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स्लीप हाइजीन में कमी के कारण किसी भी उम्र में हो सकता है ये रोग - Astigmatism

Astigmatism : एस्टिग्मेटिज्म एक ऐसा रोग है जिसमें पीड़ित की आंखों के लेंस या कॉर्निया के आकार में परिवर्तन आने लगता है, जो धुंधले विजन के साथ कई अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है. Astigmatism हर उम्र में धुंधले विजन का कारण बन सकता है. Eye diseases , eye care tips , eye problem astigmatism .

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 29, 2024, 10:37 AM IST

Updated : May 30, 2024, 6:03 AM IST

EYE PROBLEM ASTIGMATISM SYMPTOMS AND EYE CARE TIPS DURING EYE DISEASES ASTIGMATISM
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bharat/Getty Images)

हैदराबाद : आज के दौर में नेत्र या दृष्टि से जुड़ी बीमारियों या समस्याओं के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. बच्चे हों या बड़े, आजकल विजन में कमी या धुंधला विजन, कॉर्निया या लैंस से संबंधित समस्याएं तथा कई अन्य प्रकार के नेत्र रोग, सभी में काफी आम हो गए हैं. जानकारों की मानें तो कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के अलावा जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम, पोषण में कमी तथा स्लीप हाइजीन में कमी जैसे कारणों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है. Astigmatism भी एक ऐसा ही नेत्र रोग है जो पीड़ित में धुंधले विजन के साथ कई अन्य Eye problems का कारण बन सकता है.

एस्टिग्मेटिज्म का कारण तथा प्रभाव : नई दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नूपुर जोशी बताती है कि Astigmatism एक ऐसा नेत्र रोग है जो धुंधले विजन के साथ कुछ अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है. वह बताती हैं की हमारी आंखों में मौजूद लेंस और कॉर्निया आकार में गोल होते हैं. लेकिन कई बार कुछ लोगों में अनुवांशिक कारणों से, आंख से संबंधित किसी बीमारी के चलते, आंखों की किसी प्रकार की सर्जरी या किसी चोट के चलते, बहुत ज्यादा समय किसी भी प्रकार (विशेषकर मोबाइल) की स्क्रीन के सामने बिताने से या बेहद कम लाइट में पढ़ने जैसा काम करने आदि के चलते लेंस और कॉर्निया का आकार बदलने लगता है. जो एस्टिग्मेटिज्म का कारण बनता है.

EYE PROBLEM ASTIGMATISM SYMPTOMS AND EYE CARE TIPS DURING EYE DISEASES ASTIGMATISM
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

Astigmatism में आंखों में लेंस या फिर कॉर्निया या तो अपने मूल आकार से ज्यादा फैल जाते हैं और बड़े हो जाते हैं या फिर सिकुड़ जाते हैं. ऐसे में आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी रेटिना पर केंद्रित नहीं हो पाती है और पीड़ित को धुंधले विजन की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसे रिफ्रैक्टिव एरर( Refractive Error ) भी कहा जाता है. इस अवस्था में विजन में धुंधलापन मायोपिया (दूर की चीजें धुंधली दिखाई देना) या हाइपरोपिया (पास की चीजें धुंधली दिखाई देना) दोनों प्रकार का हो सकता है. वह बताती हैं की Astigmatism की समस्या किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है. लेकिन बच्चों में इसके मामले ज्यादा देखने में आते हैं.

EYE PROBLEM ASTIGMATISM SYMPTOMS AND EYE CARE TIPS DURING EYE DISEASES ASTIGMATISM
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

एस्टिग्मेटिज्म के लक्षण : Astigmatism Symptoms : डॉ नूपुर जोशी बताती हैं कि एस्टिग्मेटिज्म के लक्षण ज्यादातर अन्य विजन संबंधी समस्याओं जैसे ही होते हैं. जैसे

  1. सिर में दर्द
  2. धुंधला विजन या धुंधला दिखना
  3. किसी वस्तु पर नजर केंद्रित करने में दिक्कत होना
  4. चीजों को देखने के लिए आंखो को सिकुड़ना
  5. आंखों में दबाव महसूस करना, आदि.

