हैदराबादः मानसून के मौसम में लगातार बरसात के चलते वातावरण में बढ़ने वाली नमी या ह्यूमीडीटी तथा उसके कारण वातावरण में पनपने वाले बैक्टीरिया व फंगस कई बार त्वचा व बालों में संक्रमण या अन्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं. चिकित्सकों की माने तो संक्रमण के अलावा इस मौसम में कभी कभी ज्यादा पसीना, त्वचा में जरूरत से ज्यादा सीबम की उपस्थिति तथा कुछ अन्य स्वच्छता संबंधी कारण भी महिलाओं व पुरुषों दोनों में त्वचा व बालों से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
कौन सी समस्याएं करती हैं परेशान
उत्तराखंड की डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ आशा सकलानी बताती हैं कि बरसात के मौसम में अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों व फ्लू जैसे संक्रमणों के अलावा त्वचा व बालों से जुड़ी समस्याएं भी काफी परेशान करती हैं. इस मौसम में जहां त्वचा पर दाद, एक्जिमा, खुजली, चकत्ते, एथलीट फुट, कुछ अन्य प्रकार के स्किन इंफेक्शन, त्वचा पर एलर्जी तथा फंगस के कारण होने वाली समस्याओं के मामले बढ़ जाते हैं, वहीं बालों के टूटने-झड़ने, उनमें रूसी व जुएं होने तथा सिर की त्वचा में फोड़े- फुंसियों के होने के मामले भी काफी ज्यादा देखने सुनने में आते हैं.
त्वचा संबंधी समस्याएं
वह बताती हैं कि ज्यादा बारिश के कारण मानसून में मौसम में आर्द्रता या नमी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. जिससे त्वचा में प्राकृतिक तेल या सीबम का निर्माण भी ज्यादा होने लगता है. वहीं नम हवा में धूल-मिट्टी व प्रदूषण के कण तथा बैक्टीरिया भी ज्यादा देर तक रहते हैं. उस पर ज्यादातर इलाकों में जब तक बारिश होती है तब तक मौसम अच्छा रहता है लेकिन बारिश के रुकने के थोड़ी देर में ही लोगों को ज्यादा ह्यूमीडीटी के कारण पसीना भी ज्यादा आने लगता है. ऐसे में त्वचा के रोमछिद्रों में तेल के साथ जब पसीना, धूल मिट्टी व प्रदूषण के कण इकट्ठे होने लगते हैं तब त्वचा पर एक्ने या दाने, फोड़े-फुंसी तथा ड्राई पैच जैसी समस्याओं के होने की आशंका बढ़ जाती है.
इसके अलावा इन्ही कारणों से इस मौसम में त्वचा पर बैक्टीरिया, यीस्ट व फंगस के कारण होने वाले संक्रमण जैसे एक्जिमा और डर्माटाइटिस आदि भी काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं. वहीं बहुत से लोगों को पराग में मौजूद एलर्जेंस तथा और फफूंद से त्वचा एलर्जी हो सकती है. ऐसे में इन एलर्जेंस के संपर्क में आने पर त्वचा पर लालिमा, खुजली और पित्ती जैसे एलर्जिक रिएक्शन नजर आ सकते हैं.
बाल संबंधी समस्याएं
डॉ आशा बताती हैं कि लगभग इन्ही सभी कारणों से मानसून के मौसम में बालों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच सकता है. वह बताती हैं कि बारिश के मौसम में हवा में मौजूद अतिरिक्त नमी बालों की जड़ों को कमजोर कर सकती है. जिससे बाल ज्यादा झड़ने व टूटने लगते हैं. वहीं बालों की जड़ों व स्कैल्प में पसीना, नमी व गंदगी के एकत्रित होने के कारण संक्रमण व रोग होने की आशंका भी बढ़ जाती है. इनके अलावा बारिश के कारण ज़्याद देर तक बालों के गीले रहने, ज्यादा पसीने के चलते तथा सिर की त्वचा में फंगस के कारण सिर में रूसी व खुजली की समस्या, जुएं पड़ने की समस्या, बालों के ज्यादा तैलीय होने की समस्या तथा कई बार बालों की क्वालिटी खराब होने या उनका रंग बदलने की समस्याएं भी नजर आ सकती है.
सावधानियां जरूरी
डॉ आशा बताती हैं कि बारिश के मौसम में इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ सावधानियों का ध्यान रखना लाभकारी हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- जहां तक संभव हो शरीर व बालों के लंबे समय तक भीगे रहने से बचें.
- बारिश के मौसम में बाहर से घर आने के बाद स्नान अवश्य करें .क्योंकि इससे शरीर पर एकत्रित पसीना , गंदगी तथा बैक्टीरिया काफी हद तक साफ हो जाते हैं.
- हाथ या पांव की उंगलियों के बीच फंगल संक्रमण, पैरों में एथलीट फुट तथा इन जैसी अन्य समस्याओं के होने पर प्रभावित स्थान की सफाई व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. तथा नियमित समय पर चिकित्सक द्वारा बताई गई दवा का इस्तेमाल करें.
- चेहरे व गर्दन की त्वचा को नियमित तौर पर एक्सफोलिएट तथा मॉइश्चराइज करें. इससे त्वचा से मृत त्वचा व गंदगी के कण साफ हो जाते हैं तथा त्वचा का मॉश्चर बना रहता है.
- किसी ऐसे व्यक्ति का समान इस्तेमाल करने से बचे जिसे खुजली या किसी अन्य प्रकार की त्वचा संबंधी समस्या या संक्रमण हों.
- बरसात में ढीले तथा सूती कपड़ों को प्राथमिकता दें.
- बरसात में बालों और स्कैल्प को अच्छे से शैंपू से धोएं तथा कंडीशनर करें, जिससे ना सिर्फ बालों को अतिरिक्त सीबम से छुटकारा मिल सके बल्कि बाल मुलायम भी रहे.
- बालों को अच्छे से शैंपू व कंडीशनर से धोने के बाद उन्हें अच्छी तरह से सुखाकर ही बाल बांधें. गीले बालों की जड़े ज्यादा कमजोर हो जाती हैं और वे जल्दी टूटते हैं.
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए दिन में कम से कम 6 से 8 ग्लास पानी जरूर पीएं.
चिकित्सक से परामर्श जरूरी
डॉ आशा बताती हैं कि यदि बालों या त्वचा में संक्रमण या रोग ज्यादा प्रत्यक्ष रूप में नजर आ रहे हों या उनके कारण परेशानी ज्यादा महसूस हो रही हो, तो अपने आप इलाज करने की बजाय चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी होता है. अन्यथा कई बार कुछ संक्रमण या समस्याएं ध्यान ना देने पर गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकती है.