद : ग्लूकोमा आंखों की वह समस्या है जिसे दुनियाभर में अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है. दुनियाभर में ग्लूकोमा को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा उन्हे समय से इसकी जांच व इलाज तथा नियमित तौर पर नेत्र जांच के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 10 से 16 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह तथा 12 मार्च को विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष इस आयोजन के लिए "ग्लूकोमा-मुक्त दुनिया के लिए एकजुट होना" थीम निर्धारित की गई है.
दृष्टि हानि या दृष्टिहीनता से बचने के लिए जरूरी है समय पर ग्लूकोमा की जांच
दुनियाभर में नेत्र विशेषज्ञों का मनाना है कि ग्लूकोमा से पीड़ित बड़ी संख्या में लोग इसलिए धीरे-धीरे अपनी दृष्टि खोने लगते हैं क्योंकि उन्हे पता ही नहीं होता है कि उन्हे यह समस्या हैं. जिसके चलते समय से उनका इलाज नहीं हो पाता है. विश्व ग्लूकोमा एसोसिएशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह समस्या विश्व स्तर पर 75 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है. वहीं वर्ष 2040 तक दुनिया भर में 111 मिलियन लोगों के इस समस्या से प्रभावित होने की आशंका है.
विश्व ग्लूकोमा एसोसिएशन और विश्व ग्लूकोमा रोगी संघ द्वारा स्थापित तथा आयोजित होने वाला World Glaucoma week तथा इस दौरान मनाया जाने वाला World Glaucoma Day एक ऐसा आयोजन है जो लोगों को बेहतर नेत्र स्वास्थ्य व बेहतर दृष्टि के लिए प्रयास करने तथा ग्लूकोमा को लेकर लोगों को हर संभव तरीके से जागरूक व शिक्षित करने का मौका देता है. इस वर्ष 10 से 16 मार्च तक आयोजित होने वाला World Glaucoma week तथा 12 मार्च को मनाया जाने वाला World Glaucoma Day , ग्लूकोमा के कारण होने वाले अंधेपन के खिलाफ लड़ने के लिए दुनिया भर के समुदायों को एक साथ लाने के उद्देश्य के साथ "ग्लूकोमा-मुक्त दुनिया के लिए एकजुट होना" थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या है ग्लूकोमा ?
जानकारों के अनुसार Glaucoma दरअसल एक रोग नहीं बल्कि नेत्र रोगों का एक समूह है जो आंखों की ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकता है. इस रोग के प्रभाव में आने से पहले धीरे-धीरे दृष्टि दोष तथा बाद में नेत्रहीनता जैसी समस्याएं होने लगती हैं. ग्लूकोमा के तहत आने वाली कई नेत्र समस्याओं का पूरी तरह से इलाज सामान्य तौर पर संभव नहीं हो पाता है. जिसके लिए कई मामलों में समस्या के लक्षणों को समझ कर इलाज में देरी को भी जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन जानकारों की मानें तो समस्या को जानकर अगर समय से उपचार शुरू हो जाए तो कई मामलों में Glaucoma के जटिल प्रभावों को रोका जा सकता है.
चिकित्सक तथा जानकार नियमित नेत्र जांच के साथ आंखों या दृष्टि से संबंधित किसी भी समस्या, असहजता या असामान्यता को नजरअंदाज ना करने तथा तत्काल चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह देते हैं. जिससे समय रहते दवा और सर्जरी से समस्या का इलाज किया जा सकता है, तथा नियमित जांच तथा अन्य तरीकों से रोग की प्रगति की निगरानी की जा सके.
World glaucoma week theme objective importance : विश्व ग्लूकोमा सप्ताह का इतिहास, उद्देश्य तथा महत्व
दुनियाभर में जहां Glaucoma को दृष्टिहीनता के लिए दूसरा सबसे बड़ा जिम्मेदार कारण माना जाता है वहीं भारत में इसे सबसे बड़ा कारण माना जाता है. वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार भारत में कम से कम एक करोड़ 20 लाख लोग ग्लूकोमा से पीड़ित थे. जिनमें से कम से कम 12 लाख लोग इसके कारण दृष्टिहीनता का सामना कर रहे थे. नेत्र विशेषज्ञों की मानें तो देश में ग्लूकोमा के लगभग 90% मामले मामले पकड़ में नहीं आते हैं.
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन -WHO की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में ग्लूकोमा के कारण लगभग 45 लाख लोगों को दृष्टिहीनता का सामना करना पड़ा था. वही सीडीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका में ही लगभग 30 लाख लोगों ग्लूकोमा से पीड़ित हैं. ग्लूकोमा की गंभीरता को मानते हुए तथा लोगों में इसे लेकर जानकारी के अभाव को समझते हुए वर्ष 2020 में विश्व ग्लूकोमा एसोसिएशन द्वारा इस आयोजन की शुरुआत की गई थी. तब से हर साल साप्ताहिक गतिविधि तथा दिवस विशेष के रूप में World Glaucoma week तथा World Glaucoma Day का आयोजन किया जाता है.
World glaucoma week के अवसर पर दुनिया भर में अलग-अलग आयोजनों जैसे जांच शिविरों, शैक्षिक कार्यशालाओं, ग्लूकोमा स्क्रीनिंग कार्यक्रमों, सोशल मीडिया अभियानों व अन्य प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से लोगों को ग्लूकोमा के लक्षणों, उपचार और जोखिम कारकों को लेकर जागरूक व शिक्षित करने का प्रयास किया जाता है. साथ ही उन्हे नियमित नेत्र जांच के लिए भी प्रेरित किया जाता है. World Glaucoma week , cataract , motiabind , Glaucoma , world glaucoma week theme .