एस्टिग्मेटिज्म के निदान : Astigmatism Treatment

वह बताती हैं कि Astigmatism का इलाज कारणों तथा इस बात के आधार पर किया जाता है कि पीड़ित को मायोपिया है या हाइपरोपिया. आंखों की जांच के बाद शुरुआत में चिकित्सक रोगी की अवस्था, मरीज में दृष्टि दोष के प्रकार तथा आंखों के नंबर के आधार पर चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करने तथा जरूरी तौर पर कुछ सावधानियों को अपनाने की सलाह देते हैं. इसके अलावा कई बार मरीज की अवस्था के आधार पर उन्हे आई ड्रॉप तथा ओरल पिल्स भी प्रिस्क्राइब किए जा सकते हैं. वहीं कई बार मरीज की अवस्था के आधार पर चिकित्सक रिफ्रैक्टिव सर्जरी कराने की सलाह भी दे सकते हैं . रिफ्रेक्टिव सर्जरी जैसे लेसिक सर्जरी या फ़ोटोरेफ्रेक्टिव केराटेक्टोमी में सर्जन लेजर बीम की मदद से कॉर्निया को सही आकार दे देते हैं.

सावधानी जरूरी
डॉ नूपुर बताती हैं की आज के दौर में नेत्र रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बहुत जरूरी हो गया है की बचपन से ही नियमित अंतराल पर नेत्र जांच करवाते रहे. कुछ आनुवंशिक समस्याओं के प्रभाव के अलावा आजकल बहुत कम उम्र में ही बच्चों में मोबाइल पर कार्टून देखने या खेल खेलने की आदत और उस पर आहार में नेत्रों को स्वस्थ रखने व दृष्टि को दुरुस्त रखने में मददगार पोषण की कमी के चलते बहुत कम उम्र में ही बच्चों में विजन में कमी से जुड़ी समस्याएं देखने में आने लगी है. इसी के चलते छोटे-छोटे बच्चों में चश्मे लग जाते हैं. वह बताती हैं की कुछ सावधानियों को अपनाने से बच्चों तथा बड़ों, सभी को विजन संबंधी रोगों से बचाव या उनके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. बच्चे हों या बड़े, अपने स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें. यानी जहां तक संभव हो प्रतिदिन केवल कुछ समय के लिए गैजेट्स या टीवी आदि का उपयोग करें.
  2. जिस भी गैजेट का इस्तेमाल हो रहा है ध्यान रहे कि वह आंखों से पर्याप्त दूरी पर हो.
  3. लेट कर मोबाइल देखने से बचे.
  4. कम लाइट में टीवी व मोबाइल देखने तथा पढ़ने-लिखने से बचे.
  5. पौष्टिक तत्वों विशेषकर सभी प्रकार के विटामिन से भरपूर आहार लें.
  6. शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी पिए.
  7. उन्हें सोने व जागने की आदत को सुधारे. जैसे वे रात को जल्दी सोये, सोने से पहले मोबाइल ना देखे, रात को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें.
  8. जिन लोगों को पढ़ाई या काम के कारण ज्यादा देर मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप के समक्ष समय बिताना पड़ता है वह नियमित रूप से नेत्र संबंधी व्यायाम करें, लगातार स्क्रीन पर काफी देर तक देखने से बचे व थोड़ी-थोड़ी देर में आंखों को आराम देते रहे.
  9. आंखों को दिन में दो से तीन बार ठंडे व स्वच्छ पानी से हल्के हाथ से धोएं.
  10. जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से सलाह लेकर आंखों में नमी बनाए रखने वाली या अन्य प्रकार की आई ड्रॉप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
  11. आंखों की अवस्था के आधार पर साल में एक बार नेत्र जांच जरूर करवाएं.

वह बताती हैं की नियमित जांच के साथ ही बहुत जरूरी है कि देखने में धुंधलापन, दोहरा विजन, वस्तु के आकार व रंग को पहचानने में समस्या, आंखों में दर्द, दबाव व ड्राइनेस की समस्या, खुजली तथा सिर में लगातार दर्द जैसी समस्याओं को नजरअंदाज ना किया जाय तथा चिकित्सक से परामर्श लेकर जांच व इलाज करवाया जाय. यदि समय रहते समस्या के बारे में पता चल जाता है तो ना सिर्फ समस्या का स्थाई इलाज किया जा सकता है बल्कि रोग के कारण होने वाली कई परेशानियों तथा उनके गंभीर प्रभावों से भी बचा जा सकता है. Eye diseases , eye care tips , eye problem astigmatism , eye problems .

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हैदराबाद : आज के दौर में नेत्र या दृष्टि से जुड़ी बीमारियों या समस्याओं के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. बच्चे हों या बड़े, आजकल विजन में कमी या धुंधला विजन, कॉर्निया या लैंस से संबंधित समस्याएं तथा कई अन्य प्रकार के नेत्र रोग, सभी में काफी आम हो गए हैं. जानकारों की मानें तो कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के अलावा जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम, पोषण में कमी तथा स्लीप हाइजीन में कमी जैसे कारणों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है. Astigmatism भी एक ऐसा ही नेत्र रोग है जो पीड़ित में धुंधले विजन के साथ कई अन्य Eye problems का कारण बन सकता है.

एस्टिग्मेटिज्म का कारण तथा प्रभाव : नई दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नूपुर जोशी बताती है कि Astigmatism एक ऐसा नेत्र रोग है जो धुंधले विजन के साथ कुछ अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है. वह बताती हैं की हमारी आंखों में मौजूद लेंस और कॉर्निया आकार में गोल होते हैं. लेकिन कई बार कुछ लोगों में अनुवांशिक कारणों से, आंख से संबंधित किसी बीमारी के चलते, आंखों की किसी प्रकार की सर्जरी या किसी चोट के चलते, बहुत ज्यादा समय किसी भी प्रकार (विशेषकर मोबाइल) की स्क्रीन के सामने बिताने से या बेहद कम लाइट में पढ़ने जैसा काम करने आदि के चलते लेंस और कॉर्निया का आकार बदलने लगता है. जो एस्टिग्मेटिज्म का कारण बनता है.

EYE PROBLEM ASTIGMATISM SYMPTOMS AND EYE CARE TIPS DURING EYE DISEASES ASTIGMATISM
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

Astigmatism में आंखों में लेंस या फिर कॉर्निया या तो अपने मूल आकार से ज्यादा फैल जाते हैं और बड़े हो जाते हैं या फिर सिकुड़ जाते हैं. ऐसे में आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी रेटिना पर केंद्रित नहीं हो पाती है और पीड़ित को धुंधले विजन की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसे रिफ्रैक्टिव एरर( Refractive Error ) भी कहा जाता है. इस अवस्था में विजन में धुंधलापन मायोपिया (दूर की चीजें धुंधली दिखाई देना) या हाइपरोपिया (पास की चीजें धुंधली दिखाई देना) दोनों प्रकार का हो सकता है. वह बताती हैं की Astigmatism की समस्या किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है. लेकिन बच्चों में इसके मामले ज्यादा देखने में आते हैं.

EYE PROBLEM ASTIGMATISM SYMPTOMS AND EYE CARE TIPS DURING EYE DISEASES ASTIGMATISM
कॉन्सेप्ट इमेज (Getty Images)

एस्टिग्मेटिज्म के लक्षण : Astigmatism Symptoms : डॉ नूपुर जोशी बताती हैं कि एस्टिग्मेटिज्म के लक्षण ज्यादातर अन्य विजन संबंधी समस्याओं जैसे ही होते हैं. जैसे

  1. सिर में दर्द
  2. धुंधला विजन या धुंधला दिखना
  3. किसी वस्तु पर नजर केंद्रित करने में दिक्कत होना
  4. चीजों को देखने के लिए आंखो को सिकुड़ना
  5. आंखों में दबाव महसूस करना, आदि.

एस्टिग्मेटिज्म के निदान : Astigmatism Treatment

वह बताती हैं कि Astigmatism का इलाज कारणों तथा इस बात के आधार पर किया जाता है कि पीड़ित को मायोपिया है या हाइपरोपिया. आंखों की जांच के बाद शुरुआत में चिकित्सक रोगी की अवस्था, मरीज में दृष्टि दोष के प्रकार तथा आंखों के नंबर के आधार पर चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करने तथा जरूरी तौर पर कुछ सावधानियों को अपनाने की सलाह देते हैं. इसके अलावा कई बार मरीज की अवस्था के आधार पर उन्हे आई ड्रॉप तथा ओरल पिल्स भी प्रिस्क्राइब किए जा सकते हैं. वहीं कई बार मरीज की अवस्था के आधार पर चिकित्सक रिफ्रैक्टिव सर्जरी कराने की सलाह भी दे सकते हैं . रिफ्रेक्टिव सर्जरी जैसे लेसिक सर्जरी या फ़ोटोरेफ्रेक्टिव केराटेक्टोमी में सर्जन लेजर बीम की मदद से कॉर्निया को सही आकार दे देते हैं.

सावधानी जरूरी
डॉ नूपुर बताती हैं की आज के दौर में नेत्र रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बहुत जरूरी हो गया है की बचपन से ही नियमित अंतराल पर नेत्र जांच करवाते रहे. कुछ आनुवंशिक समस्याओं के प्रभाव के अलावा आजकल बहुत कम उम्र में ही बच्चों में मोबाइल पर कार्टून देखने या खेल खेलने की आदत और उस पर आहार में नेत्रों को स्वस्थ रखने व दृष्टि को दुरुस्त रखने में मददगार पोषण की कमी के चलते बहुत कम उम्र में ही बच्चों में विजन में कमी से जुड़ी समस्याएं देखने में आने लगी है. इसी के चलते छोटे-छोटे बच्चों में चश्मे लग जाते हैं. वह बताती हैं की कुछ सावधानियों को अपनाने से बच्चों तथा बड़ों, सभी को विजन संबंधी रोगों से बचाव या उनके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. बच्चे हों या बड़े, अपने स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें. यानी जहां तक संभव हो प्रतिदिन केवल कुछ समय के लिए गैजेट्स या टीवी आदि का उपयोग करें.
  2. जिस भी गैजेट का इस्तेमाल हो रहा है ध्यान रहे कि वह आंखों से पर्याप्त दूरी पर हो.
  3. लेट कर मोबाइल देखने से बचे.
  4. कम लाइट में टीवी व मोबाइल देखने तथा पढ़ने-लिखने से बचे.
  5. पौष्टिक तत्वों विशेषकर सभी प्रकार के विटामिन से भरपूर आहार लें.
  6. शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए प्रतिदिन जरूरी मात्रा में पानी पिए.
  7. उन्हें सोने व जागने की आदत को सुधारे. जैसे वे रात को जल्दी सोये, सोने से पहले मोबाइल ना देखे, रात को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें.
  8. जिन लोगों को पढ़ाई या काम के कारण ज्यादा देर मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप के समक्ष समय बिताना पड़ता है वह नियमित रूप से नेत्र संबंधी व्यायाम करें, लगातार स्क्रीन पर काफी देर तक देखने से बचे व थोड़ी-थोड़ी देर में आंखों को आराम देते रहे.
  9. आंखों को दिन में दो से तीन बार ठंडे व स्वच्छ पानी से हल्के हाथ से धोएं.
  10. जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से सलाह लेकर आंखों में नमी बनाए रखने वाली या अन्य प्रकार की आई ड्रॉप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
  11. आंखों की अवस्था के आधार पर साल में एक बार नेत्र जांच जरूर करवाएं.

वह बताती हैं की नियमित जांच के साथ ही बहुत जरूरी है कि देखने में धुंधलापन, दोहरा विजन, वस्तु के आकार व रंग को पहचानने में समस्या, आंखों में दर्द, दबाव व ड्राइनेस की समस्या, खुजली तथा सिर में लगातार दर्द जैसी समस्याओं को नजरअंदाज ना किया जाय तथा चिकित्सक से परामर्श लेकर जांच व इलाज करवाया जाय. यदि समय रहते समस्या के बारे में पता चल जाता है तो ना सिर्फ समस्या का स्थाई इलाज किया जा सकता है बल्कि रोग के कारण होने वाली कई परेशानियों तथा उनके गंभीर प्रभावों से भी बचा जा सकता है. Eye diseases , eye care tips , eye problem astigmatism , eye problems .

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Last Updated : May 30, 2024, 6:03 AM IST
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